पसमांदा आंदोलन और विमर्श: इतिहास, योगदान और समकालीन परिदृश्य

पसमांदा आंदोलन भारत के मुस्लिम समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता की मांग को लेकर एक ऐतिहासिक एवं परिवर्तनकारी पहल है। ‘पसमांदा’ शब्द उर्दू-फारसी मूल का है, जिसका अर्थ है “पीछे छूटे हुए” या “हाशिए पर धकेले गए लोग।” यह शब्द मुख्यतः मुस्लिम समुदाय के उन तबकों को इंगित करता है जो सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं — जैसे अरजाल, अजलाफ, ओबीसी, एससी और एसटी मुसलमान। यह आंदोलन मुस्लिम समाज के भीतर व्याप्त जातिगत भेदभाव और अशराफ (सवर्ण) वर्ग के वर्चस्व के खिलाफ एक सशक्त और समतामूलक विमर्श है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य- पसमांदा आंदोलन की वैचारिक नींव मध्यकाल में संत कबीर, रैदास, बुल्लेशाह जैसे संतों ने रखी, जिन्होंने धर्म और जाति के नाम पर होने वाले भेदभाव की आलोचना की। आधुनिक युग में 20वीं सदी के प्रारंभ में जनाब आसिम बिहारी, मेजर इसहाक और अब्दुल कय्यूम अंसारी ने इसे संगठित आंदोलन का स्वरूप दिया।

आसिम बिहारी ने शिक्षा को बदलाव का औज़ार बनाते हुए लड़कियों के लिए स्कूल स्थापित किए। मेजर इसहाक ने मुस्लिम समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। अब्दुल कय्यूम अंसारी ने मुस्लिम लीग के दो-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध करते हुए भारतीय राष्ट्रवाद को सशक्त किया।

आन्दोलन को संगठनात्मक आधार देने हेतु 2000 के दशक में शब्बीर अंसारी, एजाज़ अली और अली अनवर अंसारी ने पटना से ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) की स्थापना की। वर्ष 2021 में मुहम्मद युनुस, एडवोकेट परवेज़ हनीफ और अन्य पसमांदा एक्टिविस्ट्स ने संगठन को पुनः सक्रिय करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्गठन किया। आज AIPMM देश के 13 राज्यों में सक्रिय है और 4 राज्यों में कार्यालय सुचारु रूप से संचालित हो रहे हैं।

AIPMM का योगदान

1. 🟤 जातिगत भेदभाव के विरुद्ध अभियान: कब्रिस्तान, मस्जिदों और सामाजिक आयोजनों में पसमांदा समाज के साथ होने वाले भेदभाव के विरुद्ध संगठन ने लगातार आवाज़ उठाई है।

2. 📘 शैक्षिक जागरूकता: ‘पसमांदा वॉयस’ जैसी पत्रिकाओं, शैक्षिक शिविरों और स्थानीय अभियानों के माध्यम से शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया गया।

3. 💰 आर्थिक सशक्तिकरण: ज़कात फाउंडेशन की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार, महिला सशक्तिकरण और ज़रूरतमंदों की सहायता सुनिश्चित की गई।

4. 🗳 राजनीतिक चेतना: समुदाय को जागरूक कर राजनीतिक सहभागिता में वृद्धि की गई और नेताओं से अधिकारों की स्पष्ट मांग करने की दिशा दी गई।

5. 🧠 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: अंधविश्वास, तस्लीमपरस्ती और रूढ़िवादिता के विरुद्ध वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया गया।

समकालीन राजनीति में पसमांदा विमर्श

1. 🟠 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा: 2022 में हैदराबाद कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री ने पसमांदा समाज की उपेक्षा का मुद्दा उठाया। दानिश आज़ाद अंसारी और तारिक मंसूर को महत्वपूर्ण पद दिए गए। वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 में प्रतिनिधित्व का प्रावधान इसी दिशा में कदम है। पसमांदा विमर्श को जनविमर्श में लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।

