होली और रमज़ान: एकता और सौहार्द्र का संदेश

भारत अनेक संस्कृतियों और धर्मों का संगम है, जहाँ हर समुदाय के लोग मिल-जुलकर अपने-अपने त्योहारों को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह विविधता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इस वर्ष होली का पर्व रमज़ान के पवित्र महीने में जुमे (शुक्रवार) के दिन पड़ रहा है। यह पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है, और हर बार हमारे समाज ने आपसी सम्मान, प्रेम और सौहार्द्र की मिसाल पेश की है।
होली का महत्व और धार्मिक पृष्ठभूमि
होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम, भाईचारे और आनंद का प्रतीक है। इस त्योहार का संबंध पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है।
1. प्रह्लाद और होलिका की कथा- इस कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने के लिए कई प्रयास किए। अंततः उसने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने के लिए कहा। लेकिन ईश्वर की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया। यही घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बन गई और होली मनाने की परंपरा शुरू हुई।
2. होली का कृषि और मौसम चक्र से संबंध- होली का त्योहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारतीय कृषि संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है। यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और नई फ़सल की खुशी मनाने का पर्व है। इस दौरान खेतों में नई फसलें लहलहाती हैं और किसान ईश्वर को धन्यवाद देते हुए खुशियाँ मनाते हैं। इसी कारण होली को ‘फसली त्योहार’ भी कहा जाता है।
रमज़ान और उसकी अहमियत- रमज़ान इस्लाम में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह आत्मसंयम, धैर्य, इबादत और सेवा का महीना होता है। रोज़े केवल भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, धैर्य और गरीबों के प्रति संवेदना का अवसर होते हैं। इस दौरान लोग इबादत में समय बिताते हैं और ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं।
रमज़ान हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में संयम, भाईचारे और परोपकार को अपनाना चाहिए। यह महीना हमें भौतिक सुखों से परे जाकर आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देता है।
एकता और सौहार्द्र का संदेश- भारत की सामाजिक परंपरा हमेशा से सहिष्णुता, आपसी सम्मान और भाईचारे की रही है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है कि हम एक-दूसरे के धर्म और पर्व का सम्मान करते आए हैं।
1. परस्पर सम्मान और समझदारी ज़रूरी
हिंदू भाई यह ध्यान रखें कि नमाज़ के समय किसी मस्जिद या नमाजियों पर रंग न डालें।
मुस्लिम भाई भी यह समझें कि रंगों का त्योहार केवल आनंद और खुशी फैलाने के लिए होता है।
दोनों समुदायों को चाहिए कि वे धैर्य और सम्मान के साथ एक-दूसरे के पर्वों का आदर करें।
2. समाज में सौहार्द बिगाड़ने वालों से सतर्क रहें
त्योहारों के समय कुछ असामाजिक तत्व अफवाहें फैलाकर और झगड़े करवाकर समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। हमें ऐसे किसी भी बहकावे में नहीं आना चाहिए और एकता और प्रेम के साथ त्योहार मनाना चाहिए।
इतिहास गवाह है: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसालें- भारत के इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जहाँ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की गई है। अकबर, जहांगीर और बहादुर शाह जफर जैसे मुग़ल बादशाहों ने होली खेली। टीपू सुल्तान और निज़ाम हैदराबाद जैसे शासकों ने दीपावली और होली मनाई। अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय में हिंदू-मुस्लिम साथ मिलकर त्योहार मनाते थे। बहादुर शाह ज़फ़र ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए हिंदू त्योहारों में हिस्सा लिया। यह दिखाता है कि हमारा देश हमेशा से गंगा-जमुनी तहज़ीब का केंद्र रहा है। हमें इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की अपील ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ सभी देशवासियों से अपील करता है कि इस वर्ष होली और रमज़ान को प्रेम और सद्भाव के साथ मनाएं। होली भाईचारे और आनंद का पर्व है, इसे मिल-जुलकर मनाएं। रमज़ान संयम और इबादत का महीना है, इसका पूरा सम्मान करें। अगर कोई गलतफहमी हो, तो अफवाहों पर ध्यान न देकर आपस में संवाद करें। हम सब एक ही देश के नागरिक हैं, हमें एकता और भाईचारा बनाए रखना है।
निष्कर्ष : त्योहार केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं होते, बल्कि वे हमें सामाजिक समरसता, प्रेम और भाईचारे की सीख भी देते हैं। हमारा देश एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता है, जिसमें हर धर्म और संस्कृति के फूल खिलते हैं। हमें इस एकता को बनाए रखना है और हर पर्व को सम्मान और प्रेम के साथ मनाना है।
इस अवसर पर सभी को होली और रमज़ान की अग्रिम शुभकामनाएँ!

– मुहम्मद युनुस
चीफ़ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़