2 अप्रैल 2024 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक हिंदू मंदिर द्वारा रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया गया, जो सहिष्णुता, सह-अस्तित्व और सौहार्द्र का एक उल्लेखनीय उदाहरण था। यह आयोजन अंतरधार्मिक सम्मान और आपसी समझ की भावना को दर्शाता है, यह सिद्ध करता है कि मानवता किसी एक धर्म या संस्कृति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी को एक साथ जोड़ती है।
इस प्रकार की पहल विविधता को अपनाने और परस्पर सम्मान को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित करती है। यह हमें याद दिलाती है कि प्रेम, करुणा और समावेशिता मानव संबंधों का आधार होना चाहिए, जबकि घृणा, असहिष्णुता और भेदभाव किसी भी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकते।
इस इफ्तार आयोजन जैसे सद्भावना पूर्ण कार्य यह दर्शाते हैं कि धर्म को जोड़ने का माध्यम होना चाहिए, न कि विभाजन का कारण। जब विभिन्न समुदाय एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं, उनके त्योहारों और परंपराओं में भाग लेते हैं, तो इससे सामाजिक ताना-बाना और मजबूत होता है और शांति व परस्पर सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
आज के समय में, जब धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण दुनिया में कई जगह संघर्ष और गलतफहमियां उत्पन्न हो रही हैं, ऐसे प्रयास आशा और एकता के प्रतीक बनते हैं। वे हमें यह समझाने के लिए प्रेरित करते हैं कि दयालुता, उदारता और सहानुभूति जैसी मूल्यवान भावनाएँ हर धर्म और परंपरा में मौजूद हैं।
हमें एक-दूसरे का सम्मान करना, प्रेम करना और इस दिशा में प्रयास करना चाहिए कि हर व्यक्ति को उसके धार्मिक या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से परे समान रूप से स्वीकार किया जाए। सच्ची मानवता विविधता को अपनाने और घृणा व असहिष्णुता का विरोध करने में निहित है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति और सौहार्द्र बना रहे।