मोदी और पसमांदा मुसलमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पासमांदा मुस्लिम समुदाय के बीच संबंध एक दिलचस्प और महत्त्वपूर्ण विषय है। पासमांदा मुसलमान वे हैं जो नीची जातियों से इस्लाम में शामिल हुए हैं और भारतीय मुस्लिम आबादी का 85% हिस्सा बनाते हैं, फिर भी वे सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं।

मोदी सरकार ने विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से पासमांदा मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने का प्रयास किया है। एक प्रमुख कदम धारा 370 का निरसन था, जिसने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया। इसे मोदी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक माना जाता है, जिसे उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में पूरा किया।

इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार ने तीन तलाक को अवैध घोषित करके मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को सुदृढ़ किया। इस कदम को मुस्लिम महिलाओं के बीच व्यापक समर्थन मिला है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो तीन तलाक की प्रथा से प्रभावित थीं।

राजनीतिक दृष्टिकोण से, बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने और उनकी समस्याओं को समझने के प्रयास किए हैं और मुस्लिम समुदाय को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने की बात करते हैं

मोदी का पासमांदा मुसलमानों के प्रति दृष्टिकोण भाजपा की समग्र मुस्लिम नीति का हिस्सा है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना शामिल है। यह नीति भाजपा के पारंपरिक हिंदुत्व एजेंडे के साथ संतुलन स्थापित करने का प्रयास करती है, जिसमें सभी समुदायों को शामिल करने की बात कही जाती है,

यह बहस और चर्चा का विषय बना हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पासमांदा मुसलमानों के बीच संबंधों और राजनीतिक रणनीतियों पर कई पहलुओं पर चर्चा होती रही है। पासमांदा मुसलमान, जिन्हें मुस्लिम समुदाय में पिछड़ा माना जाता है,

मोदी सरकार ने 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर पासमांदा मुसलमानों को आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने पर जोर दिया है। बीजेपी का लक्ष्य उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अपना वोटर बेस बढ़ाना है, जहां पासमांदा मुसलमानों की संख्या महत्वपूर्ण है,

इसके अतिरिक्त, पासमांदा मुसलमानों की मांगें भी महत्वपूर्ण हैं। ये लोग जातिगत जनगणना, मौजूदा आरक्षण का पुनर्गठन, और शिल्पकारों और कारिगरों के लिए सरकार से समर्थन की मांग कर रहे हैं।

इस पूरी रणनीति के पीछे का मुख्य उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनाव में पासमांदा मुसलमानों के बड़े हिस्से को अपने पक्ष में करना है, जिससे बीजेपी का वोट बैंक मजबूत हो सके।।

✍ सरफराज अंसारी