ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के तत्वावधान में गठित “ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम पर्सन लॉ बोर्ड (AIPMPLB)” की स्थापना सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। इस बोर्ड की अवधारणा पसमांदा मुस्लिम समाज के भीतर ऐसे धार्मिक नेतृत्व (उलमा वर्ग) को संगठित करना है जो केवल पारंपरिक धार्मिक दायरे तक सीमित न रहकर समाज सुधार, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, संवैधानिक समानता और राष्ट्रीय एकता की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाए।
यह पहल धर्म और समाज के बीच एक सकारात्मक, आधुनिक और रचनात्मक सेतु का कार्य कर रही है, जिससे पसमांदा मुस्लिम समुदाय में नई सोच, आत्मबल और एकता की भावना उत्पन्न हो रही है।
🔹 प्रारंभिक प्रतिक्रिया (Initial Response)
AIPMPLB की घोषणा के बाद देश के विभिन्न राज्यों से अत्यंत सकारात्मक और प्रेरणादायक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
देशभर के उलमा, इमाम, मौलाना, हाफ़िज़, कारी और मदरसा शिक्षक इस मिशन से जुड़ने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं।
प्रारंभिक बैठकों और परामर्शों में यह स्पष्ट हुआ कि लंबे समय से समाज को ऐसे मंच की आवश्यकता थी जो धार्मिक विचार को सामाजिक न्याय, शिक्षा और राष्ट्रनिर्माण के साथ जोड़े।
इस कदम को शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और युवाओं से भी व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है।
यह माना जा रहा है कि यह पहल पसमांदा मुस्लिम समाज में एक नई बौद्धिक चेतना और आत्मसम्मान की भावना को जन्म देगी।
🔹 मुख्य उद्देश्य (Core Objectives)
AIPMPLB का कार्यक्षेत्र निम्नलिखित उद्देश्यों पर केंद्रित है —
1. सकारात्मक सामाजिक माहौल का निर्माण — धर्म और समाज के बीच संवाद स्थापित कर भाईचारा, सह-अस्तित्व और मानवता के मूल्यों को सशक्त बनाना।
2. शैक्षणिक उन्नति — पसमांदा समाज के बच्चों को आधुनिक, तकनीकी और व्यावहारिक शिक्षा से जोड़ना तथा मदरसों में समसामयिक विषयों को शामिल कराने के प्रयास करना।
3. आर्थिक एवं सामाजिक विकास — स्वरोज़गार, स्किल डेवलपमेंट, कारीगरी और उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित करना।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Temperament) — धार्मिक विमर्श में तर्क, विवेक और ज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देना।
5. राष्ट्रीय एकता और सद्भावना — पसमांदा समाज को संविधान और भारतीय संस्कृति की एकता से जोड़ना।
6. इस्लामी जानकारी का प्रसार — इस्लाम की सही समझ को पसमांदा मुस्लिम समाज में फैलाना तथा पसमांदा उलमाओं के माध्यम से फतवा, राय और मार्गदर्शन प्रदान करना।
🔹 वास्तविक सामाजिक परिप्रेक्ष्य (Ground Reality)
यह एक स्थापित सत्य है कि देश के अधिकांश कस्बों, नगरों और ग्राम पंचायतों में पसमांदा मुस्लिम उलमा, इमाम, मौलाना, हाफ़िज़, कारी और मदरसा शिक्षक धार्मिक और सामाजिक सेवाओं में समर्पित हैं।
वे मस्जिदों में नमाज़ अदा कराते हैं, अज़ान देते हैं, बच्चों को कुरआन और दीनी तालीम सिखाते हैं — यानी समाज के धार्मिक ढांचे की वास्तविक रीढ़ हैं।
फिर भी, यह देखा गया है कि उच्च धार्मिक नेतृत्व प्रायः अशरफ़ तबके तक सीमित रहा है, जबकि पसमांदा उलमा ज़मीनी स्तर पर समाज की नींव बनकर कार्य करते हैं।
अब आवश्यकता है कि इन उलमाओं को संगठित, सशक्त और बौद्धिक रूप से प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे समाज के उत्थान और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकें।
AIPMPLB इसी दिशा में एक ठोस, वैचारिक और ऐतिहासिक कदम है।
🔹 अपेक्षित परिणाम (Expected Outcomes)
पसमांदा उलमाओं में आत्मसम्मान, नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास होगा।
समाज में धार्मिकता के साथ आधुनिक सोच और सामाजिक चेतना का समन्वय स्थापित होगा।
पसमांदा युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
संगठनात्मक ढांचे में वैचारिक और बौद्धिक मजबूती आएगी।
समाज में समानता, सौहार्द और न्याय की भावना सशक्त होगी।
🔹 पहला चरण (First Phase Launch)
AIPMPLB का प्रथम चरण उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में प्रारंभ किया जा रहा है, जहाँ पसमांदा मुस्लिम आबादी अधिक है और उलमाओं की सामाजिक भूमिका महत्वपूर्ण है।
क्रमवार रूप से दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा में भी इसकी इकाइयाँ गठित की जाएंगी।
इस अभियान का लक्ष्य आगामी एक वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक संरचना स्थापित करना है।
🔹 कार्ययोजना (Plan of Action)
1. उलमा, इमाम, मौलाना, हाफ़िज़, कारी और मदरसा शिक्षकों को बोर्ड के उद्देश्यों और दृष्टि से अवगत कराना।
2. प्रत्येक राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर बैठकें, परिचर्चाएं और कार्यशालाएं आयोजित करना।
3. मदरसों और सामाजिक संस्थाओं में संवैधानिक अधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय पर सेमिनार आयोजित करना।
4. दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में “राष्ट्रीय पसमांदा उलमा कॉन्फ्रेंस” आयोजित की जाएगी, जिसमें —
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि उलमा भाग लेंगे।
इस कॉन्फ्रेंस में AIPMPLB का औपचारिक गठन किया जाएगा।
वर्ष 2026 के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना और अनुसंधान प्रकोष्ठ (Research Cell) की स्थापना पर चर्चा होगी।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम पर्सन लॉ बोर्ड (AIPMPLB) की यह पहल पसमांदा मुस्लिम समाज के धार्मिक नेतृत्व को सामाजिक न्याय, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और राष्ट्रनिर्माण की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
यह अभियान न केवल समाज में विचार, एकता और आत्मबल का संचार करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए समानता, सम्मान और ज्ञान आधारित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
AIPMPLB के माध्यम से पसमांदा उलमा सामाजिक सुधार, धार्मिक संयम और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बनेंगे — यही इस मिशन का अंतिम उद्देश्य है।
मुहम्मद यूनुस, मुख्य कार्यकारी निदेशक (CEO)
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़


दीनि तालीम के साथ सात शिक्षा भी जरूरी है पसमांदा बिछड़ा समाज मुस्लिम् प्रश्नल लो बोर्ड और वक्फ बोर्ड में पसमांदा समाज कि गिनती करने जाए चावल के कंकर के बराबर नहीं है क्यूं के भेद जातिवाद के शिकार बनाया गया हमे जागृत होना बहुत जरूरी है आने वाले बच्चों का सुधार होना चाहिए