मौलाना सज्जाद नोमानी के बयान की एआइपीएमएम ने की निन्दा

मौलाना सज्जाद नोमानी को किसने ये अधिकारी दिया कि वह मुसलमानों का नेतृत्व करें : AIPMM

इस प्रकार के बयान पसमांदा समाज के हितों को भ्रमित करते हैं: यूनुस

कोई भी धार्मिक या राजनीतिक नेता पसमांदा समाज की ओर से बयान नहीं दे सकता : परवेज़

लखनऊ। ऑल इंडिया प समांदा मुस्लिम महाज़ ने मौलाना सज्जाद नोमानी द्वारा इंडिया गठबंधन के समर्थन में दिए गए बयान और महात्मा गांधी के बारे में अपशब्द कहने की कड़ी निंदा की है। संगठन ने इसे न केवल अनुचित बल्कि पसमांदा मुस्लिम समाज के हितों के विपरीत बताया है। महाज़ ने सवाल उठाया है कि मौलाना सज्जाद नोमानी को यह अधिकार किसने दिया कि वे पूरे मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से पसमांदा समाज, जिसकी आबादी कुल मुस्लिम समाज का लगभग 85 प्रतिशत है, की ओर से किसी राजनीतिक गठबंधन का समर्थन करें।
महाज़ के नेताओं ने स्पष्ट किया है कि संगठन पहले ही यह तय कर चुका है कि वह किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन का समर्थन नहीं करता। संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुहम्मद युनुस ने कहा हमारा उद्देश्य पसमांदा समाज के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए कार्य करना है, न कि किसी राजनीतिक दल का प्रचारक बनना। इस प्रकार के बयान पसमांदा समाज के हितों को नजरअंदाज कर भ्रम पैदा करते हैं। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, परवेज़ हनीफ ने कहा पसमांदा मुस्लिम समाज को किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन का समर्थन करने से पहले यह देखना चाहिए कि वह गठबंधन उनके हितों की कितनी चिंता करता है। उन्होंने कहा कोई भी धार्मिक या राजनीतिक नेता पसमांदा समाज की ओर से बयान नहीं दे सकता। संगठन के पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इस प्रकार के बयानों का समर्थन न करें।

महाज़ समुदाय में जागरूकता फैलाने और समाज को भ्रमित करने वाले बयानों के खिलाफ काम करता रहेगा। महाज़ ने पसमांदा मुसलमानों से अपील की है कि वे किसी भी राजनीतिक निर्णय को सोच-समझकर और अपने वास्तविक हितों को ध्यान में रखते हुए लें। किसी भी गठबंधन या दल का समर्थन करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह गठबंधन पसमांदा समाज के मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। महाज़ का मानना है कि पसमांदा समाज अब जागरूक हो चुका है और उसे ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता नहीं है, जो उसके हितों को प्राथमिकता न देता हो। संगठन का मुख्य उद्देश्य समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।