पसमांदा समाज को सांकेतिक सहायता नहीं, बल्कि राजनीतिक भागीदारी चाहिए: यूनुस
लखनऊ। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा पसमांदा मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों का स्वागत करता है। हाल ही में बीजेपी मुस्लिम मोर्चा द्वारा ईद के अवसर पर घोषित ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना, जिसके तहत 32 लाख गरीब और पसमांदा मुस्लिम परिवारों को खाद्य सामग्री और कपड़े वितरित किए जाने हैं, संगठन ने इसे एक सकारात्मक कदम माना है। हालांकि, संगठन का मानना है कि अगर यह योजना वक़्फ़ बोर्ड की ओर से चलाई जाती, तो अधिक उपयुक्त होता, क्योंकि वक़्फ़ के पास अपार संपत्ति है, जिसका सही उपयोग समाज के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए।
संगठन ने इस योजना के संचालन और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं भी व्यक्त की हैं। ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना का प्रबंधन मुख्य रूप से बीजेपी मुस्लिम मोर्चा में प्रभावशाली पदों पर बैठे अशराफ समुदाय के लोगों द्वारा किया जा रहा है, जबकि पसमांदा समाज ऐतिहासिक रूप से सत्ता और संसाधनों से वंचित रहा है। संगठन का मानना है कि यदि यह पहल वास्तव में पसमांदा मुसलमानों के हित में है, तो इसके संचालन और वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि इसका लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे।
इस अवसर पर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज़ हनीफ ने कहा, “हम ‘सौगात-ए-मोदी’ जैसी पहल का स्वागत करते हैं, लेकिन यह केवल सांकेतिक सहायता तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। पसमांदा मुस्लिम समाज के सशक्तिकरण के लिए शिक्षा और रोजगार पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।”
मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुहम्मद यूनुस ने कहा, “योजना का संचालन पारदर्शी होना चाहिए। पसमांदा समाज को इसका लाभ तभी मिलेगा जब वितरण में निष्पक्षता बरती जाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि “ऐतिहासिक रूप से वंचित पसमांदा समाज को केवल राहत सामग्री से नहीं, बल्कि राजनीतिक भागीदारी से सशक्त किया जाना चाहिए।”
प्रधान महासचिव मारूफ अंसारी ने कहा, “त्योहारों पर सहायता देना एक अच्छा कदम है, लेकिन पसमांदा समाज की प्रगति के लिए दीर्घकालिक योजनाएं अधिक जरूरी हैं।” राष्ट्रीय महासचिव रियाजउद्दीन बक्खो ने सरकार से अपील करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि इस योजना को एक व्यापक नीति का हिस्सा बनाया जाए, ताकि पसमांदा मुसलमानों का वास्तविक उत्थान सुनिश्चित हो सके।”