मरहूम अब्दुर्रज्जाक अंसारी: एक महान स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के योद्धा

स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी, सामाजिक परिवर्तन के प्रेरणा स्रोत, और शिक्षा के जरिए पसमांदा और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए समर्पित योद्धा स्वर्गीय अब्दुर्रज्जाक अंसारी जी का जीवन त्याग, समर्पण और संघर्ष की अद्वितीय मिसाल है। उनकी यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर उन्हें दिल से खेराज-ए-अकीदत पेश करते हुए हम उनके महान योगदान को याद करते हैं।

जीवन परिचय और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका- अब्दुर्रज्जाक अंसारी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी सोच और सपने हमेशा असाधारण रहे। उन्होंने अपनी युवावस्था में ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी की। वे न केवल राजनीतिक आज़ादी के लिए लड़ रहे थे, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक आज़ादी के लिए भी उनकी लड़ाई जारी थी। उनका मानना था कि किसी भी समाज की असली आज़ादी तभी संभव है जब उसके कमजोर और उपेक्षित वर्गों को मुख्यधारा में शामिल किया जाए।

पसमांदा और आदिवासी समाज के लिए योगदान- अब्दुर्रज्जाक अंसारी जी ने विशेष रूप से पसमांदा और आदिवासी समाज के लिए शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाए। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षा ही वह साधन है, जिससे समाज में व्याप्त असमानता और भेदभाव को मिटाया जा सकता है। उनकी पहल पर कई स्कूल और शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए, जिनका उद्देश्य कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था। उनकी कोशिशें केवल शिक्षा तक सीमित नहीं थीं। उन्होंने पसमांदा और आदिवासी समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कई सामाजिक आंदोलन भी चलाए। उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता की वकालत की और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की बात कही।

सामाजिक न्याय के योद्धा- अब्दुर्रज्जाक अंसारी का जीवन सामाजिक न्याय के लिए समर्पित था। उन्होंने जाति, धर्म और वर्ग के नाम पर होने वाले भेदभाव का डटकर विरोध किया। उनका कहना था कि समाज की सच्ची प्रगति तभी संभव है जब हर व्यक्ति को समान अवसर मिले। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर दिया और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए।

प्रेरणा और विरासत- स्व. अब्दुर्रज्जाक अंसारी का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकता है, बशर्ते उसके इरादे मजबूत हों। उनकी मेहनत, लगन और कुर्बानी आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान और सामाजिक संगठन आज भी उनके सपनों को साकार कर रहे हैं। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला स्व. अब्दुर्रज्जाक अंसारी को जन्नतुल फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए और उनके मिशन को आगे बढ़ाने की ताकत हमें दे। उनके योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए रास्ते पर चलें और पसमांदा व आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कार्य करें। स्व. अब्दुर्रज्जाक अंसारी जैसे महान व्यक्तित्व युगों में एक बार जन्म लेते हैं। उनकी यादें और उनके योगदान सदा अमर रहेंगे। उनका जीवन यह संदेश देता है कि सच्ची आज़ादी और समानता के लिए शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक एकता जरूरी है। उनके सपनों का भारत बनाने की जिम्मेदारी अब हमारी है।

“अल्लाह मरहूम की मगफिरत फरमाए और उनकी रूह को सुकून अता करे।”