ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़

भारत की सामाजिक संरचना में पसमांदा मुस्लिम समाज एक ऐसा वर्ग है, जो सदियों से सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रहा है। इसमें जुलाहा/बुनकर/अंसारी, कुरैशी, सलमानी, बखो, धोबी, लालबेगी, नट, नाई, धुनिया, मंसूरी जैसे कई जातीय समूह शामिल हैं। धार्मिक रूप से ये मुस्लिम समुदाय का हिस्सा होने के बावजूद जातीय और सामाजिक दृष्टि से ये समुदाय पिछड़ा, दलित और वंचित वर्ग में आता है। इस असमानता को दूर करने और पसमांदा समाज को सामाजिक न्याय तथा समानता की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (।प्च्डड) की स्थापना की गई।
यह संगठन न केवल पसमांदा मुस्लिमों की आवाज को बुलंद करता है, बल्कि उनके सशक्तिकरण के लिए ठोस, सुनियोजित और सतत प्रयास करता है। यह लेख ।प्च्डड के इतिहास, पुनर्गठन और वर्तमान विस्तार की प्रक्रिया को प्रस्तुत करता है।
1. ऐतिहासिक पृष्ठीाूमि- पसमांदा आंदोलन की नींव 1990 के दशक में पड़ी, जब भारत में मंडल आयोग की सिफारिशों और अन्य सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से वंचित तबकों के अधिकारों पर राष्ट्रीय बहस शुरू हुई। मुस्लिम समाज को अक्सर एकसमान समुदाय के रूप में देखा जाता था, किंतु भीतर ही भीतर यह समाज गहरी जातीय असमानताओं से ग्रस्त था।
‘पसमांदा‘ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है ष्पीछे छूटे हुएष् या ‘हाशिए पर डाले गए लोग‘। यह शब्द उन मुस्लिम समुदायों के लिए प्रयुक्त होता है जो सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से वंचित हैं। इस वर्ग के अधिकारों और पहचान के लिए जब विचारधारात्मक और संगठनात्मक प्रयास तेज हुए, तब ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (।प्च्डड) जैसे संगठनों का जन्म हुआ।
एआइपीएमएम का स्पष्ट दृष्टिकोण यह रहा है कि यह किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं है और यह एक स्वतंत्र, राष्ट्रवादी और सामाजिक सुधार हेतु समर्पित मंच है। इसका प्रेरणा स्रोत भारतीय संविधान के मूल मूल्य-समानता, न्याय और बंधुत्व हैं।
2. पुनर्गठन और निबंधन- वर्ष 2020 तक ।प्च्डड की गतिविधियाँ सीमित थीं और संगठन को एक नई दिशा, ऊर्जा और संरचना की आवश्यकता थी। इसी समय, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मुहम्मद युनुस ने एडवोकेट परवेज हनीफ (राष्ट्रीय अध्यक्ष), शारिक अदीब अंसारी (राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष), शमीम अंसारी (राष्ट्रीय संयोजक), मारूफ अंसारी (प्रधान महासचिव) और अहमद अंसारी (संरक्षक) सहित अपने साथियों के साथ संगठन को पुनर्गठित किया।

मुख्य पहलें
1. वैधानिक निबंधन-AIPMM का सरकारी पंजीकरण पूरा हुआ। एक संविधान बनाया गया, जिसमें उद्देश्य, कार्यप्रणाली और संरचना को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया। इससे संगठन की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई।
2. नवीन नेतृत्व गठन- युवाओं और प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ा गया। शिक्षा, नीति निर्माण, मीडिया और सामाजिक क्षेत्र में विशेषज्ञों को शामिल किया गया।
3. जमीनी स्तर पर सक्रियता- ग्रामीण और शहरी इलाकों में संगठन का विस्तार हुआ। सामुदायिक जागरूकता, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए।
4. संगठनात्मक विस्तार- पुनर्गठन के बाद, ।प्च्डड ने अपने कार्यक्षेत्र और प्रभाव का उल्लेखनीय विस्तार किया-
3.1 बारह राज्यों में सक्रिय इकाइयाँ-

