ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को समर्थन देने के ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के निर्णय से असहमति जताई है। महाज़ का मानना है कि यह निर्णय पसमांदा मुस्लिम समाज का वास्तविक प्रतिनिधित्व नहीं करता है, क्योंकि उलेमा बोर्ड मुख्यतः 15% अशरफ मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है, न कि संपूर्ण मुस्लिम समाज का। महाज़ ने विशेष रूप से उलेमा बोर्ड की दो प्रमुख मांगों पर आपत्ति जताई है, जिन्हें वह पसमांदा समाज के हितों के प्रतिकूल मानता है।
आरक्षण की मांग पर आपत्ति
उलेमा बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय के लिए नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग की है, जिसे महाज़ ने अव्यवहारिक और संविधान के खिलाफ बताया है। महाज़ का कहना है कि आरक्षण की मांग धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि पसमांदा मुस्लिम समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए संविधान के दायरे में रहकर की जानी चाहिए। महाज़ के अनुसार, उलेमा बोर्ड द्वारा उठाई गई यह मांग पसमांदा समाज को गुमराह करने की कोशिश है, और इस मांग में समग्र पसमांदा समाज के अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग पर आपत्ति
महाज़ ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर प्रतिबंध की उलेमा बोर्ड की मांग को अनुचित और अतार्किक माना है। महाज़ का मानना है कि आरएसएस कई क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान दे रही है और देश में उसके साथ संवाद आवश्यक है। महाज़ ने सुझाव दिया कि देश के व्यापक हित में संवाद से बड़े से बड़े मुद्दों का समाधान हो सकता है। महाज़ का विचार है कि देश में आपसी सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए विभिन्न पक्षों को संवाद के माध्यम से एक साथ काम करना चाहिए।
महाज़ का समर्थन के रुख पर स्पष्टीकरण
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने उलेमा बोर्ड की अन्य मांगों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन विभाजनकारी मांगों से दूरी बनाने का निर्णय लिया है। महाज़ का मानना है कि इस प्रकार के राजनीतिक समर्थन को पसमांदा मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह केवल अशरफ मुस्लिम समाज के एक छोटे से हिस्से की मांगों का समर्थन करता है, जबकि पसमांदा समाज की मुख्य समस्याएं और उनके मुद्दे इससे अलग हैं।
पसमांदा समाज के लिए महाज़ का दृष्टिकोण
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का उद्देश्य पसमांदा मुस्लिम समाज को जागरूक करना और उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान ढूंढना है। महाज़ का रुख है कि संविधान के दायरे में रहकर पसमांदा समाज के अधिकारों और हितों की रक्षा की जाए, और उन्हें देश के विकास में बराबरी का अवसर मिले। महाज़ जातिगत आधार पर विभाजन और कट्टरता से बचते हुए पसमांदा मुस्लिम समाज के लिए एक समावेशी और संवैधानिक रास्ता अपनाने की वकालत करता है।
निष्कर्ष
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड द्वारा एमवीए को समर्थन देना पसमांदा समाज का वास्तविक प्रतिनिधित्व नहीं है। महाज़ ने उलेमा बोर्ड की दो प्रमुख मांगों पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे केवल एक विशेष समुदाय के हितों के लिए काम कर रहे हैं। महाज़ का उद्देश्य है कि पसमांदा समाज को उनके वास्तविक अधिकार और अवसर मिलें और देश में सभी समुदायों के बीच सौहार्द और भाईचारा बना रहे।