धार्मिक प्रतिबंध हटाओं, दलितों को पूरा आरक्षण दिलाओः आल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज

ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय का गर्मजोशी से स्वागत करता है, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है। इस ऐतिहासिक निर्णय से संगठन ने एक बार फिर न्यायपालिका में अपना विश्वास व्यक्त किया है और आशा व्यक्त की है कि सुप्रीम कोर्ट एक दिन आर्टिकल 341 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध को भी हटा देगी, जिससे मुस्लिम और ईसाई दलितों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

सामाजिक और संवैधानिक तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुसूचित जातियां एक समरूप समूह नहीं हैं और इनकी विभिन्न समस्याओं को समझते हुए उप-वर्गीकरण किया जाना चाहिए। यह उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है और अनुच्छेद 341(2) का भी हनन नहीं करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में कुछ भी ऐसा नहीं है जो किसी राज्य को जाति को उप- वर्गीकृत करने से रोकता हो।

पिछड़े वर्गों के लिए नई संभावनाएँ
इस निर्णय के परिणामस्वरूप, राज्य अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, जिससे अधिक पिछड़े समुदायों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने सम्पूर्ण सामाजिक न्याय की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए यह भी मांग की है कि इस फैसले की रौशनी में पिछड़े वर्गों को भी उप-वर्गीकृत किया जाएरू पिछड़ा, अति पिछड़ा, और महा पिछड़ा।

मुस्लिम और ईसाई दलितों के अधिकार
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम और ईसाई दलितों को भी एसटी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। यह न सिर्फ सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत की व्यापक और निष्पक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत करेगा।

 

संवाद का आह्वान
ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस फैसले को तुरंत लागू करने और अधिक पिछड़े समुदायों के अधिकारों को संरक्षित करने की अपील की है। संगठन ने सभी सामाजिक संगठनों और न्यायप्रिय नागरिकों से इस मुद्दे पर सक्रिय समर्थन और सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया है।

मुख्य बिंदुः-
1-  सुप्रीम कोर्ट का फैसला पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए एक नई उम्मीद।
2- अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण से अधिक पिछड़े समुदायों को लाभ।
3- पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक आधार पर आरक्षण की मांग।
4- आर्टिकल्स 341 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध हटाने की मांग।
5- पिछड़े वर्ग को भी उप-वर्गीकृत करने की मांग।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। ।प्च्डड इस फैसले का स्वागत करता है और आशा करता है कि यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सामाजिक न्याय की लड़ाई में वे निरंतर आगे बढ़ रहे हैं और हर पिछड़े समुदाय को उसके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।