“धर्म नहीं, इंसाफ़ चाहिए। किसी धर्म को कोई खतरा नहीं है — सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। पसमांदाओं को हक़ चाहिए!”
भारत का मुस्लिम समाज एकसमान नहीं है — इसके भीतर गहरी जातीय और वर्गीय असमानता है, जो सदियों से छुपाई जाती रही। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) ने इस ऐतिहासिक सच्चाई को बिहार से आवाज़ देकर सामने लाया। संगठन का उद्देश्य था — भारत के सबसे उपेक्षित, उत्पीड़ित और हाशिए पर डाले गए पसमांदा मुस्लिम समुदाय को संगठित करना और उनके अधिकारों के लिए एक सशक्त आंदोलन खड़ा करना।
जब अलीगढ़ में इस संगठन को विधिक पहचान दी गई, तब इसने केवल संगठनात्मक स्वरूप नहीं, बल्कि एक वैचारिक और सामाजिक क्रांति का रूप ले लिया। धार्मिक पहचान की आड़ में चले आ रहे जातीय वर्चस्व को संगठन ने चुनौती दी और भारत भर में पसमांदा चेतना की अलख जगा दी।
पसमांदा कौन हैं?
“पसमांदा” फ़ारसी का शब्द है — जिसका अर्थ है पीछे छूटे हुए। भारतीय संदर्भ में यह शब्द उन मुस्लिम तबकों को दर्शाता है जो:
दलित एवं आदिवासी मूल (अरज़ल) पिछड़े वर्ग (अजलाफ)
इनकी स्थिति मुस्लिम समाज में भी निम्नतम और उपेक्षित रही है।
प्रमुख पसमांदा जातियाँ: अंसारी (जुलाहा), मंसूरी (धुनिया), कुशवाहा/कसाई (कुरैशी), सलमानी (नाई), मेहतर (हलालखोर), घोसी (ग्वाला), कुंजड़ा (रायन) आदि।
भारत की मुस्लिम आबादी का 80–85% हिस्सा पसमांदा समुदाय से है, लेकिन वक़्फ़ बोर्ड, मदरसे, धार्मिक संस्थान, राजनीति और मुस्लिम नेतृत्व पर केवल 10–15% अशरफ़ तबकों का वर्चस्व रहा है।
बिहार से अलीगढ़: चेतना का विस्तार
स्थापना और पुनर्गठन- 1998 में बिहार से AIPMM की औपचारिक शुरुआत हुई, और कुछ वर्षों बाद जब इसे अलीगढ़ में विधिक रूप से पंजीकृत किया गया, तब इसने एक राष्ट्रव्यापी संरचना, योजना और प्रभावशाली कार्यनीति के साथ पसमांदा समाज की आवाज़ को धार देना शुरू किया और आज ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ देशव्यापी आन्दोलन के रूप में 12 प्रदेशों में कार्यरत हैं और चार मुख्य प्रदेशों लखनऊ यूपी, दिल्ली, फुलवारी शरीफ पटना बिहार,एवं रांची झारखण्ड में कार्यालय निरंतर कार्य कर रहे है।
AIPMM का दृष्टिकोण: धर्म नहीं, वर्गीय न्याय जरूरी
“धार्मिक और जज़्बाती मुद्दों पर लोगों को भड़काकर राजनीतिक लाभ उठाना अशरफ़ तबकों का काम रहा है।”
AIPMM के प्रमुख कार्यक्षेत्र और उपलब्धियाँ
1. राजनीतिक जागरूकता
भीड़, वोट और चंदा बनने की जगह पसमांदाओं को नेतृत्वकर्ता बनाने की पहल।
2019 में 27 मुस्लिम सांसदों में केवल 3 पसमांदा — आरक्षण और प्रतिनिधित्व की माँग को बल मिला।
2. जातिगत भेदभाव का विरोध
अलग कब्रिस्तान, अलग निकाह, मस्जिदों में भेदभाव जैसी प्रथाओं के खिलाफ आवाज़।
सामाजिक समानता और गरिमामयी जीवन की वकालत।
3. नीतिगत हस्तक्षेप
जाति आधारित जनगणना, दलित मुस्लिमों को SC दर्जा, EBC/MBC के लिए विशेष आरक्षण की लगातार माँग।
4. सामाजिक सुधारवादी अभियान: तीन तलाक, बहुविवाह, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर प्रगतिशील और संवैधानिक रुख।
