परिचय- हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता का वैश्विक मंच है। इस वर्ष, 2025 में, ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने इस अवसर को एक प्रेरणादायक पहल के साथ मनाया। संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जनाब मोहम्मद यूनुस साहब और राष्ट्रीय सलाहकार जनाब अख्तर हुसैन ने पौधारोपण और जागरूकता अभियानों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का सशक्त संदेश दिया। उनकी यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि समाज को एकजुट होकर प्रकृति की रक्षा के लिए प्रेरित भी करती है।
पौधारोपण: जीवन का आधार- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर, मोहम्मद यूनुस साहब और अख्तर हुसैन ने पौधारोपण कर यह संदेश दिया कि पेड़-पौधे हमारे जीवन की नींव हैं। उनके द्वारा लगाए गए पौधे हरियाली, स्वच्छ हवा, और बेहतर पर्यावरण के प्रतीक हैं। इस अवसर पर यूनुस साहब ने कहा, “हर पौधा सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि ज़िंदगी की सांस है। आज का एक पेड़ कल की पीढ़ियों के लिए ऑक्सीजन है।” वहीं, अख्तर हुसैन ने जोड़ा, “पेड़ों से प्यार करना इंसानियत से प्यार करने जैसा है।” ये कथन पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी गहरी सोच और सामाजिक जिम्मेदारी को रेखांकित करते हैं।
पेड़ जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, मरुस्थलीकरण, और जैव-विविधता हानि जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने का प्रभावी साधन हैं। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, और जैव-विविधता को बढ़ावा देते हैं। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की इस पहल ने समाज को यह संदेश दिया कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव संभव है।
जूम मीटिंग: सामूहिक जागरूकता का मंच
4 जून, 2025 को संगठन द्वारा आयोजित जूम मीटिंग में पर्यावरण संरक्षण पर व्यापक चर्चा हुई। इस मीटिंग में संगठन के पदाधिकारियों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर बल दिया:
1. वृक्षारोपण की अपील: प्रत्येक व्यक्ति से कम से कम एक पेड़ लगाने और उसकी देखभाल करने का आह्वान किया गया।
2. सामुदायिक एकता: पसमांदा समुदाय सहित समाज के सभी वर्गों को पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट करने का प्रयास।
3. सतत विकास: विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर।
4. जागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों, और समुदायों में पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने की योजना।
इस मीटिंग में पर्यावरण संरक्षण कॉर्नर स्थापित करने और जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा भी की गई। ये कॉर्नर लोगों को पेड़ों के महत्व, जल संरक्षण, और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के उपायों के बारे में शिक्षित करने का माध्यम बने।
पेड़ों की अनमोल भूमिका
पेड़ प्रकृति का अनमोल उपहार हैं, जो पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं। उनकी भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. ऑक्सीजन उत्पादन: एक परिपक्व पेड़ सालाना लगभग 260 पाउंड ऑक्सीजन उत्पन्न करता है, जो मानव और जीवों के लिए जीवनदायी है।
2. जलवायु नियंत्रण: पेड़ ग्रीनहाउस गैसों को कम कर ग्लोबल वॉर्मिंग को नियंत्रित करते हैं। शहरी क्षेत्रों में ये तापमान को कम करते हैं, जिससे ऊर्जा बचत होती है।
3. मिट्टी और जल संरक्षण: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं, जिससे कटाव और भूस्खलन की समस्या कम होती है। ये जल चक्र को भी संतुलित रखते हैं।
4. जैव-विविधता का आधार: पेड़ अनगिनत प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है।
5. सांस्कृतिक और औषधीय महत्व: भारत में पीपल, बरगद, नीम, और तुलसी जैसे पेड़ों का धार्मिक और औषधीय महत्व है, जो सामाजिक और आध्यात्मिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
पेड़ों की कमी से उत्पन्न चुनौतियाँ
पेड़ों की कमी से कई गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं:
– वायु प्रदूषण: पेड़ों के अभाव में PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक बढ़ते हैं, जिससे सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ती हैं।
– जलवायु संकट: कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर ग्लोबल वॉर्मिंग को तेज करता है, जिससे प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ती हैं।
– मिट्टी का कटाव: पेड़ों के बिना मिट्टी का क्षरण बढ़ता है, जिससे कृषि और खाद्य सुरक्षा पर संकट गहराता है।
– जैव-विविधता ह्रास: पेड़ों की कटाई से कई प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होता है।
– मानव जीवन पर प्रभाव: खाद्य, औषधि, और संसाधनों की कमी से मानव जीवन संकट में पड़ सकता है।
भारत में पर्यावरण संरक्षण के प्रयास- भारत सरकार और विभिन्न संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे, और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जैसे प्रयास प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छता को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 के अनुसार, देश का वन क्षेत्र 21.71% है, और प्रोजेक्ट टाइगर व प्रोजेक्ट एलिफेंट जैसे कार्यक्रम जैव-विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा, भारत के 80 रामसर स्थल और MISHTI जैसी योजनाएँ मैंग्रोव और जैव-विविधता संरक्षण को मजबूत कर रही हैं।
सामूहिक जिम्मेदारी और समाधान
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने पर्यावरण संरक्षण को सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में रेखांकित किया है। इसके लिए निम्नलिखित कदम सुझाए गए हैं:
1. वृक्षारोपण: प्रत्येक व्यक्ति को स्थानीय प्रजातियों के पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने की अपील।
2. जागरूकता अभियान: स्कूलों, कॉलेजों, और समुदायों में सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन।
3. संसाधन संरक्षण: एकल-उपयोग प्लास्टिक और संसाधनों के दुरुपयोग को कम करना।
4. जंगल संरक्षण: अवैध कटाई पर रोक और जंगलों के संरक्षण के लिए सख्त नीतियों का समर्थन।
5. सामुदायिक भागीदारी: संगठनों और समुदायों को पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट करना।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की यह पहल हमें यह याद दिलाती है कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। मोहम्मद यूनुस साहब और अख्तर हुसैन का संदेश, “पेड़ों से मोहब्बत इंसानियत से मोहब्बत है,” प्रकृति और मानवता के गहरे रिश्ते को दर्शाता है। उनकी पौधारोपण और जागरूकता पहल एक स्वच्छ, हरा-भरा, और स्वस्थ भविष्य की नींव रखती है।
आइए, इस अवसर पर संकल्प लें कि हम पेड़ लगाकर, जागरूकता फैलाकर, और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटकर भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर धरती छोड़ेंगे। “एक पेड़, एक जीवन – लगाओ पेड़, बचाओ पर्यावरण!”