एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली पर एआइपीएमएम ने दी बधाई

ए.एम.यू. भारतीय मुस्लिम समाज के ऐतिहासिक और शैक्षणिक केंद्रों में से एकः परवेज़
ए.एम.यूत्र का अल्पसंख्यक दर्जा विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता को भी सुदृढ़ करता हैः यूनुस
लखनऊ।ALL INDIA PASMANDA MUSLIM MAHAAZ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली पर ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने बधाई दी, और पसमांदा विद्यार्थियों के लिए आरक्षण की उम्मीद जताई।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को उसके अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली पर माननीय सुप्रीम कोर्ट, सरकार, समस्त अलीगढ़ी बिरादरी, और समूचे मुस्लिम समाज को हार्दिक मुबारकबाद पेश की है। यह उपलब्धि न केवल ए.एम.यू. समुदाय के लिए बल्कि संपूर्ण मुस्लिम समाज के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि ए.एम.यू. भारतीय मुस्लिम समाज के ऐतिहासिक और शैक्षणिक केंद्रों में से एक है। संगठन विशेष रूप से वर्तमान कुलपति श्रीमती नईमा खातून जी और पूर्व एक्टिंग कुलपति प्रोफेसर गुलरेज का आभार व्यक्त करता है, जिनके नेतृत्व और प्रयासों से यह महत्वपूर्ण उपलब्धि संभव हो सकी है।
संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद यूनुस ने यह उम्मीद जताई है कि इस बहाली के साथ ही एएमयू में पसमांदा मुस्लिम समाज के विद्यार्थियों को उनकी आबादी के अनुपात में प्रवेश और रोजगार में उचित आरक्षण प्राप्त हो सकेगा। एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा न केवल छात्रों के लिए अवसरों को बढ़ाता है बल्कि यह विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता और उसकी विशेष पहचान को भी सुदृढ़ करता है।
श्री यूनुस ने कहा ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज का मानना है कि पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बड़ी आबादी आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हुई है। ऐसे में ए.एम.यू. जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आरक्षण का प्रावधान पसमांदा समाज के विद्यार्थियों की शिक्षा और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करेगा। पसमांदा विद्यार्थियों की अधिक भागीदारी न केवल ए.एम.यू. की विविधता को समृद्ध करेगी बल्कि उन्हें समाज में बराबरी के अवसर भी प्रदान करेगी।
संगठन ने कहा ए.एम.यू. प्रशासन से आग्रह किया है कि वह पसमांदा मुस्लिम समाज की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में सुधार हेतु विशेष योजनाएं प्रारंभ करें। महाज ने एएमयू के सभी पदाधिकारियों और संकाय सदस्यों से निवेदन किया है कि वे इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं, ताकि पसमांदा समाज के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय में समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।