बुखारी परिवार ने इमाम अहमद बुखारी के नेतृत्व में पूरी मस्जिद पर कब्जा कर लिया है और इसे अपनी निजी संपत्ति की तरह प्रयोग कर रहे हैं. वैसे तो कानूनी तौर पर जामा मस्जिद वक्फ की संपत्ति है लेकिन शायद सिर्फ कागजों पर. मस्जिद का पूरा प्रशासन आज सिर्फ बुखारी परिवार के हाथों में ही है.। मस्जिद पर बुखारी परिवार के कब्जे के विरोध में लंबे समय से संघर्ष कर रहे अरशद अली फहमी कहते हैं, ‘पूरी मस्जिद पर बुखारी और उनके भाइयों ने अंदर और बाहर चारों तरफ से कब्जा कर रखा है. मस्जिद का प्रयोग ये अपनी निजी संपत्ति के तौर पर कर रहे हैं. बुखारी जामा मस्जिद के इमाम हैं, जिनका काम नमाज पढ़ाना भर है लेकिन वो मस्जिद के मालिक बन बैठे हैं.’
बुखारी पर इन आरोपों की शुरुआत उस समय हुई जब मस्जिद के एक हिस्से में यात्रियों के लिए बने विश्रामगृह पर इमाम बुखारी ने कब्जा जमा लिया. बुखारी के खिलाफ कई मामलों में कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके सुहैल अहमद खान कहते हैं, ‘जामा मस्जिद में आने वाले यात्रियों के लिए सरकारी पैसे से जो विश्रामगृह बना था उस पर अहमद बुखारी ने अपना कब्जा कर उसे अपना विश्रामगृह बना डाला है. उस विश्रामगृह पर कब्जा करने के साथ ही बगल में उन्होंने अपने बेटे के लिए एक बड़ा घर भी बनवा लिया. बाद में जब मामले ने तूल पकड़ा तो उन्होंने उसे बाथरूम दिखा दिया.’
आरोपों की लिस्ट में सिर्फ ये दो मामले नहीं हैं. सुहैल बताते हैं, ‘डीडीए ने मस्जिद कैंपस में पांच नंबर गेट के पास जन्नतनिशां नाम से एक बड़ा मीटिंग हॉल बनाया था, जो आम लोगों के प्रयोग के लिए था. कुछ समय बाद अहमद बुखारी के छोटे भाई याह्या ने उस पर अपना कब्जा जमा लिया. आज भी उनका उस पर कब्जा है. इसके साथ ही गेट नंबर नौ पर स्थित सरकारी डिस्पेंसरी पर बुखारी के छोटे भाई हसन बुखारी ने कब्जा कर रखा है.
जिस जन्नतनिशां पर याह्या बुखारी के कब्जे की बात सुहैल कर रहे हैं उसी जन्नतनिशां में कुछ समय पहले दुर्लभ वन्य जीवों ब्लैक बक और हॉग डियर के मौजूद होने की खबर और तस्वीरें सामने आईं थी.
2012 में जामा मस्जिद के ऐतिहासिक स्वरूप को कथित अवैध निर्माण से बिगाड़ने संबंधी आरोपों को लेकर अहमद बुखारी के खिलाफ सुहैल कोर्ट गए थे. उन्होंने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया कि इमाम व उनके दोनों भाइयों ने जामा मस्जिद में अवैध निर्माण कराया है और वे आसपास अवैध कब्जों के लिए भी जिम्मेदार हैं. आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट ने एक टीम का गठन किया. बाद में उस टीम ने कोर्ट के समक्ष पेश की गई अपनी रिपोर्ट में इस बात को स्वीकार किया कि हां, मस्जिद में अवैध निर्माण कराया गया है.