एआइपीएमएम की इकाइयाँ वर्तमान में इन राज्यों में सक्रिय हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगालख् , दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, हरियाणा, कर्नाटक
3.2 चार राज्यों में स्थायी कार्यालय-
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)- राष्ट्रीय गतिविधियों का समन्वय केंद्र
पटना (बिहार)- प्रशिक्षण और क्षेत्रीय योजनाओं का केंद्र
नई दिल्ली- नीतिगत पैरोकारी और राष्ट्रीय संवाद
रांची (झारखंड)-आदिवासी और पसमांदा समुदायों के लिए केंद्र
3.3 जमीनी कार्यक्रम-
शिक्षा जागरूकता अभियान (विशेषकर बालिका शिक्षा)
कौशल विकास प्रशिक्षण (सिलाई, कंप्यूटर, हस्तशिल्प आदि)
सामाजिक जागरूकता शिविर, सरकारी योजनाओं की जानकारी
पसमांदा समुदाय को संगठित कर उनकी आवाज बुलंद करना
5. संगठनात्मक संरचना- एआइपीएमएम की बहुस्तरीय संरचना इस प्रकार है-
1. राष्ट्रीय स्तर- राष्ट्रीय अध्यक्ष, महासचिव, चीफ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मीडिया प्रभारी आदि।
2. राज्य स्तर- प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव, कार्यकारिणी और विभिन्न विभागों के प्रभारी।
3. जिला स्तर- जिला अध्यक्ष, सचिव, मीडिया प्रभारी और स्थानीय कार्यकर्ता।
4. तहसील और ब्लॉक स्तर- स्थानीय समितियाँ, जो सीधे समुदाय से जुड़ी होती हैं।
5. उद्देश्य और मिशन- एआइपीएमएम का मिशन पसमांदा मुस्लिम समाज को सशक्त बनाना है-

1. शिक्षा- शिक्षा का प्रचार, छात्रवृत्ति की जानकारी, बालिका शिक्षा और तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहन
2. राजनीतिक जागरूकता- समुदाय को नीतिनिर्माण प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित करना
3. धार्मिक समावेशिता- धर्म को मानवता, समानता और भाईचारे से जोड़ना
4. आर्थिक सशक्तिकरण- स्वरोजगार, जकात आधारित सहायता योजनाएं
5. संवैधानिक अधिकार- आरक्षण, वक्फ संपत्ति, अल्पसंख्यक योजनाओं का संरक्षण
6. उपलब्धियाँ और प्रभाव-
जागरूकता- समुदाय में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का प्रसार, शिक्षा एवं कौशल विकासरू हजारों युवाओं को प्रशिक्षण और अवसर, नीतिगत पैरोकारीरू पसमांदा अधिकारों की राष्ट्रीय मंच पर प्रभावी प्रस्तुति।
सामाजिक एकता- विभिन्न जातियों को एक मंच पर संगठित करना
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज आज केवल एक संगठन नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों कृ समानता, न्याय और समावेशन कृ से प्रेरित होकर कार्य कर रहा है।
मुहम्मद युनुस और उनके साथियों के नेतृत्व में यह संगठन पसमांदा समाज के लिए न सिर्फ आवाज बन चुका है, बल्कि उन्हें अधिकार, सम्मान और अवसर दिलाने का एक सशक्त मंच बनकर उभरा है। ।प्च्डड का लक्ष्य है कि वह और अधिक राज्यों में अपनी पहुँच बनाए और पसमांदा समाज को भारत की मुख्यधारा में पूर्णरूपेण स्थापित करे।
यह संगठन भारत में सामाजिक न्याय की दिशा में एक मील का पत्थर बन रहा है।