नेपाल में हिंसा: लोकतंत्र का रास्ता केवल संवैधानिक है : AIPMM

असहमति जताना अधिकार है, लेकिन हिंसा और अराजकता लोकतंत्र के लिए घातक

नई दिल्ली। नेपाल में हाल के दिनों में भड़की भीषण हिंसा को लेकर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए ख़तरा बताया है। महाज़ ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि लोकतांत्रिक असहमति जताना जनता का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन हिंसा और अराजकता किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।

पृष्ठभूमि: कैसे भड़की हिंसा- सितंबर 2025 की शुरुआत में नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स—फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और टिकटॉक—पर प्रतिबंध लगा दिया था। विरोध की शुरुआत इसी फैसले से हुई। धीरे-धीरे यह आंदोलन भ्रष्टाचार, नेताओं की विलासिता और जनता की आर्थिक समस्याओं को लेकर व्यापक असंतोष में बदल गया।
स्थिति इतनी बिगड़ी कि राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, मंत्रियों के आवास और राजनीतिक दलों के दफ़्तरों को आग के हवाले कर दिया गया। अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, सैकड़ों घायल हैं और हालात पर काबू पाने के लिए देशभर में कर्फ़्यू लगा दिया गया है।

महाज़ ने हिंसक घटनाओं को “भीड़तंत्र और अराजकता” करार देते हुए कहा कि इससे न केवल नेपाल का लोकतांत्रिक ढांचा कमजोर होता है, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। बयान में यह भी कहा गया कि “नेताओं और उनके परिवारों पर हमले तथा महिलाओं को ज़िंदा जलाने जैसी जघन्य घटनाएँ किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं।”

पाँच सूत्री मांग – महाज़ ने नेपाल सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मिलकर शांति बहाली की अपील की है। संगठन ने अपनी पाँच प्रमुख मांगें रखीं:

नेपाल सरकार तुरंत कानून-व्यवस्था बहाल करे।  पीड़ितों की सुरक्षा और घायलों को निःशुल्क इलाज मिले।  मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा दिया जाए। हिंसा की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो, जिसमें संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भी भूमिका रहे। दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो, चाहे वे प्रदर्शनकारी हों या सुरक्षा बल।

महाज़ ने संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और सार्क जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी नेपाल में शांति और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की महाज़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज़ हनीफ़ और सीईओ मुहम्मद यूनुस ने संयुक्त बयान में कहा “नेपाल में हुई हिंसक घटनाएँ केवल वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को चुनौती देती हैं। हम नेपाल के नागरिक समाज, राजनीतिक दलों और युवाओं से अपील करते हैं कि वे संयम बरतें और लोकतांत्रिक मार्ग को ही अपनाएँ। हिंसा से केवल अराजकता फैलती है, जबकि लोकतंत्र संवाद और संवैधानिक प्रक्रिया से ही मज़बूत होता है।” महाज़ ने नेपाल के शांतिप्रिय नागरिकों के साथ एकजुटता जताई और आशा व्यक्त की कि यह संकट जल्द समाप्त होगा तथा नेपाल एक मज़बूत, समावेशी और स्थायी लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ेगा।