झारखंड में मुस्लिम आबादी 18 फीसदी मगर राजनीतिक भागीदारी में पीछे, बंटवारे के बाद सिर्फ एक पसमांदा मुस्लिम उम्मीदवार पहुंच पाया संसद 

राशिद अयाज़ , रांची रिपोर्टर

रांची: झारखंड में मुसलमानों की आबादी करीब 18 फीसदी है. हालांकि राजनीति में इनकी भागीदारी इतनी नहीं है. झारखंड बनने के बाद झारखंड से सिर्फ एक ही पसमांदा मुस्लिम सांसद बन पाया है.

पसमांदा मुसलमानों को लेकर भलें ही सियासत होती रही हो मगर जब भागीदारी की बात होती है तो यह तबका कहीं ना कहीं झारखंड की आबादी के अनुपात में पिछड़ जाता है. आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में मुस्लिम जनसंख्या 18 फीसदी के करीब है जो चुनाव में निर्णायक की भूमिका अदा करते हैं. मगर जब राजनीतिक दलों के द्वारा प्रत्याशी उतारने की बात होती है तो कहीं ना कहीं इस समुदाय को नजरअंदाज कर दिया जाता है. शायद यही वजह है कि झारखंड गठन के बाद से कांग्रेस के फुरकान अंसारी एक मात्र पसमांदा मुस्लिम सांसद रहे हैं. उन्होंने 2004 में गोड्डा से चुनाव जीतने में सफलता हासिल की थी.

लोकसभा के साथ साथ विधानसभा में भी कम रहती है भागीदारी

लोकसभा की बात तो दूर विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम अल्पसंख्यक निर्वाचित होने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. राज्य में 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में केवल दो मुसलमान विधायक बने. हालांकि 2009 के विधानसभा चुनाव में इनकी संख्या बढ़कर 5 पर पहुंच गई. इन पांच में से दो कांग्रेस, दो झारखंड मुक्ति मोर्चा और एक बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में इनकी संख्या फिर घटकर 2 पर आ गई. कांग्रेस के आलमगीर आलम और इरफान अंसारी जीतने में सफल रहे. 2019 की बात करें तो 4 मुसलमान चुनाव जीतने में सफल रहे.

बीजेपी ने एक बार फिर मुसलमानों से बनाई दूरी

लोकसभा चुनाव 2024 के रण में प्रत्याशियों की घोषणा जारी है. घोषित प्रत्याशियों में बीजेपी एक बार फिर पसमांदा मुसलमानों से दूरी बनाती नजर आ रही है. झारखंड में तो पूरी तरह से पिक्चर साफ हो गया है. विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने एक भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.

इधर, बीजेपी के इस रुख पर झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे विरोधी दल सवाल उठाते नहीं थक रहे हैं. झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि हमने तो हाल ही में सरफराज अहमद जैसे अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को राज्यसभा भेजने का काम किया, मगर जो पार्टी सबका साथ सबका विकास की बात करती है वह क्यों मुस्लिम को भुला रही है.

भविष्य में और भी भागीदारी दी जाएगी.

इधर, विरोधियों द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर पलटवार करते हुए बीजेपी-आजसू नेताओं ने कहा कि चुनाव में खड़ा होने से ही पसमांदा मुसलमानों का विकास नहीं होगा. जो चुनाव जीते उन्होंने क्या किया वह जगजाहिर है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनवर हयात कहते हैं कि मोदी जी के नेतृत्व में देश में पसमांदा मुसलमानों का जितना विकास हुआ है उतना किसी भी शासनकाल में नहीं हुआ. सिर्फ प्रत्याशी खड़ा कर देने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. आजसू विधायक लंबोदर महतो कहते हैं कि मुसलमानों को समुचित भागीदारी पार्टी द्वारा दी जाती रही है. भविष्य में और भी भागीदारी दी जाएगी.

  • निष्कर्ष
  • झारखण्ड में पसमांदा मुसलमानों की आबादी के अनुसार हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। पसमांदा मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए।
  • अज्ञान को दूर करने और ज्ञान को बढ़ने का काम करें ।
  • समाज का मुख्य उद्देश्य भौतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक अर्थों में दुनिया की भलाई को बढ़ावा देने का काम करें।
  • सभी के साथ प्रेम और न्याय का व्यवहार करें।
  • स्वयं की प्रगति अन्य सभी के उत्थान पर निर्भर हों।