-
शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी में समान अवसर की आवश्यकता: डॉ. आर्य
-
पसमांदा समाज की समस्याओं को मुख्यधारा में लाने पर जोर
-
मुस्लिम लीग और विदेशी आक्रांताओं की विचारधारा का पसमांदा समाज से कोई संबंध नहीं
-
पसमांदा मुसलमान भारत की असली संतान हैं: वक्ता
गया, बिहार, रविवार – ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़, बिहार की ओर से गया के अलीगंज स्थित रोज़ पैलेस हाल में पसमांदा जागरूकता संवाद का सफल आयोजन हुआ। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में समाज के राजनीतिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि का संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. नवीन कुमार आर्य ने कहा कि “समाज की वास्तविक तरक्की तभी संभव है, जब शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी में समान अवसर मिले।” उन्होंने रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों पर भी विस्तार से विचार साझा किए।
सम्मेलन की अध्यक्षता और उद्घाटन
-
कार्यक्रम की अध्यक्षता पुष्पेंद्र दांगी ने की।
-
उद्घाटन अंजुम आरा द्वारा किया गया।
वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि पसमांदा समाज की समस्याओं को मुख्यधारा की राजनीति और सरकारी योजनाओं में वाजिब जगह दिलाना समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
मुख्य बिंदु और विचार
-
वक्ताओं ने कहा कि भारत के मूलनिवासी पसमांदा मुसलमान हमेशा से सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते रहे हैं।
-
पसमांदा कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि 1946 के चुनाव में पसमांदा मुसलमानों ने मुस्लिम लीग को वोट नहीं दिया था।
-
उन्होंने आलोचना की कि इस्लाम और मुसलमानों के ठेकेदार नेता आज भी मुग़ल और चंगेज़ी आक्रांताओं की तारीफ कर समाज को गुमराह करते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि भारत के बंटवारे की मांग विदेशी नस्ल के मुस्लिम लीगियों ने की थी।
-
वक्ताओं ने कहा, “पसमांदा मुसलमान भारत के असली संतान हैं, न कि किसी विदेशी हमलावर की औलाद।”