पर्यटन और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते: शरीक अदीब अंसारी

तुर्की और अज़रबैजान में भारतीय पर्यटक: आर्थिक वरदान, भू-राजनीतिक झटका और बहिष्कार आंदोलन का उदय
2024 में भारतीय पर्यटकों ने वैश्विक यात्रा के रुझानों को नया रूप देने में एक निर्णायक भूमिका निभाई। तुर्की और अज़रबैजान इसके सबसे बड़े लाभार्थियों में शामिल रहे। बढ़ती आय, सरल वीज़ा प्रक्रियाएं, सीधी हवाई कनेक्टिविटी और रणनीतिक प्रचार अभियानों के कारण भारतीय पर्यटक इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में अहम योगदान देने लगे।
लेकिन अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद बिगड़े राजनयिक समीकरणों के चलते यह सफलता अब खतरे में है। पाकिस्तान के समर्थन में तुर्की और अज़रबैजान के बयानों ने भारत में तीव्र जनाक्रोश को जन्म दिया है और इन देशों की यात्रा पर पुनर्विचार की व्यापक मांग उठने लगी है। यह लेख तुर्की और अज़रबैजान में भारतीय पर्यटन की व्यापकता, उससे हुई आर्थिक प्रगति, और उभरते बहिष्कार के असर की गहराई से पड़ताल करता है।

पर्यटन का उभार: तुर्की और अज़रबैजान में भारतीयों की बढ़ती उपस्थिति
2024 में अनुमानित 2.7 करोड़ भारतीय विदेश यात्रा पर गए। उनमें तुर्की और अज़रबैजान प्रमुख गंतव्य बनकर उभरे। यह बढ़ोतरी किफायती दरों, सांस्कृतिक आकर्षण, और विशेष अनुभवों के साथ-साथ इन देशों द्वारा भारत के लिए बनाई गई नीतियों का परिणाम थी।

तुर्की: सांस्कृतिक संगम का आकर्षण- 2024 में लगभग 2.75 लाख भारतीय पर्यटकों ने तुर्की की यात्रा की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% अधिक थी। भारतीय पर्यटकों ने अनुमानित ₹2,900 से ₹3,350 करोड़ तुर्की की अर्थव्यवस्था में जोड़े।
इस्तांबुल, कप्पादोसिया और अंताल्या जैसे शहर भारतीय नवविवाहितों, परिवारों, फिल्म क्रू, चिकित्सा पर्यटकों और विवाह आयोजनों के लिए प्रमुख केंद्र बन गए। व्यावसायिक आयोजनों (MICE) की मांग में भी वृद्धि देखी गई।

अज़रबैजान: बाकू में भारतीयों की बहार- 2024 में करीब 2.5 लाख भारतीय पर्यटक अज़रबैजान पहुंचे—2022 की तुलना में 68% अधिक। भारत अब रूस, तुर्की और ईरान के बाद अज़रबैजान का चौथा सबसे बड़ा पर्यटन स्रोत बन गया। भारतीयों ने ₹1,000 से ₹1,250 करोड़ तक खर्च किए, और औसतन 4–6 दिन तक रुके।
बाकू में भारतीय भोजन, वेडिंग प्लानर्स, और बॉलीवुड थीम्ड आयोजनों की मांग तेजी से बढ़ी।

नीतिगत प्रयास जो भारत से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं
वीज़ा में सरलता: तुर्की ने समूह यात्रा, विवाह, और व्यावसायिक आयोजनों के लिए ई-वीज़ा प्रक्रिया को सरल किया। अज़रबैजान ने वीज़ा ऑन अराइवल और 24 घंटे में वीज़ा अप्रूवल जैसे उपाय किए।
हवाई कनेक्टिविटी: दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों से इस्तांबुल और बाकू के लिए सीधी उड़ानों की संख्या बढ़ी।
रणनीतिक प्रचार: तुर्की ने भारत में रोडशो किए, और भारतीय ट्रैवल एजेंटों को बुलाकर 2024 में एक बड़ा ‘फैम ट्रिप’ आयोजित किया। अज़रबैजान ने भारतीय विवाह बाजार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को लक्षित किया।

