पसमांदा मुस्लिमों के ओबीसी दर्जे पर भाजपा सांसद के बयान की एआइपीएमएम ने की निंदा

PASMANDAआल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने प्रधानमंत्री को दिया ज्ञापन

यदि भाजपा सांसद भेदभाव पूर्ण बयान देंगे तो एआइपीएमएम करेगा आंदोलन

लखनऊ। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (एआइपीएमएम) ने हाल ही में भाजपा सांसद रघुनंदन राव द्वारा संसद में दिए गए पसमांदा मुस्लिमों के ओबीसी दर्जे को समाप्त करने संबंधी बयान की कड़ी निंदा की है। संसद में उन्होंने कहा कि ‘भाजपा, पसमांदा मुस्लिमों को तेलंगाना में ओबीसी कोटा का लाभ नहीं लेने देगी।‘ महाज इस बयान को संविधान के मूल अधिकारों, सामाजिक न्याय और आरक्षण संबंधी सिद्धांतों पर सीधा हमला मानता है। इस गंभीर विषय को लेकर महाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें इस बयान की भर्त्सना करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि पसमांदा मुस्लिम समुदाय को किसी भी कीमत पर उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। महाज़ ने बताया कि संविधानिक और कानूनी प्रावधान में अनुच्छेद 340 सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान कर उनके उत्थान के उपाय करने की बात करता है। और अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार राज्य को दिया गया है।
एआइपीएमएम ने विभिन्न रिपोर्ट्स के बारे में यह बताया कि मंडल आयोग (1980) ने यह स्पष्ट किया कि भारत के पिछड़े वर्गों में बड़ी संख्या में पसमांदा मुस्लिम जातियाँ शामिल हैं, जिन्हें ओबीसी दर्जा दिया जाना चाहिए। सच्चर कमेटी रिपोर्ट (2006 में यह बताया गया कि पसमांदा मुस्लिम समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति एससी/एसटी वर्ग से भी बदतर है। रंगनाथ मिश्रा आयोग (2009) ने सुझाव दिया कि सभी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े मुस्लिम समुदायों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। पी.एस. कृष्णन रिपोर्ट भी इस बात को दोहराती है कि पसमांदा मुस्लिम समुदाय को आरक्षण से वंचित करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा। सुधीर आयोग (तेलंगाना सरकार) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना की 56 प्रतिशत पिछड़ी आबादी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी पसमांदा मुस्लिमों की है, और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है।
संगठन के संयुक्त पदाधिकारियों के बयान में कहा गया कि सांसद रघुनंदन राव अपने बयान को तुरंत वापस लें और सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। भाजपा स्पष्ट करे कि पसमांदा मुस्लिमों का ओबीसी दर्जा सुरक्षित रहेगा, ताकि उनकी शिक्षा, रोजगार और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ बाधित न हो। संगठन ने यह भी कहा प्रधानमंत्री स्वयं एक आधिकारिक बयान जारी करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि भाजपा पसमांदा मुस्लिमों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वे पसमांदा मुस्लिमों की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाएं और लागू करें।
महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुहम्मद युनुस ने एक संयुक्त बयान में कहा यह बयान न केवल सामाजिक न्याय की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि भाजपा सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘पसमांदा मुस्लिम सशक्तिकरण’ के दृष्टिकोण का भी उल्लंघन करता है। यदि पसमांदा मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की कोई भी कोशिश की गई, तो इसे पूरी ताकत से चुनौती दी जाएगी।
महाज ने चेतावनी दी है कि यदि भाजपा सांसदों और नेताओं द्वारा इस तरह के भेदभावपूर्ण बयान जारी किए जाते रहे, तो संगठन पूरे देश में जन आंदोलन खड़ा करने से पीछे नहीं हटेगा। महाज स्पष्ट करता है कि पसमांदा मुस्लिमों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए हम हर कानूनी और लोकतांत्रिक तरीका अपनाएंगे।