मदरसे सुधार, लैंगिक समानता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार पर बल।
5. शैक्षिक और आर्थिक सशक्तिकरण-
ग्रामीण क्षेत्रों में डॉ. कलाम स्कूल, पसमांदा कोचिंग सेंटर, और वोकेशनल ट्रेनिंग हब की स्थापना।
पारंपरिक कार्यों से जुड़े लोगों को MSME, स्टार्टअप योजनाओं और स्वरोज़गार से जोड़ना।
प्रमुख आंदोलन और ऐतिहासिक पड़ाव
वर्ष अभियान / कार्यक्रम
2010 पसमांदा संकल्प रैली – लखनऊ
2014 SC दर्जा हेतु राष्ट्रपति को ज्ञापन
2020 कोविड राहत अभियान, शिक्षा मिशन
2022 पसमांदा आइकन सम्मान समारोह – पटना
2024 वक़्फ़ संशोधन बिल पर पारदर्शिता की माँग
2025 पसमांदा आयोग हेतु राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान
बौद्धिक हस्तक्षेप और नवाचार
“पसमांदा वॉयस” पत्रिका: लेख, विश्लेषण, रिपोर्टें
“पसमांदा आइकन” सीरीज़: वीर अब्दुल हमीद, बत्तख मियाँ, मौलाना असीम बिहारी आदि की स्मृति को पुनर्जीवित करना
“हक़ की बात” जनसंवाद कार्यक्रम: डिजिटल और ज़मीनी स्तर पर जागरूकता अभियान
मुख्य चुनौतियाँ
अशरफ नेतृत्व द्वारा धार्मिक और राजनीतिक बहिष्कार
पसमांदा शब्द को बाहरी थोपाव कहकर अस्वीकार करना
राजनीतिक दलों द्वारा केवल वोट बैंक समझना
धार्मिक नेतृत्व द्वारा आंदोलन को फितना या विद्रोह करार देना
समुदाय के भीतर जागरूकता की कमी और नेतृत्व की निरंतरता में बाधा
एक समतामूलक और आधुनिक भारत की दिशा में
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ केवल एक संगठन नहीं — यह एक वैचारिक धारा, सामाजिक आंदोलन और ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, जिसने धर्म की आड़ में सदियों से दबाए गए बहुसंख्यक मुस्लिम तबकों को यह एहसास दिलाया कि:
“वह भी इस देश के उतने ही हक़दार हैं — जितने कोई और।”
बिहार की ज़मीन से उठी यह आवाज़ जब अलीगढ़ के शैक्षिक मंच से गूंजी, तब यह आंदोलन महज़ आह्वान नहीं रहा — यह नई सामाजिक क्रांति की आहट बन गया।
AIPMM: धार्मिक कट्टरता से दूर, संवैधानिक राष्ट्रवाद की ओर
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ न किसी धार्मिक कट्टरता में विश्वास करता है, और न ही अशरफ मुस्लिम नेतृत्व द्वारा फैलाए गए उन्मादी एजेंडों में। संगठन का स्पष्ट दृष्टिकोण है:
“शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक सम्मान के मुद्दों पर सरकारों से जवाबदेही माँगना।”
यह संगठन किसी भी धर्म, पंथ या संप्रदाय के विरुद्ध नहीं है। कुछ धार्मिक टिप्पणी करने वाले लोग संगठन के सदस्य नहीं होते; यदि कोई सदस्य ऐसा वक्तव्य देता है, तो वह उसका व्यक्तिगत विचार होता है — संगठन की आधिकारिक नीति नहीं।
AIPMM सभी धर्मों का सम्मान करता है और सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में पसमांदा समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
“यह आंदोलन भीख नहीं, बराबरी का अधिकार मांगता है — संविधान के रास्ते, इंसाफ़ की ज़ुबान में, राष्ट्र की भावना से।”
मुहम्मद युनुस
मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़