आइए जानते है भारतीय पसमांदा मुस्लिम विर्मश क्या है :

पसमांदा मुस्लिम भारतीय मूल समाज का वोह वर्ग है,जो इस्लाम धर्म के नाम से सामाजिक न्याय अधिकारिता ,मानवता,समता मूलक समाज के निर्माण हेतु पैगम्बर मोहम्मद साहेब (स ०अ०) विश्व सामाजिक न्याय समता मूलक समाज के निर्माण हेतु क्रांतिकारी अराफात के मैदान से आखिरी खुतबे के आवाहन से प्रभावित होकर इस्लाम धर्म को स्वीकार किया,जिसमे आज के हिंदुस्तान में कुल मुस्लिम समाज का 85% यह वर्ग कामगार हस्त शिल्पी खेत मजदूर सीमांत किसान समाज की जीवन यापन दैनिक आवश्यकताओं को अपने मेहनत से पूरी करने वाला पेशे के अनुरूप उन्ही जातियों के नाम की दी गई पहचान वाला वर्ग है जिसकी भारत के रचनात्मक विकास में बढ़ा योगदान रहा है,परंतु सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक शैक्षणिक रूप से पिछड़े अति पिछड़े समाज की परंपरागत सामाजिक स्वरूप पहचान के चलते इन्हे भारतीय संविधान में समता मूलक समाज के निर्माण और सामाजिक न्याय अधिकारिता के लिए संविधान की धारा 340,341 और 342 में की संरचना में इस मुस्लिम समाज के दलित मूल और पिछड़ों को ओबीसी वर्ग धारा 340 में अधिसूचित तथा मुस्लिम धर्मांतरित अनुसूचित जन जातियों को धारा 342 में आरक्षण दिया गया,धारा 341 जिससे पसमांदा मुस्लिम को समान जाति अनुसूचित जाति का दर्जा मिलने से उनको राज्य और केंद्र के सदनों में अपनी 85% हिस्सेदारी लेकर लोकतंत्र में अपना अधिकार न प्राप्त हो तत्कालीन अशराफ वर्ग जो प्रमुख दीनी मसलको में स्थान प्राप्त है जो सियासी समाजी शिक्षणिक नस्ली रूप से अपने को कुलीन मुस्लिम मानते थे उन्होंने आजाद भारत की लोकतांत्रिक सरकार से मिल कर साजिशन 10 दिसंबर 1950 को राष्ट्रपति के आदेश से दलित मुस्लिम जाति की गलत व्याख्या कर दलित मुस्लिम पर 341 में रोक लगा दी,और सामाजिक न्याय की जिम्मेदारी सरकार की कृपाओ पर छोड़ दी जो आज भी बदस्तूर अशरफ धार्मिक सियासी सामाजिक नेतृत्व के दवाब में जारी है,10-15% अशराफ जिन्होंने धर्म के नाम पर देश का अपने लिए बटवारा कराया आज आज भी इनकी संस्थाएं तुष्टिकरण के चलते देश की सियासत में हावी है,भारतीय पसमांदा मुस्लिम के वोह सभी विकास और समता मूलक समाज की तरफ जाने वाले दरवाजों पर अपना पहरा बिठा कर उन्हे बराबरी के हक से रोकने को पुरानी वर्ण व्यवस्था जहा से हिंदू मूल समाज से बाहर आता जा रहा है उसी में मसलक में बाट कर सिर्फ सियासी समाजी विकास में अवरोध पैदा किया जा रहा है।अनेक भारत सरकार के आयोग और उनकी सर्वे रिपोर्ट पसमांदा मुस्लिम के पिछड़े पन की गवाह है।
