✍️सरफराज अंसारी
2024 लोकसभा चुनाव में पसमांदा मुस्लिम मुद्दे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पसमांदा मुसलमान भारत के उन मुस्लिमों का समूह है जो आर्थिक राजनैतिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और इनमें ज्यादातर दलित और पिछड़ी जाति के मुसलमान शामिल हैं। यह समूह भारतीय मुस्लिम समुदाय का लगभग 85% हिस्सा बनाता है।
बीजेपी ने इस समुदाय को अपने पक्ष में लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को पसमांदा मुसलमानों के साथ संवाद स्थापित करने और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए स्नेह यात्रा आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस यात्रा का उद्देश्य पसमांदा मुसलमानों को केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देना और उनके साथ जुड़ाव बढ़ाना है।
बीजेपी की इस रणनीति का उद्देश्य विपक्ष के अल्पसंख्यक वोट बैंक को तोड़ना है। यूपी के पिछले चुनावों में पसमांदा मुसलमानों ने बीजेपी को समर्थन दिया था, जिससे पार्टी को महत्वपूर्ण सीटें जीतने में मदद मिली थी।
इसके अलावा, बीजेपी ने पसमांदा मुसलमानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए कई प्रयास किए हैं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, और आयुष्मान भारत। इन योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर इस समुदाय तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस बार के चुनाव में, पसमांदा मुसलमानों का समर्थन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में, जहां इनकी बड़ी संख्या है और वे चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
समझते सब हैं न समझने का नाटक करते हैं। असल में हमारे जो लोग हैं वे मेन स्ट्रीम में आने के बाद अपने लोगों में उन्हे अच्छा नहीं वे अशराफ से ज्यादा तालमेल रखना पसंद करते हैं। यही लोग हमारे बीच में आते हैं तो सोचते हैं कि सब मेरी सुने और जब उनके बीच में जाते हैं तो वो मुस्कुराएंगे तो ये भी मुस्कुराएंगे और जब वो गंभीर होंगे तो ये भी। सब मिलकर हां में हां।
इनकी जिंदगी में गुलामी ही लिखी है।