पोप फ्रांसिस के निधन पर एआइपीएमएम ने जताया शोक

’मानवता के मसीहा, गरीबों और मजलूमों की आवाज थे पोप फ्रांसिस’

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु, पोप फ्रांसिस के 21 अप्रैल, 2025 को वेटिकन सिटी में 88 वर्ष की आयु में हुए निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे पोप फ्रांसिस ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी करुणा, मानवता के प्रति समर्पण, और मज़लूमों के लिए उनकी बुलंद आवाज़ हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

पोप फ्रांसिस: मानवता के प्रतीक- पोप फ्रांसिस, जिनका जन्म नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ। सादगी और सेवा से भरे उनके जीवन ने 2013 में पहले गैर-यूरोपीय और जेसुइट पोप के रूप में चुने जाने के बाद कैथोलिक चर्च को करुणा और सामाजिक न्याय की नई दिशा दी। उनकी विश्व पत्रिका Laudato Si’ (2015) ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को वैश्विक मंच पर उभारा।

गरीबों और हाशिए के लोगों का मसीहा- पोप फ्रांसिस ने चर्च को “गरीबों का चर्च” बनाने का संकल्प लिया और इसे अपने कार्यों से साबित किया। रोम की सड़कों पर बेघरों के लिए भोजन और आश्रय, जेल में कैदियों के पैर धोना, और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति की अपील उनके मानवीय दृष्टिकोण के प्रतीक थे।

गाजा और रोहिंग्या के लिए साहसी आवाज़- पोप फ्रांसिस ने गाजा पट्टी में इजराइली बमबारी को “आतंकवाद” और “नरसंहार” करार देते हुए तत्काल युद्धविराम की मांग की। 23 मार्च, 2025 को उन्होंने गाजा की “असहनीय” मानवीय स्थिति पर चिंता जताई और मानवीय गलियारे खोलने की अपील की। इसके अलावा, 2017 में म्यांमार और बांग्लादेश की यात्रा के दौरान उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों को “हमारे भाई-बहन” कहकर उनके मानवाधिकारों की वकालत की।

मानवता की अनमोल विरासत- पोप फ्रांसिस ने धार्मिक सीमाओं से परे प्रेम और करुणा का संदेश दिया। उनकी आत्मकथा होप में युद्ध, पर्यावरणीय विनाश, और सामाजिक असमानता पर उनके विचार उनकी स्पष्टवादिता को दर्शाते हैं। उनकी विरासत धार्मिक एकता और वैश्विक भाईचारे का प्रतीक है।

शोक संदेश- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है। उनकी ज़िंदगी हमें सिखाती है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं और करुणा से बड़ा कोई कर्म नहीं। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए। उनकी विरासत हमें मज़लूमों की आवाज़ बनने की प्रेरणा देती रहेगी। आमीन।