बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार मानवाधिकारों का उल्लंघनः एआइपीएमएम

बांग्लादेशी हिन्दुओं के समर्थन में उतरा आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज
लखनऊ। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, पर हो रहे धार्मिक भेदभाव और अत्याचार की कड़ी निंदा करता है। यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज में सह-अस्तित्व, शांति और सौहार्द के मूल्यों पर गहरा आघात है।
हम यह समझते हैं कि किसी भी सभ्य समाज में धर्म और जाति के नाम पर अत्याचार, हिंसा, या भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। बांग्लादेश का संविधान अपने नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है। इसके बावजूद, अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार बांग्लादेश के बहुसांस्कृतिक और धर्मनिरपेक्ष समाज के आदर्शों के विपरीत हैं।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यक समुदायों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उनके खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम 21वीं सदी में जी रहे है और इस तरह की हिंसा के सभी मामलों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाना बहुत जरूरी है। बांग्लादेश सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कानून बनाए और उनके सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करे।
यदि आवश्यक हो, तो बांग्लादेश सरकार अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की सहायता लेकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने का प्रयास करे।
संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष मुहम्मद यूनुस ने कहा ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज धर्म मानवता का संदेश देता है और सभी धर्मों का मूल उद्देश्य सह-अस्तित्व, समानता, और शांति का प्रसार है। धार्मिक भेदभाव और हिंसा न केवल धर्म के मर्म को नकारते हैं, बल्कि समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा देते हैं। हम भारत और दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों, बुद्धिजीवियों, और धार्मिक नेताओं से अपील करते हैं कि वे बांग्लादेश में हो रहे इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएं और पीड़ित समुदायों को समर्थन दें। श्री युनुस ने कहा बांग्लादेश की सरकार को चाहिए कि वह तत्काल कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी नागरिक को धर्म, जाति, या पहचान के आधार पर भेदभाव और हिंसा का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा हम बांग्लादेश की सरकार से आपत्ति दर्ज करते हुए यह अपील करते हैं कि वह अपने अल्पसंख्यक नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करे और एक समावेशी समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाए।