बिहार में पटना के निकट बिहटा में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का कार्य तेजी से प्रगति पर है। यह परियोजना न केवल राज्य की कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगी, बल्कि बिहार की पहचान को वैश्विक मंच पर भी स्थापित करने का माध्यम बनेगी। ऐसे में इस हवाई अड्डे के नामकरण का विषय न केवल प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संकेतक भी है। इसी संदर्भ में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने यह मांग उठाई है कि इस हवाई अड्डे का नाम बिहार के स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और सामाजिक समरसता के प्रतीक श्री अब्दुल कय्यूम अंसारी के नाम पर रखा जाए।
अब्दुल कय्यूम अंसारी: एक परिचय- श्री अब्दुल कय्यूम अंसारी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समता के क्षेत्र में एक प्रकाशस्तंभ की तरह है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से जुड़कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की और विभाजन के दौर में जब पूरा देश साम्प्रदायिक उथल-पुथल से जूझ रहा था, तब उन्होंने एक स्पष्ट और साहसी रुख अपनाया – उन्होंने जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत और पाकिस्तान की मांग का खुला विरोध किया।
विभाजन-विरोधी रुख और राष्ट्रीय एकता का संदेश- जब मुस्लिम लीग देश को धर्म के आधार पर बांटने की जिद पर अड़ी थी, तब कय्यूम अंसारी ने “मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत” के बैनर तले मुस्लिम समुदाय के भीतर से ही एक मजबूत आवाज उठाई कि भारत सभी धर्मों का साझा देश है और विभाजन इस देश की आत्मा के खिलाफ है। इस साहसी और देशप्रेम से भरे रुख ने उन्हें तत्कालीन भारत में एक अद्वितीय और ऐतिहासिक नेता बना दिया।
समाज सुधार और समरसता के पक्षधर- श्री अंसारी ने न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाई। वे पसमांदा मुसलमानों के सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक उत्थान के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। उनका पूरा जीवन सामाजिक न्याय और समावेशिता को समर्पित रहा, जो आज के भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है।
नामकरण के संभावित लाभ
1. ऐतिहासिक न्याय और सम्मान: अब्दुल कय्यूम अंसारी जैसे स्वतंत्रता सेनानी को उचित राष्ट्रीय पहचान और सम्मान देने का इससे बेहतर अवसर और कोई नहीं हो सकता।
2. सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा: उनका जीवन सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। उनके नाम पर हवाई अड्डा सामाजिक एकता का संदेश देगा।
3. प्रेरणास्रोत बनेंगे: आज की युवा पीढ़ी जिन नामों और विचारों से घिरी है, उनमें राष्ट्रीय मूल्यों, बलिदान और सामाजिक समता के आदर्शों को जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। अंसारी जी का नाम इसका माध्यम बनेगा।
4. बिहार की पहचान को नया आयाम: यह नाम बिहार के ऐतिहासिक, विविधतापूर्ण और समावेशी चरित्र को वैश्विक मंच पर सामने रखेगा।
अन्य नामों की तुलना में अब्दुल कय्यूम अंसारी का योगदान- यह भी महत्वपूर्ण है कि यदि किसी सार्वजनिक स्थल या संस्थान का नामकरण किया जा रहा है, तो उसका आधार केवल धर्म, जाति या क्षेत्र न होकर उस व्यक्ति का सामाजिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय योगदान होना चाहिए। ऐसे में कुछ अन्य प्रस्तावित नामों की तुलना में श्री अंसारी का योगदान कहीं अधिक व्यापक, समावेशी और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने न तो केवल मुसलमानों के लिए काम किया, न ही केवल पसमांदाओं के लिए — बल्कि उनके विचारों और प्रयासों में पूरे भारत की साझा संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता थी।
बिहटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम “अब्दुल कय्यूम अंसारी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा” रखा जाना न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी के प्रति श्रद्धांजलि होगी, बल्कि यह बिहार और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, सामाजिक न्याय, और एकता के मूल्यों को सम्मानित करने का भी एक ऐतिहासिक कदम होगा।
बिहार सरकार से यह अपेक्षा करना न केवल उचित है, बल्कि यह उस ऐतिहासिक परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रतीक होगा, जो सच्चे राष्ट्रनायकों को स्मरण करके समाज को नई दिशा देने में विश्वास रखती है।
मुहम्मद युनुस
मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़,