अब्दुल कय्यूम अंसारी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक सुधारक, और भारतीय मुस्लिम समुदाय के नेता थे, जिनका बिहार की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने विशेष रूप से मुसलमानों के उत्थान और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके योगदान को विस्तार से समझा जा सकता है:
1. मुस्लिम समुदाय में सुधार की शुरुआत: अब्दुल कय्यूम अंसारी ने मुसलमानों के भीतर व्याप्त सामाजिक कुरीतियों, जैसे कट्टरता, अशिक्षा और सामंती प्रवृत्तियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा और आधुनिकता के महत्व को समझाते हुए मुसलमानों को प्रगति की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मुसलमानों को एक बेहतर नागरिक बनने और समाज में सक्रिय भूमिका निभाने की शिक्षा दी।
2. अखिल भारतीय मोमिन कांफ्रेंस का गठन: 1927 में अब्दुल कय्यूम अंसारी ने “अखिल भारतीय मोमिन कांफ्रेंस” की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य पिछड़े मुसलमानों, खासकर अंसारी (जुलाहों) और अन्य समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्य करना था। उन्होंने इस संगठन के माध्यम से साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षिक विकास पर जोर दिया।
3. अलगाववादी राजनीति का विरोध: उन्होंने मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति का कड़ा विरोध किया। उनका मानना था कि मुस्लिम लीग भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है और इसके द्वारा किया गया पाकिस्तान का विचार भारतीय मुसलमानों के हित में नहीं था।
न्होंने धर्म के आधार पर राजनीति करने के बजाय, समानता, धर्मनिरपेक्षता और भारत की एकता के विचार को बढ़ावा दिया।
4. शिक्षा का प्रसार: उन्होंने मुसलमानों की शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने महसूस किया कि अशिक्षा ही मुसलमानों की गरीबी और पिछड़ेपन का मुख्य कारण है। उनके प्रयासों से बिहार के कई इलाकों में स्कूल, कॉलेज और मदरसे स्थापित हुए।
5. दलित मुसलमानों के अधिकारों के लिए संघर्ष: अंसारी ने दलित मुसलमानों, जैसे अंसारी, धोबी, नाई, और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने इन समुदायों के लिए सामाजिक और राजनीतिक समानता की वकालत की। उन्होंने उन्हें मुख्यधारा में लाने और उनके आर्थिक विकास के लिए योजनाओं पर जोर दिया।
6. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। वे महात्मा गांधी और कांग्रेस के साथ जुड़े रहे। उन्होंने अंग्रेजों की “फूट डालो और राज करो” नीति का विरोध किया और सभी धर्मों के लोगों को एकजुट किया। उनके नेतृत्व में बिहार में कई आंदोलनों को मजबूती मिली।
7. बिहार की राजनीति में योगदान: अंसारी ने बिहार की राजनीति में एक धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील दृष्टिकोण लाने का काम किया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर रहते हुए मुसलमानों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए योजनाएं बनाईं। उन्होंने बिहार के ग्रामीण इलाकों में मुसलमानों की समस्याओं को उठाया और उनके समाधान के लिए काम किया।
8. सामाजिक समरसता का संदेश: अंसारी ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए काम किया। उन्होंने बिहार में सांप्रदायिक दंगों के समय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रयास किए। उनका मानना था कि भारतीय समाज की ताकत उसकी विविधता में है और इसे मजबूत करना ही सभी का कर्तव्य है।
निष्कर्ष: अब्दुल कय्यूम अंसारी ने बिहार की राजनीति और भारतीय मुसलमानों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को दूर करने की कोशिश की, बल्कि भारतीय समाज को एक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रयास आज भी एक आदर्श के रूप में देखे जाते हैं।