पसमंदा आंदोलन भारत में मुसलमानों के भीतर सामाजिक और आर्थिक न्याय की मांग करने वाला एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन है। यह आंदोलन मुख्य रूप से उन मुस्लिम समुदायों के अधिकारों के लिए काम करता है जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे हैं, जैसे कि पिछड़े, दलित और आदिवासी मुसलमान (Other Backward Classes – OBC, Scheduled Castes – SC, और Scheduled Tribes – ST के अंतर्गत आने वाले मुसलमान)।
पसमंदा आंदोलन की पृष्ठभूमि
“पसमंदा” फ़ारसी शब्द है, जिसका अर्थ है “पीछे छूटे हुए” या “शोषित”।
यह आंदोलन मुख्य रूप से ऑल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज और अन्य पसमंदा मुस्लिम नेताओं द्वारा उठाया गया, जिन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को खत्म करने और सामाजिक न्याय की मांग की।
पसमंदा मुसलमानों का कहना है कि मुस्लिम समाज में भी ऊँची जातियों (मुख्यतः अशराफ— सैयद, शेख, मुगल, पठान) का प्रभुत्व रहा है, जबकि पिछड़े वर्गों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पीछे रखा गया।
पसमंदा आंदोलन की प्रमुख माँगें
1. आरक्षण और प्रतिनिधित्व – OBC, SC, ST मुसलमानों को सरकारी नौकरियों, शिक्षा और राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले।
2. जातिगत भेदभाव का अंत – मुस्लिम समाज के भीतर मौजूद जातिगत भेदभाव को समाप्त किया जाए।
3. सामाजिक और आर्थिक विकास – पसमंदा मुस्लिम समुदायों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं।
4. धार्मिक पहचान से अलग सामाजिक न्याय – मुस्लिम नेतृत्व केवल धार्मिक मुद्दों पर ध्यान न देकर सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में काम करे।
पसमंदा बनाम अशराफ विवाद- पसमंदा आंदोलन इस धारणा को चुनौती देता है कि भारतीय मुस्लिम समाज एकसमान (homogeneous) है। यह मानता है कि मुस्लिम समाज भी जातिगत वर्गों में बंटा हुआ है, जहां अशराफ मुसलमानों (सैयद, शेख आदि) ने सत्ता और संसाधनों पर कब्जा किया हुआ है। आंदोलन का उद्देश्य है कि पसमंदा मुसलमानों को भी उनके अधिकार मिलें, जैसे कि हिंदू समाज के पिछड़े वर्गों को सामाजिक न्याय आंदोलनों (जैसे मंडल आयोग) के माध्यम से मिले।
राजनीतिक प्रभाव- हाल के वर्षों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने पसमंदा मुसलमानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। भाजपा समेत कई पार्टियों ने पसमंदा मुस्लिमों को विशेष रूप से जोड़ने की रणनीति अपनाई है। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह आंदोलन काफी प्रभावशाली रहा है।
निष्कर्ष- पसमंदा आंदोलन केवल मुस्लिम समाज में सुधार लाने की कोशिश नहीं कर रहा, बल्कि यह भारत में हाशिए पर पड़े सभी समुदायों के लिए समानता और सामाजिक न्याय की माँग कर रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी धार्मिक या जातिगत पहचान के कारण किसी समुदाय के साथ भेदभाव न हो और वे भी मुख्यधारा में शामिल हो सकें।