वक्फ कानून पसमांदा मुसलमानों के हित में
कब्रिस्तान, ईदगाह, इमामबाड़ा, मस्जिद और मदरसों आदि को कोई खतरा नहींः परवेज हनीफ
लखनऊ। यू.पी. प्रेस क्लब, लखनऊ में आयोजित ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि महाज एक राष्ट्रवादी, सामाजिक और गैर-राजनीतिक संगठन है, जो देश के 12 राज्यों में सक्रिय है। यह संगठन पसमांदा मुस्लिम समाज, जो कुल मुस्लिम जनसंख्या का 85 प्रतिशत है, के लिए सामाजिक न्याय, अधिकारिता और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने हेतु वर्षों से कार्यरत है।
महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा कि 8 अगस्त, 2024 को संसद में प्रस्तुत और 4 अप्रैल, 2025 को पारित वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में संगठन ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठकों में हिस्सा लिया। कई संशोधनों के साथ इस कानून की मूल भावना का समर्थन करते हुए इसे पसमांदा समाज के लिए सामाजिक न्याय, अधिकारिता और आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने वक्फ संशोधन के विरोध में कुछ धार्मिक, राजनीतिक और वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वाले वर्गों द्वारा कब्रिस्तान, ईदगाह, इमामबाड़ा, मस्जिद और मदरसों को लेकर फैलाए गए भ्रामक प्रचार की कड़ी निंदा की।
सीईओ मुहम्मद यूनुस ने बताया कि संगठन ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पटना और लखनऊ में जेपीसी बैठकों में हिस्सा लेकर 8 संशोधनों पर सुझाव दिए। संगठन को ‘वक्फ बाय यूजर‘ प्रावधान को अप्रैल 2025 के बाद समाप्त करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते 2025 से पहले की मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों और अन्य धार्मिक स्थानों को कोई नुकसान न पहुंचे। उन्होंने वक्फ प्रबंधन में पसमांदा समाज के जानकारों को उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की। साथ ही, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में पसमांदा बुद्धिजीवियों, उलमाओं और वकीलों को शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने वक्फ संपत्तियों से गरीब विधवाओं, वृद्धों के लिए आश्रय गृह, अनाथ बच्चों और गरीब पसमांदा मुस्लिमों के लिए निःशुल्क उच्च शिक्षा व्यवस्था हेतु परियोजनाओं पर काम करने की अपेक्षा जताई। संगठन पसमांदा की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु याचिका दायर करने पर भी विचार कर रहा है।
संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी नेहाल अंसारी ने कहा कि इस वक्फ बिल से सिर्फ अशराफ मुसलमानों को आपत्ति है। वह सिर्फ इस्लाम के नाम पर पसमांदा मुसलमानों को भड़काने का काम कर रहे हैं, क्योंकि वर्षों से वक्फ बोर्ड पर यह अशराफ ही काबिज है। अब उनसे यह छिन रहा है तो उन्हें तकलीफ हो रही है।
राष्ट्रीय प्रधान महासचिव मारूफ अंसारी ने वक्फ संशोधन कानून 2025 के तहत वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और पारदर्शी प्रबंधन को लाभकारी बताया। राष्ट्रीय सचिव हाफिज शाहीन अंसारी ने कब्रिस्तानों, ईदगाहों, इमामबाड़ों, मस्जिदों और मदरसों की सुरक्षा पर जोर दिया। राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. फैयाज अहमद फैजी ने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में पसमांदा समाज के ओबीसी की हिस्सेदारी के साथ साथ, एससी और एसटी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हाजी ताहिर ने गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या दो तक सीमित करने और नियम बनाते समय पसमांदा मुस्लिम समाज को हिस्सेदारी का अवसर देने की मांग की। मध्य उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अफजल अंसारी ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून 2025 से वक्फ संपत्तियों पर एक वर्ग का भ्रष्टाचार और वर्चस्व समाप्त होगा।
प्रदेश सचिव सगीर बजमी ने इस कानून को पसमांदा समाज के लिए अन्याय समाप्त करने वाला कदम बताया। लखनऊ जिला अध्यक्ष फैज अहमद ने इसे ऐतिहासिक अवसर बताते हुए पसमांदा समाज से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने बताया कि संगठन जिला स्तर पर वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, पंजीकरण और भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अभियान चलाएगा।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने पसमांदा समाज से अपील की कि वक्फ संशोधन कानून, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, के संबंध में संयम बरतें, भड़कावे में न आएं और तथ्यहीन बयानबाजी से बचें। संगठन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया कि वे भाजपा नेताओं को वक्फ संशोधन कानून 2025 पर संयमित बयानबाजी के लिए निर्देशित करें, ताकि समाज में भय और भ्रम न फैले। साथ ही, पसमांदा समाज से अपेक्षा की कि वे सामाजिक सौहार्द और सर्वधर्म समभाव की भावना को बनाए रखें, भड़काऊ भाषणों और सोशल मीडिया से दूरी रखें।