रोजगार और निवेश पर प्रभाव- भारतीय पर्यटकों की आमद से तुर्की में 20,000 प्रत्यक्ष और 45,000–60,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित हुईं। अज़रबैजान में बाकू जैसे शहरों में भारतीय खानपान, आयोजन, और सांस्कृतिक सेवाओं के लिए नौकरियों में वृद्धि हुई।
भारतीय कंपनियों ने तुर्की के पर्यटन क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में 35% अधिक निवेश किया।

भू-राजनीतिक उथल-पुथल: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमला
22 अप्रैल 2025 – पहलगाम आतंकी हमला:
बेसरन घाटी में 26 भारतीय पर्यटक—अधिकांश हिंदू—पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मार दिए गए।
7 मई 2025 – भारत का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने पाकिस्तान और POK में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके बाद:

तुर्की ने भारत की कार्रवाई को “पाकिस्तानी संप्रभुता का उल्लंघन” बताया।
अज़रबैजान ने “पाकिस्तानी जनता के साथ एकजुटता” की बात कही।
इन प्रतिक्रियाओं को भारत में विश्वासघात के रूप में देखा गया।

भारतीय प्रतिक्रिया: बहिष्कार आंदोलन का आग़ाज़
सोशल मीडिया, यात्रा मंचों और संस्थागत स्तर पर विरोध तेज हुआ।
EaseMyTrip के सह-संस्थापक निशांत पिट्टी ने तुर्की और अज़रबैजान की यात्रा रद्द करने की अपील की।
PickYourTrail ने इन देशों के लिए बुकिंग बंद की।
Go Homestays और Goa Villas ने Turkish Airlines से नाता तोड़ा।

सोशल मीडिया का आक्रोश
#BoycottTurkey, #SkipAzerbaijan, और #TravelWithDignity जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने ज़ोर दिया कि यात्रा अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मूल्यों की अभिव्यक्ति है।

आर्थिक घाटे का आकलन
अगर भारतीय पर्यटकों की संख्या 50% तक घटती है, तो: तुर्की को ₹1,450 से ₹1,675 करोड़ का वार्षिक घाटा हो सकता है।
अज़रबैजान को ₹500 से ₹625 करोड़ का नुकसान हो सकता है। भारतीय निवेश भी रुक सकता है, जिससे दीर्घकालिक विकास पर असर पड़ेगा।

विकल्पों की तलाश: जहां संस्कृति और सम्मान दोनों हों भारत के 400 मिलियन मिडिल क्लास के पास दुनिया की यात्रा दिशाओं को पुनर्परिभाषित करने की शक्ति है। अब भारतीय नए गंतव्यों की ओर देख रहे हैं जो भारत के मूल्यों का सम्मान करते हैं।

घरेलू विकल्प:
कश्मीर: बर्फ से ढके पहाड़, आध्यात्मिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य।
गोवा: सुंदर समुद्र तट, पुर्तगाली विरासत और जीवंत जीवनशैली।
पूर्वोत्तर भारत: मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल जैसे राज्यों की हरियाली।
अंतरराष्ट्रीय विकल्प:
यूनान (Greece): ऐतिहासिक धरोहर, भूमध्यसागरीय सुंदरता और भारतीयों के प्रति सद्भाव।
आर्मेनिया: भारत से गहरे कूटनीतिक संबंध और गर्मजोशी।
बाली (इंडोनेशिया): शांत समुद्र तट, आध्यात्मिक वातावरण और बजट में यात्रा।
मलेशिया: आधुनिकता और संस्कृति का संतुलन।
2024 में भारतीयों ने तुर्की और अज़रबैजान में ₹4,000–₹4,500 करोड़ का योगदान दिया। लेकिन जो देश आतंक के समर्थकों के साथ खड़े होंगे, उन्हें आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे। यह बहिष्कार केवल आक्रोश नहीं, बल्कि चेतना का परिचायक है—यात्रा अब मूल्य आधारित निर्णय बन चुकी है। अब समय आ गया है कि आप ऐसी यात्रा चुनें जो केवल आपकी आकांक्षाओं को नहीं, बल्कि आपके अंत:करण को भी प्रतिबिंबित करे।

शरीक अदीब अंसारी
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष
ऑल इंडिया पसमान्दा मुस्लिम महाज़
संपर्क: 9311893047
ईमेल: s.adeebansari@gmail.com