धारा 341 पर बीजेपी सरकार जिसे सियासी अछूत मुस्लिम धार्मिक संस्थाएं बता कर वोट नही करती मोदी सरकार ने जस्टिस केजी बालाकृष्णन आयोग बना कर उस पर भी काम शुरू किया के धर्म के आधार पर सामाजिक न्याय के अवरोध को दूर करने का कानूनी विकल्प समझा जा सके और पसमांदा मुस्लिम कोंसामाजिक न्याय से ना रोका जाए,हाला के किसी और सत्ता से जुड़े दल चाहे कांग्रेस, एसपी,बीएसपी,आरजेडी जिन्हे पसमांदा वोट से ही सत्ता मिल्टिब्रा है वोह पहले भी खामोश और अब भी खामोश है,उनका अनुभव है के मुस्लिम धार्मिक निजाम तैयार लीडर शिप,फतवों और प्रचार तंत्र से 85% पसमांदा वोट दिलाएगा पसमांदा सियासी दरी फट्टा एक्टिविस्ट अगर अपने समाज की बात या विरोध करता है तो उसका बायकॉट अशराफ नेत्रत्व करा देता है,धर्म के खतरे नारे की सियासी साजिश में बिना किसी विकास सियासी भागीदारी के वोट कर बैठता है ,यह प्रक्रिया परम्परा से शोषित पसमांदा मुस्लिम वर्ग 5 साल रोता है और फिर चुनाव में धर्म के नाम जागरूकता के अभाव में जिस शाख पर बैठा होता है उसी को अपनी कुल्हाड़ी से युवा जागरूकता के कारण काट लेता है।
दशक 1990 से इस भारतीय मूल के शोषित पिछड़े दलित अनु जाति मूल मुस्लिम में जागरूकता बिहार में दिखी पर इस राष्ट्रीय 15% आबादी के सामाजिक न्याय के मुद्दे पर बीजेपी समर्थित एक राज्य सभा गेट पास में निबट गए यह सामाजिक न्याय आंदोलन विमर्श संसद में 1956 सिख,1991नव बौद्ध की तरह दलित मुस्लिम प्रस्ताव पर कानून न ला सका और तहरीक प्रदेश और जिलो के जोखिम वर्ग तक नहीं पहुंच पाई,पर इसका बीज खतम नही हुआ,एक अनुकूल जलवायु नेतृत्व की खोज 2019 से कोविड का दौर रहा जब देश विदेश के पसमांदा बुद्धिजीवी अपने घरों में कैद हुए और अलीगढ़ के प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने बिखरे पसमांदा सोशल एक्टिविस्ट को जोड़ना शुरू किया ऑन लाइन मीटिंग वेबीनार सोशल मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप ने तहलका मचा दिया।देश की मुस्लिम रचनात्मक सोशल डेवलपमेंट एजुकेशनल एक्टिविस्ट जुड़ते गए आज 2019 से 2024 के इस नए अराजनीतिक सफर में 12 राज्यो में गठित आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ जो ट्रस्ट act me पंजीकृत भी है राज्य से जिला और जिला से नगर ग्राम विकास पंचायत तक यह पसमांदा मुस्लिम तहरीक ने अपने कार्य उद्देश्य की दस्तक बखूबी दे दी,पहले सबसे बड़े मिनी इंडिया पसमांदा मुस्लिम बाहुल्य प्रदेश उत्तर प्रदेश जिसमे पूर्व उत्तराखंड भी शामिल से राष्ट्रीय कार्यालय से मीटिंग सेमिनार वर्कशॉप आयोजित हुए इसके बाद इसी तरह परस्पर आपसी आर्थिक सहयोग से बिहार झारखंड में भी राज्य कार्यालय स्थापित हुए जल्द ही सभी की सक्रिय सहभागिता को देखते हुए दिल्ली में केंद्रीय कार्यालय संचालित किया जाना प्रस्तावित है राज्य में असमंडा मुस्लिम बाहुल्य राज्य तेलंगाना बंगाल महाराष्ट्र में भी पसमांदा मुस्लिम को सामुदायिक विकास सामाजिक न्याय अधिकारिता से जोड़ा जाना प्रस्तावित है।
