महंगे फ्लैट रेट से पसमांदा बुनकर तबाही की कगार पर : पंचायत में गूंजा दर्द
टांडा बुनकर पंचायत : रोजगार, महंगाई और तालीम पर हुई तफ्सील से चर्चा
सरकारी लापरवाही से पसमांदा बुनकर कर्ज और मुफलिसी में : पंचायत में उठी आवाज़
बुनकर बिरादरी की पंचायत : हक़ और तालीम के लिए जारी रहेगी पुरअमन लड़ाई
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश सचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी श्री मोहम्मद सगीर अहमद बजी ने आल सकरावल, टांडा अम्बेडकर नगर में गरीब, कामगार, मेहनतकश पसमांदा बुनकर समाज की एक अहम पंचायत में भाग लिया। इस पंचायत में बुनकर बिरादरी की बदहाली, रोजगार की गिरती सूरत-ए-हाल, महंगा फ्लैट रेट, सरकारी सहूलतों की कमी और सबसे जरूरी तालीम के मसले पर तफ्सील से चर्चा की गई।
पंचायत में श्री बजमी ने कहा कि बुनकरी पेशा आज इक्तिसादी बदहाली का शिकार है। जहां कभी टांडा का कपड़ा दुनिया भर में मशहूर था, वहीं आज महंगाई, बेरोजगारी और सरकारी लापरवाही की वजह से बुनकर परिवार कर्ज और मुफलिसी की दलदल में धंसते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा महंगा फ्लैट रेट बुनकरों की कमर तोड़ चुका है। रोजाना मेहनत करने वाला बुनकर बिजली, करघा, धागा और बाजारी महंगाई के बोझ तले दबा हुआ है।
पंचायत में ये भी कहा गया कि तालीम के बिना बुनकर समाज की तरक्की नामुमकिन है। जब तक हमारे बच्चे इल्म हासिल नहीं करेंगे, हम सियासी, मआशी और मुआशरती तौर पर पीछे ही रहेंगे। बुनकरों ने मुत्तफिक तौर पर मुतालबा किया कि हुकूमत सरकारी स्कूलों, डिजिटल एजुकेशन और स्कॉलरशिप की सहूलतें बुनकर इलाकों में फौरी तौर पर मुहैया कराए।
पंचायत का माहौल जज्बात से भरा हुआ था। बुजुर्गों की आंखों में उम्मीद और नौजवानों के चेहरों पर बेचैनी साफ झलक रही थी। सबका ये मत था कि अगर पसमांदा बुनकर समाज की पुकार नहीं सुनी गई, तो आने वाले वक्त में यह हुनर, यह पेशा और यह तहजीब हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
आखिर में पंचायत ने एक मुत्तफिका फैसला लिया कि पसमांदा बुनकर समाज अपनी हक की लड़ाई को पुरअमन तरीके से जारी रखेगा और हुकूमत से मांग करता रहेगा कि उन्हें उनका हक दिया जाए।