2. 🔵 राहुल गांधी और कांग्रेस: भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस के घोषणापत्र में पसमांदा समाज की बातें शामिल की गईं।

3. 🔴 समाजवादी पार्टी: अखिलेश यादव ने यूपी चुनावों में टिकट वितरण और बयानों के माध्यम से पसमांदा समाज की उपस्थिति को राजनीतिक रूप से स्वीकार किया।

4. 🟣 अन्य दल: जेडीयू, आरजेडी, बीएसपीअन्य दल भी पसमांदा समाज के मुद्दों पर बोलना आरंभ करने पर विचार विमर्श कर रहे हैं।

प्रमुख चुनौतियाँ

📉 सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन: सच्चर कमेटी के अनुसार, पसमांदा मुस्लिमों की स्थिति कई मामलों में दलितों से भी नीचे है।

⚖ जातिगत भेदभाव: मुस्लिम समाज के भीतर ही ऊँच-नीच और बहिष्कार की समस्या अब भी बनी हुई है।

🧭 प्रतिनिधित्व की कमी: राजनीति, प्रशासन और धार्मिक संस्थानों में अशराफ वर्ग का प्रभुत्व बना हुआ है।

📊 वोटबैंक की राजनीति: पसमांदा समाज को केवल चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जाना।

भविष्य की दिशा

1. 🎓 शिक्षा और कौशल विकास

2. 🗳 राजनीतिक नेतृत्व में भागीदारी

3. 📑 जातिगत जनगणना के माध्यम से नीति निर्माण

4. 🤝 मुस्लिम समुदाय के भीतर संवाद और मेलजोल

5. 👩‍🔧 महिला सशक्तिकरण

6. 💸 ज़कात फंड और पसमांदा पर्सनल लॉ बोर्ड की पारदर्शी स्थापना

पसमांदा आंदोलन का धार्मिक दृष्टिकोण- AIPMM का मानना है कि धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और इंसाफ का मार्गदर्शक होना चाहिए। संगठन पसमांदा समाज को मानवता, भाईचारा और करुणा के मूल्यों से जोड़ते हुए धर्म को इंसानी संवेदना से जोड़ने की कोशिश करता है।

महिला नेतृत्व और योगदान- पसमांदा आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। महिला विंग की स्थापना के माध्यम से बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, घरेलू हिंसा, और नेतृत्व विकास जैसे मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है। महिला कार्यकर्ता अब संगठनात्मक निर्णयों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

संगठनात्मक ढांचा

AIPMM का कार्य 5 स्तरों पर संचालित होता है:

1. राष्ट्रीय स्तर – राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी निदेशक

2. राज्य स्तर – प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य कार्यकारिणी

3. जिला स्तर – जिलाध्यक्ष एवं जिला समिति

4. तहसील स्तर – तहसील अध्यक्ष एवं स्थानीय कार्यकर्ता

5. ब्लॉक स्तर – ब्लॉक अध्यक्ष एवं यूनिट

हर स्तर पर पारदर्शिता, समावेशिता और सामाजिक न्याय को मूल आधार मानकर कार्य किया जाता है।

प्रदेश स्तरीय कार्य एवं स्टूडेंट्स विंग- AIPMM के तहत प्रत्येक प्रदेश में सामाजिक जागरूकता अभियान, शिक्षा शिविर, महिला सशक्तिकरण कार्यशालाएँ तथा पसमांदा जागृति अभियान आयोजित किए गए हैं। स्टूडेंट्स विंग युवाओं को नेतृत्व विकास, करियर काउंसलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और छात्रवृत्तियों में मदद करता है।

पसमांदा आंदोलन केवल मुस्लिम समाज के भीतर ही नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और समाज की संपूर्ण न्याय व्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी पहल है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने इसे संगठित दिशा, आवाज और राष्ट्रीय विमर्श में स्थान दिलाने का कार्य किया है। यह आंदोलन सामाजिक न्याय, समावेशिता और लोकतांत्रिक भागीदारी की दिशा में भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।

मुहम्मद युनुस
मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़