एक सहकारी भावना सेवा सहयोग आधारित संगठन प्रत्येक राज्य में कम से कम 500 जिला प्रदेश सहयोगी सदस्य के बनने प्रक्रिया पर ही गठित होता है,जिसमे चंदा, ज़कात,दान अनुदान सभी महज के उद्देश्य पर स्वीकार है।
पसमांदा जागरूकता आज भारतीय मुस्लिम समाज में एक ब्रांड बन चुका है,इस विमर्श से देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी राभावित हुए बिना नहीं रह सके, जहां पसमांदा विमर्श जागरूकता से सियासी खेमों में सन्नाटा है वोह पसमांदा जागरूकता को यानी ओबीसी मुस्लिम को एक पानी का बुलबुला समझ जिक्र करना अपनी शान के खिलाफ समझते है वही पिछली संसद 2022 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति हैदराबाद में पसमांदा मुस्लिम शब्द प्रधान मंत्री मोदी के भाषण संपर्क अध्ययन एक सुर्खिया बनी ,फिर बीजेपी कैडर भोपाल में अपने कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुस्लिम संरचना जातिगत भेदभाव में अशराफ की भूमिका सामाजिक न्याय पर मोदी की चेतना लाल किले से संबोधन ने मीडिया को मजबूर किया के पसमांदा मुस्लिम प्रसंग को राष्ट्रीय सामाजिक चेतना अधिकार की मांग पर ले,जस्टिस केजी बालाकृष्णन आयोग का गठन 341 दलित मुस्लिम चर्चा ने दलित नाम से सत्ता में रहे दलों तक को चौका दिया जिन्होंने अपनी सत्ता के लिए पसमांदा मुस्लिम का वोट लिया पर दलित मूल नही स्वीकारा घर में जगह से इंकार,वही ओबीसी के हिस्से में ओबीसी मुस्लिम भागीदारी पर भी समाजिकन्यय विभाग चिंतित नजर आया , जिससे पसमांदा मुस्लिम यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में 7- 9% तक विकास सामाजिक न्यायवके मुद्दो पर बीजेपी के प्रति नकारात्मक प्रचार प्रसार के बावजूद बीजेपी के साथ दिखाई दिया ,नगर ग्राम पंचायत चुनाव में पसमांदा मुस्लिम के हिस्सेदारी मांगने पर बीजेपी के टिकट पर बहुत से उम्मीदवार जीते और हारे परंतु इन सब के बावजूद एक मत यह भी था के धर्म के नाम पर यह पसमंदा फिर धर्म के एजेंडे पर बीजेपी के प्रति नकारात्मक भूमिका में वापस होगा इसके सामाजिक न्याय के एजेंडे का जिक्र कर अपने और काबिज असरदार अशरफी संस्थाओं और अशराफ नेतृत्व कोबक्यो नाराज किया जाए,वोट तो सभी अश्राफी मसलक वा संस्थाओं के असर में है धर्म का इधर उधर दोनो एजेंडे पर अशराफ मुस्लिम का साथ पसमांदा मुस्लिम देगा कोई पसमांदा मुस्लिम के पेकेज पर घोषणा करना आत्मघाती होगा।यही वजह रही के सालो साल दरी फट्टे बिछाने और हैसियत दार पसमांदा अपने हो नेता को टिकट ना देकर मसलको के अशरफ धार्मिक नेताओं की सिफरश पर टिकट यूपी बिहार झारखंड 134 संसदीय सीट जिस पर 10 पसमांदा सांसद बन सकते थे नेतृत्व से किनारे कर दिए गए और धर्म के नाम पर 85%पसमांदा मुस्लिम वोट बिना एजेंडे ले लिया गया को एक एतिहासिक लोकतंत्रके इतिहास की घटना की पुनरावृति है।
