इफ्तार बहिष्कार और वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का रुख

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का कुछ मुस्लिम संगठनों—जमात-ए-इस्लामी, जमात-ए-उलमा-ए-हिंद और जमात-ए-शरिया—द्वारा बहिष्कार किया गया। इन संगठनों ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को बहिष्कार का मुख्य कारण बताया। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) इस बहिष्कार के निर्णय से सहमत नहीं है और इसे तर्कसंगत विरोध का उचित तरीका नहीं मानता।
वक़्फ़ संशोधन विधेयक को लेकर विभिन्न मुस्लिम संगठनों के बीच मतभेद हैं। कुछ इसे पूरी तरह रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जबकि ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ इस विधेयक के कुछ प्रावधानों का समर्थन करता है और कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर पुनर्विचार की आवश्यकता मानता है।
महाज़ का स्पष्ट रुख इस प्रकार है:
1. विधेयक के कुछ प्रावधान आवश्यक हैं: वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कुछ कानूनी सुधार ज़रूरी हैं ताकि प्रभावशाली लोगों द्वारा इनका दुरुपयोग रोका जा सके।
2. कुछ प्रावधान विवादास्पद हैं: कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो वक़्फ़ संपत्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। महाज़ ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि वे इन बिंदुओं पर चर्चा कर राष्ट्रीय सहमति बनाएं और संतुलित विधेयक को पारित कराने का प्रयास करें।
3. वक़्फ़ बोर्ड में पारदर्शिता ज़रूरी: वक़्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन, पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रबंधन आवश्यक है।
महाज़ का मानना है कि वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर पूरी तरह विरोध के बजाय संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि पसमांदा समाज के वास्तविक हित सुरक्षित रहें।
इफ्तार पार्टी के बहिष्कार का विरोध क्यों?
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी के बहिष्कार को अनुचित मानता है। इसके पीछे निम्नलिखित कारण हैं:
1. नीतीश कुमार की पसमांदा समाज के प्रति सकारात्मक भूमिका- उन्होंने पिछड़ा, अति पिछड़ा और महा पिछड़ा वर्ग को राजनीतिक हिस्सेदारी दी है। बिहार में जातीय सर्वेक्षण करवाने का श्रेय उन्हें जाता है, जिससे पसमांदा मुस्लिम समाज को अपनी वास्तविक स्थिति और अधिकारों की पहचान मिली।
2. राजनीतिक संवाद का महत्व: इफ्तार केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सरकार और समाज के बीच संवाद का अवसर भी है। सरकार और समुदायों के बीच संपर्क बनाए रखना ज़रूरी है ताकि नीतियों में संतुलन बना रहे।
3. विरोध का सही तरीका: किसी नीति से असहमति हो तो विरोध बातचीत, चर्चा और सुझावों के माध्यम से किया जाए, न कि सामाजिक आयोजनों के बहिष्कार से। सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के अधिक प्रभावी तरीके मौजूद हैं, जिनका उपयोग करना चाहिए।
महाज़ की अपील: ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ अपने सभी पदाधिकारियों, सदस्यों और पसमांदा मुस्लिम समाज से अपील करता है कि वे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में भाग लें। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सरकार के साथ संवाद और समन्वय का अवसर भी है।
संगठन यह भी स्पष्ट करता है कि वक़्फ़ संशोधन विधेयक के विवादास्पद प्रावधानों पर सतर्क है और सरकार से अपेक्षा करता है कि इस विधेयक पर समुचित विचार-विमर्श कर सर्वसम्मत समाधान निकाला जाए।
नीतीश कुमार एक सेकुलर नेता हैं, और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ उनसे पूरी उम्मीद करता है कि जब यह विधेयक संसद में प्रस्तुत होगा और इस पर बहस होगी, तो वे उन प्रावधानों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे जो वक़्फ़ संपत्तियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इफ्तार पार्टी के बहिष्कार का निर्णय अशरफिया संगठनों का अपना मत हो सकता है, लेकिन यह पसमांदा मुस्लिम समाज के व्यापक हित में नहीं है। संवाद, भागीदारी और संतुलित दृष्टिकोण ही वास्तविक सुधार और नीतिगत बदलाव ला सकते हैं। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ इसी दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध है।