- स्वतंत्रता सेनानी को ‘मोहसिन-ए-कौम’ करार
- दिल्ली में बनेगा ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम उलमा बोर्ड
- बरेली लाठीचार्ज की निंदा, भड़काऊ बयानों पर कार्रवाई जरूरी
- पसमांदा समाज की सत्ता में हिस्सेदारी पर जोर
लखनऊ स्थित यू.पी. प्रेस क्लब में स्वतंत्रता सेनानी एवं पसमांदा समाज के गौरवशाली नायक श्री नियमतुल्लाह अंसारी की जयंती हर्ष उल्लास से आज प्रेस क्लब लखनऊ में मनाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश हाजी ताहिर अंसारी ने कहा की गोरखपुर के बुनकर समाज के प्रखर बुद्धिजीवी पसमांदा मुस्लिम एक्टिविस्ट , स्वतंत्रता संग्राम के नायक न्यामतुल्लाह अंसारी को उनके स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजो के विरुद्ध एक सामाजिक न्याय अधिकारिता के लिए छेड़ी गई क्रांति के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा,यह विचार व्यक्त करते हुए कहा के अंग्रेजी शासन ने स्वदेशी कपड़ा निर्माता बुनकर समाज जुलाहों पर रिज़ालत टैक्स को खत्म के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट तक कानून की लड़ाई लड़ी और जीती अंग्रेजो के द्वारा बुनकर उत्पीड़न को उनके अंगूठे काटे गए जिसको लेकर स्वतंत्रता संग्राम भारत छोड़ो आंदोलन में बुनकर समाज ने पूरी ताकत से अंग्रेजो को उखाड़ फेंकने में अपनी भूमिका निभाई जिसमें यह परिवार पेश पेश था जिसने पूरे देश में सबसे बड़े जागरूक बुनकर समाज को नेतृत्व को बल मिला,लेकिन इस एतिहासिक सच को मौका परस्त विदेशी मूल के मुस्लिम नेतृत्व ने अवहेलना की आज इसी के चलते देश में रचनात्मक वातावरण को कुछ धर्म के नाम पर सियासी ताकते सांप्रदायिक माहौल बनाना चाहती है,संचालक मोहम्मद यूनुस ने कहा के देश का 85% पसमांदा मुस्लिम समाज जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता के लिए संघर्ष कर रहा है अब इन धार्मिक लबादा ओढ़े सियासी चलो में नहीं आने वाला पसमांदा मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद साहेब के आई लव यू के नाम पर सियासी उन्माद की जगह आई फॉलो मोहम्मद पर विश्वास और अमल करने वाला है,जिसके लिए पसमांदा मुस्लिम को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है,पैगंबर मोहम्मद साहेब के आखिरी खुतबे सामाजिक समरसता सामाजिक न्याय अधिकारिता के सिद्धांतों की चर्चा नहीं होती जो विश्व के जनमानस को एक संदेश था जो केवल मुस्लिम के लिए नहीं था इसकी चर्चा नहीं होती।
कार्यक्रम का संचालन अहमद अंसारी ने किया, निवेदक प्रदेश प्रभारी अफजल अंसारी ने किया ।
इस अवसर पर संगठन ने यह घोषणा की कि अशराफ उलमाओं द्वारा पसमांदा उलमाओं के साथ किए जा रहे भेदभाव का सामना करने हेतु बहुत जल्द दिल्ली में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम उलमा बोर्ड का गठन किया जाएगा। संगठन ने बरेली में हाल ही में हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मौलाना तौकीर रजा के भड़काऊ बयानों पर की गई कार्यवाही को आवश्यक बताया इसी क्रम में कानपुर विवाद पर भी प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया गया कि वहां का मामला पैगंबर साहब ﷺ से संबंधित नहीं था, बल्कि दूसरे धर्म के बैनर फाड़ने का था, जिसे कुछ अशराफ मौलवियों और नेताओं ने राजनीतिक लाभ के लिए गलत रूप में प्रस्तुत किया। संगठन ने पसमांदा समाज से शांति बनाए रखने, अनावश्यक धरना-प्रदर्शन से बचने और आपसी सौहार्द को प्राथमिकता देने की अपील की, साथ ही प्रशासन से संतुलित एवं न्यायपूर्ण कार्रवाई की मांग की है।
कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नियमतुल्लाह अंसारी के योगदान को विस्तार से याद किया गया। 28 सितम्बर 1903 को गोरखपुर में जन्मे नियमतुल्लाह अंसारी साहब का असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहे तथा महात्मा गांधी ने उन्हें गोरखपुर का पहला सत्याग्रही घोषित किया था, उन्होंने मुस्लिम लीग और दो-राष्ट्र सिद्धांत का दृढ़ विरोध किया और पसमांदा समाज की गरिमा स्थापित करने के लिए रजालत टेक्स का अंत कराया। वे उर्दू साहित्य में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए स्मरण किए जाते हैं और मुसलमानों में सामाजिक न्याय की आवाज बुलंद करने वालों में अग्रणी थे।
इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में पूर्व आईएएस अनीस अंसारी, मऊ के चेयरमैन अरशद जमाल, इं. तनवीर सलीम, अल्ताफ अंसारी, शहरयार जलालपुरी, इंजीनियर हसन शहीर, इकबाल अहमद अंसारी, मसूद आलम फलाही, फैय्याज अहमद फैजी, शारिक अदीब, हाजी नेहाल, हाशिम पसमांदा, शमीम अंसारी मुख्तार अंसारी, हारून राइन, शाहीन अंसारी, मुजफ्फर अंसारी, शकील घोसी, मो. आलम, रियाजुद्दीन बक्खों, मोहम्मद इलियास , एजाज इदरीसी, मो. हनीफ कुरैशी, मो. इकबाल इदरीसी, मो. अमीर मसऊदी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
अंत में, ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने नियमतुल्लाह अंसारी को ‘मोहसिन-ए-कौम‘ करार देते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया और पसमांदा मुस्लिम समाज के सत्ता में हिस्सेदारी, व भागीदारी के लिये अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
स्वतंत्र सेनानी नियमतुल्लाह अंसारी साहब जयंती पर कोटि कोटि नमन करता हूं 🙏 जिस तरह से देश के कही पसमांदा समाज के एपी जे अब्दुल कलाम जी, विरजवान सेनानी अब्दुल हमीद,पसमांदा समाज का देश कि आजादी में योगदान रहा ये कोई इतिहास के पन्नो पर भूल नहीं सकता लेकिन अफसोस के साथ ये भी कहना पढ़ रहा है देश कि आजादी के बाद से 85% वाला पसमांदा ओबीसी समाज बिछड़ा क्यू रखा गया? सभी राजकीय पार्टी को बिछड़ा समाज का वोट चाहिए लेकिन सिर्फ चुनाव हो वहां तक ही पूछा जा रहा है सिर्फ वोट और डरी बिछाने के लिए चुनाव हो जाने के बाद पसमांदा समाज को बिरयानी के तेज पत्ते कि तरह स्वाद अनुसार इस्तेमाल करने के बाद फेक दिया जाता है देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी भी पसमांदा कि बात कर रहे हैं क्या वह भी सिर्फ मोदीजी के मंच तक सीमित रहेगा? किसी भी पार्टी पर कबतक भरोसा किया जा सकता है? केन्द्र सरकार से अनुरोध है जातीय जनगणना आधार पर पसमांदा समाज को शिक्षा,रोजगार, राजकीय भागदारी, मुस्लिम पसमांदा बिछड़ा समाज को अपना अधिकार मिलना चाहिए।। जय हिन्द जय भारत।। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ओबीसी सलीम गरासिया प्रदेश अध्यक्ष गुजरात 🙏🙏