नई दिल्ली में पसमांदा नेतृत्व पर बड़ा ऐलान, डॉ. अब्दुल्ला क़ासमी को महाज़ का सम्मान
नई दिल्ली ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने डॉ. अब्दुल्ला क़ासमी को उनके बेबाक और साहसिक रुख के लिए विशेष सम्मान दिया और कहा कि यह कदम पसमांदा मुस्लिम समाज की नेतृत्व-यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। संयुक्त बयान में महाज़ के पदाधिकारियों ने बताया कि डॉ. क़ासमी ने खुलकर घोषणा की है कि यदि कोई उलेमा, मौलवी, इमाम या दीनदार व्यक्ति संवाद, बहस या तर्क के लिए आगे आना चाहता है, तो मंच हर समय खुला है। महाज़ ने इसे पसमांदा समाज के आत्मविश्वास और पारदर्शी संवाद की नई परंपरा बताया।
बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि ऑल इंडिया पसमांदा पर्सन लॉ बोर्ड का गठन हर हाल में किया जाएगा, जिसके तहत पहले राज्यों में इकाइयों का गठन होगा और इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड की औपचारिक स्थापना की जाएगी। महाज़ ने कहा कि यह पहल इस्लाम के विरुद्ध नहीं है बल्कि इस्लाम की उन शिक्षाओं पर आधारित है, जो न्याय, समानता और अमानतदारी पर ज़ोर देती हैं।
संयुक्त बयान में महाज़ ने यह सवाल भी उठाया कि जब इमारत-ए-शरिया, ताजुश्शरिया, जमीयत उलमा-ए-हिन्द, जमात-ए-इस्लामी और मुस्लिम पर्सन लॉ बोर्ड जैसे संगठन लंबे समय से चलते आ रहे हैं और उनका नेतृत्व एक ही वर्ग के पास रहता है, तो पसमांदा मुसलमानों के अपने धार्मिक और सामाजिक नेतृत्व की स्थापना पर आपत्ति क्यों की जा रही है। महाज़ के अनुसार बराबरी की माँग कोई गलती नहीं है और यह सवाल देश के हर न्यायप्रिय व्यक्ति के सामने गहरी सोच छोड़ जाता है।
महाज़ ने उलेमा, इमाम, हाफ़िज़, क़ारी और दीनदार वर्ग से अपील की कि वह इस मुहिम को किसी विरोध या विभाजन के रूप में न देखें, क्योंकि यह संघर्ष किसी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ़ नहीं है। महाज़ ने कहा कि यह प्रयास केवल शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय, धार्मिक नेतृत्व में समान अधिकार और पसमांदा समाज की आने वाली पीढ़ियों के सम्मान और हक़ की रक्षा के लिए किया जा रहा है। संयुक्त बयान में यह भी भरोसा जताया गया कि संवाद के रास्ते से ही समाज में संतुलन, बराबरी और सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