आज इस परिपाटी की देन है के पूरा मुस्लिम समाज हाशिए पर ला दिया गया,लोकप्रिय चुनी सरकार में मुश्किल से अधिकतर विकास योजना मुफ्त अनाज मोदी आवास,स्वास्थ्य कार्ड,गरीब कन्या विवाह अनुदान,महिला समूह स्वरोजगार अनुदान महिला लाभार्थियों का 5% मतदान 2024 लोकसभा में बीजेपी ने दिया जिसमे भी अधिकांश पसमांदा ही थे,बीजेपी का पसमांदा मुस्लिम जागरूकता अभियान जो पार्टी पर सौंपा उसमे भी अशरफ़ नेतृत्व और शिया नेतृत्व था उन्होंने कोई रुचि नहीं ली, यूपी में सरकारी नौकरी में % बड़ा बिना रिश्वत के इसका प्रचार नही हुआ ,अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार ने नई रोशनी जैसा पसमांदा रोशनी जैसा कोई कार्यक्रम प्रधान मंत्री की आधिकारिक व्यक्तिगत रुचि को देखते हुए कोई कार्यक्रम नहीं चलाया जबकि पूरे 2 साल सरकार के पास थे “सबका साथ सबका विकास” रथ को हाकने वालो का खुद पसमांदा मुस्लिम और ऐसे पूर्व से धरातल पर काम करने वाले संगठनों से कोई ताल मेल नहीं बन सका,कुछ बीजेपी सत्ता पद मंत्री मंडल से हताश अशराफ बीजेपी लाइन नेतृत्व ने पसमांदा मुस्लिम जोड़ने के नाम पर फर्जीबाड़ा किया,चुनाव में पसमांदा मुस्लिम के पास यह नही फटके,धर्म के नाम पर हिंदू समाज से ज्यादा संविधान बचाने की चिंता इनको खुद थी, यूपी जैसे 16% पसमांदा वोटर्स के बीच एक अकेला राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी को छोड़ दिया जाए तो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग,उर्दू अकादमी,मदरसा बोर्ड सभी अप्रभावी रहे इनका स्थाई कोई पसमांदा मुस्लिम नेटवर्क न बनाए जाने के कारण पसमांदा फिर अशरफी मसलको फतवों पर अशरफ के हमराह हो चला, वरना बीजेपी के प्रति नेगेटिविटी में कमी और ज्यादा हो सकती थी ,बीजेपी स्वयं ऊहापोह में रही के किस प्रकार इस सामाजिक रूप से अपनो के द्वारा ही कुचले इस वर्ग को जिसमे सामाजिक स्व चेतना का सदियों से अभाव रहा है,इनकी क्या कार्य योजना हो ?बीजेपी के संगठन ने भी पसमांदा ग्राम नगर पंचायत जन प्रतिनिधियों को महत्व नहीं दिया और ना ही ऐसे कोई दिशा निर्देश पार्टी स्तर से पसमांदा बाहुल्य छेत्र में दिए गए ठीक इसके विरुद्ध मुस्लिम में बीजेपी हराओ रणनीति बिना शोर शराबे सक्रिय रही।