‘जामा मस्जिद प्रांगण में तो इस परिवार ने अपना कब्जा जमाया ही है, इसके बाहर भी इस परिवार ने कब्जा कर रखा है. ‘मस्जिद के बाहर उससे सटे हुए सरकारी पार्कों के बारे में बताते हुए अरशद कहते हैं, ‘मस्जिद के चारों तरफ स्थित इन पार्कों पर बुखारी परिवार ने कब्जा कर रखा है. किसी को उन्होंने अपनी पर्सनल पार्किंग बना रखा है तो किसी को उन्होंने यात्रियों के लिए पार्किंग बना रखा है. इससे होने वाली आमदमी सरकारी खाते में नहीं बल्कि बुखारी परिवार के खाते में जाती है.’
अवैध कब्जे की ऐसी ही एक कहानी बताते हुए जामा मस्जिद के बाहर मोटर मार्केट में दुकान लगाने वाले तनवीर अख्तर कहते हैं, ‘मस्जिद के गेट नंबर एक के पास कॉर्पोरेशन का एक ग्राउंड है. वो शादी-ब्याह के लिए लंबे समय से इस्तेमाल होता था. लेकिन आज उस पर अहमद बुखारी के भाइयों का कब्जा है. किसी को अगर उस पार्क को शादी आदि के लिए बुक कराना है तो उसे बुखारी परिवार के आदमी को मोटी रकम देनी पड़ती है.’
नाम न छापने की शर्त पर मीना बाजार के एक दुकानदार कहते है, ‘चारों भाइयों ने चारों तरफ से मस्जिद पर कब्जा कर रखा है. इसके अलावा मस्जिद के गेट नंबर दो से लेकर लालकिला तक और गेट नंबर दो से ही उर्दू बाजार तक जितनी रेहड़ी पटरी की दुकानें हैं वो सभी इमाम के आशीर्वाद से ही चल रही हैं. इनकी कमाई का एक हिस्सा उन तक भेजा जाता है.’
मस्जिद प्रांगण के दुरुपयोग का एक उदाहरण देते हुए सैयद शहाबुद्दीन कहते हैं, ‘कुछ समय पहले इमाम अहमद बुखारी के छोटे भाई याह्या ने मस्जिद में ही मूर्ति बेचने की दुकान खोल ली थी. जिसकी इस्लाम में सख्त मनाही है. बाद में इसका भारी विरोध होने पर उन्होंने उस दुकान को बंद किया.’
साल 2006 में उस समय भी इमाम बुखारी गंभीर आरोप के घेरे में आए जब सउदी अरब के प्रिंस अब्दुल्ला ने जामा मस्जिद की रिपेयरिंग के लिए आर्थिक मदद देने की पेशकश की. सउदी प्रिंस की इस पेशकश पर भारत सरकार हैरान रह गई थी. सरकार ने प्रिंस से कहा कि वह अपनी मस्जिद की खुद मरम्मत करा सकती है और धन्यवाद के साथ उसने आर्थिक मदद लेने से इनकार कर दिया. बाद में पता चला कि इस पैसे की मांग कुछ समय पहले जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने सऊदी सरकार से की थी. उन्होंने वहां की सरकार से मदद करने की अपील करते हुए कहा था, ‘मसजिद की दीवारें टूट रही हैं, मीनारें में दरारें पड़ रही हैं. ऐसे में उसे रिपेयर करने में आप हमारी आर्थिक मदद करें.’
बुखारी से जब पूछा गया तो उन्होंने सउदी सरकार से ऐसी कोई मदद मांगने की बात से साफ इनकार कर दिया. हालांकि उस समय बुखारी बगलें झांकते नजर आए जब भारत में सऊदी अरब के राजदूत सालेह मोहम्मद अल घमडी ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने ही सऊदी सरकार से मस्जिद की मरम्मत के लिए आर्थिक सहायता का अनुरोध किया था. जानकार बताते हैं कि बुखारी ने पैसे के लिए सऊदी सरकार से संपर्क तो किया था लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह बिना भारत सरकार को बीच में लाए उन्हें मदद दे देगी.
तहलका मग़ज़िन् से साभार