पसमांदा आंदोलन कितना सक्रिय और प्रभावशाली हो रहा है

समांदा आंदोलन कितना सक्रिय और प्रभावशाली हो रहा है पसमांदा चिंतक पदाधिकारी भली भांति जान रहे हैं,जो मजबूती के साथ आगे की ओर अग्रसर है, इसका दो उदाहरण सामने है पहला पसमांदा आयोग बनने बनाने का मामला कई राज्यों में प्रक्रिया में है , Adv.अदनान कमर साहब तेलंगाना अध्यक्ष का बयान पोस्ट देखा जा सकता है,

दूसरा कांग्रेस की ओर से पसमांदा संवाद कार्यक्रम का सदाकत आश्रम में रखा जाना, ये दोनों काम सामूहिक परिश्रम से आगे बढ़ा है,

सदाकत आश्रम में AIPMM बिहार संगठन की ओर से कुछ पदाधिकारी की उपस्थिति अगर हो जाती तो निश्चित पसमांदा मंच मोर्चे प्रकोष्ठ बनवाने का मामला भी कुछ और आसान हो जाता,

जिन लोगों को पसमांदा मंच मोर्चा प्रकोष्ठ बनवाने का लाभ नहीं दिखता है उनको आगे निश्चित पार्टीयों के संगठन में प्रकोष्ठ मोर्चा के अस्तित्व में आ जाने के बाद शर्मिंदगी का एहसास करायेगा,
ये काम भी व्यक्तिगत बहुत से लोगों का अपने स्तर, प्रयास से मुख्य बड़े हिंदू नेताओं के माध्यम से परिश्रम करने का पॉजिटिव नतीजा देगा,

एवं बाद में पसमांदा युवाओं को राजनीतिक तौर पर सक्रिय बनाने में लाभदायक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा,

सदाकत आश्रम मीटिंग में सम्मिलित न होना हो सकता है चुनाव लड़ने वाले पदाधिकारीओ को खुद के लिए लाभकारी नहीं लगा होगा, या उनको लगा होगा कि आयोग एवं लाभ का पद, सदस्य बनवाने में सहायक नहीं है,
इसलिए राजनीतिक तौर पर पसमांदा युवाओं को अभी से सक्रिय करने की चिंता के काम को पीछे रखा जाए,

पसमांदा संगठन को मजबूत बनाने में पार्टीयों में मंच मोर्चा प्रकोष्ठ बनवा पाना, मजबूत स्थम्ब सिद्ध होगा, ये एक कोरी कल्पना है,

हो सकता है व्यक्तिगत किसी को 25 चुनाव के स्तर पर लाभ न दिखे परंतु आने वाली पीढ़ी के लिए राजनीतिक तौर पर एक मजबूत पिलर सिद्ध होगा,

हम रहें या न रहें ये “चट मंगनी पट ब्याह” का मामला नहीं भी हो सकता है.