आज फिर बहुमत एनडीए में सबसे बड़ा दल बीजेपी है और उसी के नेतृत्व में मोदी जी जो पसमांडा मुस्लिम विमर्श के प्रेरणा स्रोत है प्रधान मंत्री है,समाज के वंचित वर्ग को न्याय दिलाने का प्रण फिर लिया है ,सांप्रदायिक चुनाव की पृष्ठभूमि चाहे वोह किसी धर्म को लेकर हो नुकसान सामाजिक न्याय अधिकारिता के मूल्य का हो होता है,। आज सांप्रदायिकता के आधार पर मुस्लिम वोट से देश का मुस्लिम सामुदायिक विकास का एजेंडा सरकारी भागीदारी दर किनार है,आज विकास सामाजिक न्याय मुस्लिम का एजेंडा होता तो सभी दल अपने चुनाव घोषणा पत्र में मुद्दे रखते ,5 किलो राशन 10 पर पहुंचा,महिला सहायता हजार से लाख पहुंची,रोजगार आश्वासन ने छलांग भरी लेकिन इसमें कही पिछड़ा मुस्लिम पसमांदा मुस्लिम कही नजर नहीं आया,इसके लिए क्या कौम मुस्लिम के धार्मिक ठेकेदार मसलक नही है जो धर्म के साथ 5 साल में अपना छोड़ 85% पसमांदा मुस्लिम के वोट अपील का भी ठेका अपने नेटवर्क पर लेते रहे है ,।
देखने की बात है के धार्मिक मुस्लिम सियासी एजेंडा ने ही हिंदू समाज को धार्मिक सियासी एजेंडे पर मजबूर किया नुकसान किसका है,लोकतंत्र में विकास सामाजिक न्याय का मुद्दा जरूरत मंद वंचित वर्ग समाज का होना चाहिए ,जिसके प्रयास गैर राजनेतिक रूप से होना जरूरी है,नेगेटिव सोच सामाजिक न्याय अधिकारिता के लिए हानिकारक साबित होती है।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ हमेशा किसी भी सियासी दल के खिलाफ नेगेटिव सोच का समर्थक नहीं रहा बीजेपी ने जो पहल पसमांदा समाज के उत्थान अधिकारिता की की है हमने स्वागत किया पसमांदा मुस्लिम थिंक टैंक में ले गए अनेक सुझावों का सभी दलों की सरकारों छेत्र वार आदान प्रदान किया केंद्र सरकार और आयोग के साथ पसमांदा मुस्लिम विकास नीतियों पर सुझाव का आदान प्रदान हुआ है।
भारतीय पसमांदा मुस्लिम समाज का पहला कर्तव्य सांप्रदायिक सौहार्द की स्थापना के साथ भारतीय मूल के सभी धर्मो के जीवन शैली रोजगार के साथ परंपरागत समानता के मूल्य का संवर्धन है जिसे बनाए रखना हमारा उद्देश्य है।
पसमांदा महाज के सर्वेक्षण के अनुसार प्रयास होगा के 18- 40 आयु वर्ग के युवा ओबीसी वर्ग जिसके अधिकारिता के लिए हम संवैधानिक रूप से त्रिस्ट्रीय पंचायत नगर ग्राम छेत्र विकास के लिए वोह जन प्रतिनिधि महिला पुरुष आरक्षण में है चुने हुए है उन्हे “सबका साथ सबका विकास आधारित समग्र विकास योजनाओं,बाल श्रम,अनिवार्य शिक्षा, स्थानीय स्वरोजगार उपलब्धियों और आवष्कताओ पर जिसमे ओबीसी पसमांदा मुस्लिम हो इन युवाओं को नेतृत्व और असमंदा मूसली विकास पर एक दिवसीय जिला स्तरीय गोल मेज विकास सामाजिक न्याय प्रशिक्षण अल्पसंख्यक मंत्रालय के सहयोग से दिया जाए। ताकी ओबीसी(पसमांदा ) मुस्लिम आरक्षण और सामाजिक न्याय के मूल्य के बीच कार्य एजेंडा स्थापित हो सके जिसके लिए सभी राजनेतिक दल अर्वराजनीति मेवदाखाल रखने वाली धार्मिक संस्थाओं का मौन का इतिहास रहा है।
आइए 2024- 29 को पसमांदा मुस्लिम समाजिक न्याय के सत्र के रूप में अध्याय को आगे बढ़ाए,। ।।जहा जागे वही सवेरा।।

 

PERVEZ HANEEF

परवेज़ हनीफ

राष्ट्रीय अध्यक्ष

ALL INDIA PASMANDA MUSLIM MAHAAZ