राशिद अयाज़ (रांची रिपोर्टर )
रांची. आल इंडिया पसमांदा महाज़ राँची , झारखण्ड के तत्वावधान में कोकर स्थित कार्यालय में बड़े धूमधाम से स्वतंत्रता सेनानी बाबा ए कौम अब्दुल कय्यूम अंसारी एवं 1965 के भारत पाक जंग के नायक परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का जन्म दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सभी लोगों ने इन दोनो महापुरूषों को श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजली अर्पित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ड़ॉ. कलीम अंसारी प्रदेश अध्यक्ष, झारखण्ड ने की। इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के तौर पर इरफान अंसारी, जहूर अंसारी, अजहरुद्दीन, अमजद अंसारी अलीग आदि ने संबोधित किया।
अब्दुल कय्यूम अंसारी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी देश प्रेम की चर्चा इतिहास के पन्नों में दर्ज है। जिन्ना के घुर विरोधी रहे अब्दुल कय्यूम अंसारी का जन्म 1 जुलाई 1905 को बिहार के ज़िला शाहबाद के कस्बा देहरी आन सान में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। आज़ादी की लड़ाई में वह उम्र के शुरूआती हिस्से में ही कूद पड़े थे। उन्होंने स्कूल से अपना नाम कटवा लिया था क्योंकि वह अंग्रेजी हुकूमत का था। कुछ छात्रों के साथ मिलकर उन्होंने एक विद्यालय गठित किया। जिसकी वजह से 16 साल की उम्र में उन्हें जेल जाना पड़ा।
मोमिन आन्दोलन की शुरुआत की
अंग्रेजों के खिलाफत आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके बाद गांधी जी के आह्वान पर बिहार राज्य से असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया। अब्दुल कयूम अंसारी ने साइमन कमीशन के भारत आगमन पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मोमिन आन्दोलन की शुरुआत की। वो पहले मुस्लिम नेता थे जिन्होंने मुस्लिम लीग की अलगाववादी नीतियों व पाकिस्तान की मांग का जमकर विरोध किया था। 1942 में उन्होंने गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। 1947 में उन्होंने भारत के बंटवारे का जमकर विरोध किया और मुस्लिम समुदाय से अपील की वह भारत छोड़कर पाकिस्तान न जाए। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत वह बिहार सरकार में मंत्री बनाए गए। 1953 उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लासेस कमीशन का गठन कराया जो वाकई एक बड़ा कदम था। उन्होंने हमेशा देश के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया। वह भारत की हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। 18 जनवरी 1973 को इस महान् स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया। 2005 में भारतीय डाक सेवा द्वारा उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया।