ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष श्री जमाल सिद्दीकी द्वारा इंडिया गेट का नाम बदलकर “भारत माता द्वार” करने की मांग को अनावश्यक और गैर-जरूरी करार दिया है। संगठन का स्पष्ट मानना है कि भारत सरकार और देशवासी इतने सक्षम हैं कि यदि “भारत माता द्वार” का निर्माण करना है, तो इसे नए सिरे से और समर्पित तरीके से बनाया जाए। ऐतिहासिक धरोहरों के नाम बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का अनादर है, बल्कि समाज में अनावश्यक विवाद भी पैदा कर सकता है।संगठन का कहना है कि ऐसे बयान जो समाज में विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं, उनसे बचा जाना चाहिए। महाज़ ने इस पर भी चिंता व्यक्त की है कि अशरफीयां बिरादरी के कुछ लोग, जो विभिन्न राजनीतिक दलों में प्रभावी स्थिति में हैं, ऐसी गैर-जिम्मेदाराना मांगें करते हैं जो केवल ध्यान आकर्षित करने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए होती हैं।
पसमांदा मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व और वोट बैंक : महाज़ का मानना है कि आज के दौर में राजनीति “वोट के गणित” पर निर्भर करती है। पसमांदा मुस्लिम समाज भारत में मुस्लिम जनसंख्या का 85% है और उनकी राजनीतिक शक्ति को नकारा नहीं जा सकता। संगठन का कहना है कि यदि राजनीतिक दल पसमांदा मुस्लिम समाज के मुद्दों को नजरअंदाज करके केवल अशरफीयां बिरादरी के लोगों को प्रमोट करेंगे, तो पसमांदा समाज अपने वोट का इस्तेमाल सोच-समझकर करेगा। आज का दौर “गिव एंड टेक” का है, और जो दल पसमांदा समाज के अधिकारों और उनके उत्थान के लिए काम करेगा, उसे ही समर्थन मिलेगा।
संगठन के विचार और सिद्धांत : ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ “लकुम दीनकुम वलिय दीन” के सिद्धांत पर आधारित है। यह सिद्धांत धार्मिक और सामाजिक सद्भाव, न्याय और समानता को बढ़ावा देता है। महाज़ का मानना है कि हर व्यक्ति को अपने धर्म और विचारधारा के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है। समाज में शांति, एकता, और भाईचारे को बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
संगठन का संदेश : महाज़ का स्पष्ट संदेश है कि देश की राजनीति और समाज में विभाजनकारी बयानबाजी से बचना चाहिए। पसमांदा मुस्लिम समाज को जागरूक और संगठित रहकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए।