ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल में हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में भड़की हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करता है। यह हिंसा, जो सामाजिक तनाव और गलतफहमियों का परिणाम है, न केवल समुदायों के बीच अविश्वास को बढ़ा रही है, बल्कि हमारी साझा सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को भी गंभीर नुकसान पहुँचा रही है।
मुर्शिदाबाद हिंसा पर हमारा दृष्टिकोण
मुर्शिदाबाद, जो कभी बंगाल के नवाबों की राजधानी और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा, आज हिंसा और विभाजन की त्रासदी का गवाह बन रहा है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर कुछ समूहों द्वारा फैलाई गई भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों ने क्षेत्र में सामाजिक तनाव को बढ़ाया है। परिणामस्वरूप, निर्दोष लोगों की जान गई, संपत्ति का नुकसान हुआ और समुदायों के बीच अविश्वास का माहौल पैदा हुआ। हम स्पष्ट करते हैं कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाना है, न कि किसी समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करना।
शांति और संयम की अपील
हम मुर्शिदाबाद के हिंदू और मुस्लिम समुदायों से हार्दिक अपील करते हैं कि वे संयम और धैर्य बनाए रखें। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है; यह केवल समाज को और कमजोर करती है। हम अपने हिंदू भाइयों और बहनों से अनुरोध करते हैं कि वे वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भ्रामक टिप्पणियों या विवादास्पद बयानबाजी से बचें, क्योंकि इस कानून का उनसे कोई सीधा सरोकार नहीं है। साथ ही, हम मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से पसमांदा मुस्लिम समाज, से आग्रह करते हैं कि वे किसी भी उकसावे या भड़काऊ प्रचार में न फँसें। यदि आपको लगता है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को नुकसान पहुँचा सकता है, तो कृपया संवैधानिक तरीके से, जैसे कि अदालत में याचिका दायर कर, अपना विरोध दर्ज करें। हिंसा और संघर्ष इसका समाधान नहीं है।
पसमांदा समाज के प्रति हमारी चिंता
हमें गहरी चिंता है कि कुछ संगठन अपने निहित स्वार्थों के लिए पसमांदा मुस्लिम समाज को भड़काकर सड़कों पर उतारने की कोशिश कर रहे हैं। यह अत्यंत दुखद है कि कुछ तथाकथित “अशरफ” संगठन पसमांदा समुदाय को गलत सूचनाओं के आधार पर उकसाने का प्रयास कर रहे हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि ऐसी हिंसक गतिविधियों का सबसे अधिक नुकसान पसमांदा और गरीब समुदायों को ही भुगतना पड़ता है। चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, हिंसा में सबसे अधिक प्रभावित समाज का सबसे कमजोर तबका होता है।
हमारी माँगें और सुझाव
1. तत्काल शांति बहाली: हम केंद्र और राज्य सरकार से माँग करते हैं कि मुर्शिदाबाद में शांति और कानून-व्यवस्था को तत्काल बहाल किया जाए। प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान किया जाए।
2. भ्रामक प्रचार पर रोक: सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से फैल रही अफवाहों और भड़काऊ सामग्री पर तुरंत रोक लगाई जाए। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
3. सामुदायिक संवाद: स्थानीय प्रशासन, धार्मिक नेताओं और सामाजिक संगठनों को मिलकर हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद और विश्वास बहाली के लिए पहल करनी चाहिए।
4. वक्फ बिल पर स्पष्टता: केंद्र सरकार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के प्रावधानों को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि गलतफहमियाँ दूर हो सकें।
5. पसमांदा समाज की सुरक्षा: हम माँग करते हैं कि पसमांदा मुस्लिम समाज को किसी भी तरह के उकसावे और हिंसा से बचाने के लिए विशेष उपाय किए जाएँ।
पसमांदा समाज के लिए हमारा संदेश- पसमांदा मुस्लिम समाज हमेशा से शांति, शिक्षा और सामाजिक प्रगति का पक्षधर रहा है। हम अपने समाज के युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों से कहना चाहते हैं कि आप अपनी ऊर्जा और समय को शिक्षा, रोजगार और सामुदायिक विकास में लगाएँ। हिंसा और उकसावे का रास्ता केवल हमें पीछे ले जाएगा। हमारा संघर्ष सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए है, और इसे हम संवाद, सहयोग और शांतिपूर्ण तरीकों से ही हासिल कर सकते हैं। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ मुर्शिदाबाद की हिंसा को एक दुखद और अनावश्यक घटना मानता है, जिसे समय रहते रोका जा सकता था। हम सभी समुदायों से एकजुट होकर शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने की अपील करते हैं। यह समय एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने का नहीं, बल्कि मिलकर समाज को मजबूत करने का है। पसमांदा समाज अपनी जिम्मेदारी समझता है और हम वादा करते हैं कि हम हर कदम पर शांति और एकता के लिए काम करेंगे।