शहीद अब्दुल्लाह अंसारी: चौरी-चौरा के अमर सेनानी

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में चौरी-चौरा कांड (4 फरवरी 1922) एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों को चुनौती दी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। इस क्रांतिकारी घटना में अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें से एक शहीद अब्दुल्लाह अंसारी, जिन्हें “ग़ोबर जुलाहा” के नाम से भी जाना जाता है, का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।

शहीद अब्दुल्लाह अंसारी का परिचय- अब्दुल्लाह अंसारी समाज के एक साधारण मगर साहसी और देशभक्त व्यक्ति थे। वे पेशे से जुलाहा थे और समाज में ग़रीब तबके से आते थे। उनका जीवन संघर्ष और देशभक्ति की मिसाल था। ब्रिटिश शासन के दमनकारी अत्याचारों से त्रस्त होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और अपने साहस व नेतृत्व से अंग्रेजों को चुनौती दी।

चौरी-चौरा कांड और अब्दुल्लाह अंसारी का बलिदान- 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा में महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन के अंतर्गत एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जब आंदोलनकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नारेबाजी की, तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज और गोलीबारी शुरू कर दी। इससे आक्रोशित होकर प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय पुलिस थाना जला दिया, जिसमें 23 ब्रिटिश पुलिसकर्मी मारे गए। इस घटना के बाद, अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की। हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया और सैकड़ों लोगों को फांसी व कड़ी सज़ा दी गई। अब्दुल्लाह अंसारी उन जांबाज स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, जिन्हें इस संघर्ष के लिए ब्रिटिश सरकार ने शहीद कर दिया।

अब्दुल्लाह अंसारी का योगदान और पसमांदा समाज- शहीद अब्दुल्लाह अंसारी पसमांदा मुस्लिम समाज के उन वीर सपूतों में से थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान की कुर्बानी दी। आमतौर पर, इतिहास के पन्नों में दलित-पिछड़े समाज के बलिदानों को अनदेखा किया जाता है, लेकिन अब्दुल्लाह अंसारी जैसे योद्धाओं का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका संघर्ष यह दर्शाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन केवल उच्च वर्ग के नेताओं तक सीमित नहीं था, बल्कि पसमांदा मुस्लिम समुदाय ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की ओर से श्रद्धांजलि- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की ओर से शहीद अब्दुल्लाह अंसारी को शत-शत नमन। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए हमें सदैव संघर्षरत रहना चाहिए। पसमांदा समाज उनके आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए, शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। शहीद अब्दुल्लाह अंसारी का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक गौरवशाली अध्याय है। उनके बलिदान को स्मरण करना न केवल इतिहास के प्रति हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमें प्रेरित करता है कि हम सामाजिक समानता, न्याय और देश की प्रगति के लिए कार्य करते रहें। चौरी-चौरा कांड के इस वीर सेनानी को हम सभी का नमन।

“शहादतें मिटती नहीं, इतिहास बन जाती हैं।”

 

मुहम्मद युनुस

(चीफ़ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर)
ईमेल: ymohd930@gmail.com