ओवैसी ने पसमांदा मुस्लिम समाज को कहा “जोकर”, AIPMM ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में अपने एक बयान में पसमांदा मुस्लिम समाज को “जोकर” कहा और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष अदनान कमर के प्रति अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया। उन्होंने महाज़ को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) तथा भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एजेंट करार दिया।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक बयान की घोर निंदा करता है।

असदुद्दीन ओवैसी और अशरफ मानसिकता का खुला प्रदर्शन
असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता, जो अशरफ वर्ग से आते हैं, हमेशा से पसमांदा मुस्लिम समाज को हाशिए पर रखने की नीति अपनाते आए हैं। जब तक पसमांदा मुसलमान AIMIM के राजनीतिक एजेंडे को समर्थन देते रहते हैं, तब तक वे उनके “अपने भाई” होते हैं, लेकिन जैसे ही वे अपने अधिकारों की मांग करते हैं और अपनी स्वतंत्र राजनीतिक विचारधारा रखते हैं, वे उन्हें गालियां देने और अपमानित करने लगते हैं।
2005 में, जब तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार थी, उस समय असदुद्दीन ओवैसी ने खुले तौर पर पसमांदा समाज को मिलने वाले आरक्षण का विरोध किया था। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि अशरफ नेतृत्व पसमांदा समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान को कभी स्वीकार नहीं कर सकता।
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज़ हनीफ ने कहा AIMIM ने हमेशा पसमांदा समाज को भ्रमित करने की राजनीति की है। यह पार्टी खुद को मुस्लिमों की सच्ची हितैषी बताती है, लेकिन जब पसमांदा समाज अपने अधिकारों की मांग करता है, तो वही AIMIM के नेता उन पर तरह-तरह के आरोप लगाने लगते हैं। उन्होंने कहा AIMIM की राजनीति का मुख्य उद्देश्य सिर्फ मुस्लिम वोटों को इकट्ठा करना है, न कि पसमांदा समाज को राजनीतिक हिस्सेदारी देना। AIMIM के मंचों पर पसमांदा समाज के नेताओं को शायद ही जगह दी जाती है। पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी और प्रमुख नेता अशरफ वर्ग से आते हैं और वे पसमांदा समाज को नेतृत्व देने के लिए तैयार नहीं हैं।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने बिहार विधानसभा चुनाव में पसमांदा समाज AIMIM का पूरी तरह से बहिष्कार करेगा, जो पार्टी पसमांदा समाज को “जोकर” समझती है, उसे पसमांदा समाज के वोटों की कोई जरूरत नहीं है। AIMIM जैसी पार्टियां सिर्फ पसमांदा मुस्लिम समाज के वोट लेने के लिए मुसलमानों की एकता की बातें करती हैं, लेकिन असल में पसमांदा समाज को हाशिए पर रखने की नीति पर काम करती हैं।
पसमांदा समाज को आरक्षण से वंचित करने की साजिश
अशरफ बिरादरी और उनके संगठन हमेशा यह सुनिश्चित करने में लगे रहे हैं कि पसमांदा मुसलमानों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जाए। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पसमांदा मुस्लिम समाज के हक और विकास की बात कर रहे हैं, तब भी बीजेपी के कुछ नेता पसमांदा समाज को मिलने वाले आरक्षण का विरोध कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और प्रधानमंत्री की पसमांदा विमर्श को आगे बढ़ाने की मुहिम के खिलाफ है।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का रुख
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ एक राष्ट्रवादी सामाजिक संगठन है, जिसका उद्देश्य पसमांदा मुस्लिम समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और राजनीतिक हिस्सेदारी में आगे बढ़ाना है।
महाज़ किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता, बल्कि वह सत्ता में मौजूद सरकारों से संवाद कर पसमांदा समाज की बेहतरी के लिए योजनाओं और नीतियों पर चर्चा करता है।
अगर पसमांदा समाज के अधिकारों की बात करना, उनके लिए योजनाएं मांगना और सरकार से संवाद करना ‘RSS या BJP का एजेंट’ कहलाना है, तो फिर ओवैसी साहब को यह बताना चाहिए कि क्या पसमांदा समाज को हमेशा राजनीतिक रूप से गुलाम बने रहना चाहिए?
महाज़ का मानना है कि राजनीतिक सत्ता से संवाद किए बिना किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है। इसलिए, महाज़ किसी भी सरकार से, चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की, संवाद करने में विश्वास रखता है ताकि पसमांदा समाज के अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।

पसमांदा मुस्लिम समाज के लिए आगे का रास्ता
पसमांदा समाज को यह समझना होगा कि उनकी असली दुश्मनी किसी विशेष राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि उस मानसिकता से है जो उन्हें हाशिए पर रखना चाहती है।
अब वक्त आ गया है कि पसमांदा समाज झूठे नायकों के पीछे चलना छोड़कर अपनी एक अलग, स्वतंत्र और संगठित ताकत बनाए। राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बने बिना पसमांदा समाज को उसका हक नहीं मिल सकता।
असदुद्दीन ओवैसी और AIMIM जैसी पार्टियों ने हमेशा पसमांदा समाज को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है, लेकिन जब पसमांदा समाज अपने अधिकारों की मांग करता है, तो इन्हीं नेताओं को परेशानी होती है।

महाज़ का संदेश साफ है –
1. पसमांदा समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और राजनीतिक हिस्सेदारी में आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
2. किसी भी सरकार से संवाद करना राष्ट्रहित में है, और यह पसमांदा समाज के उत्थान के लिए आवश्यक है।
3. जो भी संगठन या नेता पसमांदा समाज के अधिकारों को छीनने की कोशिश करेगा, महाज़ उसका डटकर विरोध करेगा।
4. बिहार विधानसभा चुनाव में पसमांदा मुस्लिम समाज AIMIM का बहिष्कार करेगा, क्योंकि यह पार्टी पसमांदा समाज का सम्मान नहीं करती, बल्कि उन्हें अपमानित करती है।
पसमांदा समाज के लोग अब जाग चुके हैं और वे अपना हक लेकर ही रहेंगे, चाहे कोई भी कितना भी बड़ा नेता उनके खिलाफ अपशब्द क्यों न बोले। पसमांदा मुस्लिम समाज अब गुलामी स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि अपने भविष्य का फैसला खुद करेगा।