🙏🙏 लेकर राजनीति को आगे बढ़ाया उसके बाद बाहुबलियों ने खुद सोचा कि जब मैं किसी दूसरे को आगे बढ़ा सकता हूं तो मैं खुद ही राजनीति में क्यों न आ जाऊं, फिर बाद में ऐसा ही हुआ,
उसके बाद 2000 के बाद नेता को गुण ज्ञान देने वाले कंपनी का उदय हुआ जो नए-नए विचार अर्थात अबकी बार नीतीशे कुमार, चाय पर चर्चा, खटिया पर मंथन आदि सोच देने वाले लोगों का सहारा लेकर नेताओं ने अपनी नेतागिरी को आगे बढ़ाया,
अब इस ज्ञान गुण देने वाले ने कम उम्र के पढ़ने लिखने वाले कॉलेज यूनिवर्सिटी के टैलेंट को गाड़ी, पैसा, एमएलए, एमपी बनाने का स्वप्न दिखाते हुए मार्केट में जनता को भ्रमित करने के लिए छोड़ दिया,
सोचा आने वाला समय पूंजीवाद की सहायता से तमाम ज्ञान बांटने वाले रणनीतिकार के हस्तक्षेप के बाद इस बात पर सहमत हुए की पूंजीवादी सामंती मनुवादी उद्योगपति से सहारा लेकर उसका एजेंट बनकर डायरेक्ट उद्योगपति को ही भारत में नेता क्यों न बनाया जाए,
इस कार्य को लेकर रणनीतिकार सामंती पूँजीवादी का एजेंट बनकर भारत के राजनीति को मनुवादी अगड़ी जाति के पंडित पांडे मिश्रा चौबे दुबे शुक्ला झाजी, दलित पिछड़ा अल्पसंख्यक आदिवासी को राजनीति से दूर कर देने के लिए निकल चुके हैं जिसका प्रयोग बिहार से पलायन,गरीब, फटा गंजी, टूटा चप्पल, बेरोजगारी,मजदूर, नबी ने कहा है अपना नेता,अपना भविष्य खुद बनाओ के नाम पर केवल 30% यादव एवं 40% मुस्लिम का वोट मुख्य धारा कि बहुजन पार्टी अर्थात 90% एससी एसटी ओबीसी आदिवासी की सरकार से अलग कर देना चाहते हैं ताकि बिहार में मनुवादियों की सरकार बनाई जा सके और पूर्वकाल की भांति गले में हांडी पीछे कमर में झाड़ू बांधने का दौर लाया जा सके,
सलाहकार ज्ञानी भाई पंडित रणनीति बेचने वाले पांडे जी से कोई पूछे ये काम आपने यूपी से क्यों नहीं शुरू किया,
पोस्टर में केवल गांधी जी का चेहरा और गांधी जी का स्लोगन जन स्वराज और एक आदमी खुद का चेहरा ही क्यों दर्शा रहे हैं,
आपके साथ आपकी अपनी पूंजी कितने ब्राह्मण नेता मंच पर,पोस्टर में दिखाई देते हैं कितने ब्राह्मण वोट का जुगाड़ कर चुके हैं केवल आप मुस्लिम को 75 सीट, दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात करते हैं,महिला आधी आबादी को कितना सीट दे रहे हैं आपने कभी बोला पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पार्टी से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा,
आरजेडी में भी 2 प्रदेश अध्यक्ष दलित से बन चुका है दूसरी पार्टियों में भी प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित हो चुके हैं,
केजरीवाल भी मार्केट में आए तो एक आंदोलनकारी अन्ना हजारे का चेहरा था 5,6, मुस्लिम,दलित,राजपूत मिलाकर पोस्टर बैनर में चेहरा आगे किया गया था, वहीं से देश की दशा दिशा बदली जो आज तक सब झेल रहे हैं आने वाला समय भारत की जनता को दिखाई दे रहा है,
बिहार की जनता राजनीति में उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाने में बौद्धकाल, गांधी जी, अंग्रेज के जमाने से प्रयोकस्थली था और आगे भी रहेगा, बिहार की जनता को बहुत ज्यादा ज्ञान देने की आवश्यकता नहीं है,
अब तो बिहार में राजनीतिक ज्ञानी कदम कदम पर भरा हुआ है.