आखिर कहां जायें पसमांदा मुसलमान: राष्ट्रीय दलों के बाद क्षेत्रीय दल ने भी मुसलमानों को ठुकराया, झारखंड में एक भी सीट पर नहीं बनाया प्रत्याशी

राशिद अयाज़ , रांची रिपोर्टर

After all, where should Pasmanda Muslims go After national parties, regional parties also rejected Muslims, did not field candidates on even a single seat in Jharkhand.

रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए की ओर से सभी 14 सीटों पर उम्मीदवार मैदान पर हैं वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से भी रांची को छोड़कर 13 सीटों पर कैंडिडेट दे दिए गए हैं. लेकिन 27 उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम नाम शामिल नहीं है. इसे लेकर मुस्लिम समाज के मन में सवाल उठने लगे हैं. वे लोग ठगे महसूस कर रहे हैं.

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं जहां चार चरणों में मतदान हो रहे हैं. छठे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है. इन सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच होना माना जा रहा है. इन सबके बीच एक बार फिर चुनावी समर में झारखंड के मुसलमान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दलों की उपेक्षा का शिकार होने का आरोप मुस्लिम समुदाय ने राजनीतिक दलों पर लगाया है. अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष हाजी मुख्तार अहमद ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक नहीं बल्कि उन्हें वाकई में राजनीति में भागीदारी भी अपने आपको सेक्युलर कहने वाले दल को करना चाहिए.

झारखंड में मुसलमानों की आबादी करीब 20 फीसदी होने का दावा करते हुए हाजी मुख्तार अहमद ने कहा कि कम से कम लोकसभा की दो सीटों पर मुसलमान प्रत्याशी को जरूर मौका दिया जाना चाहिए था मगर ऐसा नहीं हुआ जिससे मुस्लिम समुदाय चिंतित है.

झारखंड में लोकसभा की 14 में से 08 सामान्य सीट है.

चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, रांची, जमशेदपुर और गोड्डा सामान्य सीटें हैं.
सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा, राजमहल और दुमका एसटी के लिए रिजर्व है.
एससी के लिए एकमात्र सीट पलामू रिजर्व है.
सामान्य सीटों पर मुसलमान हो सकते हैं खड़ा
झारखंड में करीब 18% है मुस्लिम आबादी

मतदान में बड़े वोटबैंक के रुप में मुसलमानों का होता रहा है इस्तेमाल

2019 के बाद 2024 में भी मुसलमानों को किया गया नजरअंदाज

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद 2024 में भी बड़े राजनीतिक दलों ने झारखंड में मुसलमान को काफी हद तक नजरअंदाज किया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन इसमें कोई भी सफल नहीं हो पाए. इस चुनाव में झारखंड में 21 मुस्लिम उम्मीदवार किस्मत आजमाते देखे गए. जिसमें कांग्रेस के फुरकान अंसारी गोड्डा से चुनाव मैदान में ताल ठोकते नजर आए थे .

2004 में चुनाव जीतने के बाद फुरकान अंसारी को 2009 में भी कांग्रेस ने टिकट दिया था मगर वे सफल नहीं हुए. 2009 में रांची से सबसे ज्यादा पांच मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. वहीं राज्य गठन के बाद 2004 के पहले लोकसभा चुनाव में सभी आठ सामान्य सीटों पर 111 उम्मीदवार खड़े हुए थे इसमें 10 मुस्लिम उम्मीदवार थे. बात यदि 2009 की लोकसभा चुनाव की करें तो 8 सामान्य सीटों पर कल 166 उम्मीदवारों में से 17 मुस्लिम उम्मीदवार थे जिसमें सबसे ज्यादा रांची से पांच मुस्लिम उम्मीदवार किस्मत आजमाते देखे गए. बात यदि 2014 की करें तो इस चुनाव में 164 उम्मीदवार खड़े हुए इनमें 21 मुस्लिम थे.

भाजपा के बाद इंडिया गठबंधन ने भी मुसलमानों से मूंह फेरा

भाजपा के बाद झारखंड में 2024 के लोकसभा चुनाव के दरमियान इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस झामुमो और राजद ने भी मुसलमान से मुंह फेर लिया है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी धर्म और संप्रदाय के आधार पर टिकट देने का काम नहीं करती है ये वह लोग काम करते रहे हैं जो मुसलमानों को अब तक वोट बैंक समझते थे. अब मुसलमान भी समझने लगे हैं कि उनका किस तरह से इस्तेमाल किया गया.

इधर कांग्रेस ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं देने पर सफाई देते हुए कहा है कि झारखंड में सामान्य सीटों पर जीताउ उम्मीदवार को पार्टी ने खड़ा करने का निर्णय लिया है. बिहार में 9 में से दो सीटों पर मुसलमान प्रत्याशी दिया गया है. इससे पहले इंडिया गठबंधन के द्वारा संयुक्त रूप से राज्यसभा में सरफराज अहमद को भेजने का काम किया गया. कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि इस बार की लड़ाई भाजपा को किस तरह से हराएं इसको लेकर है.