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लखनऊ। लखनऊ स्थित ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के राष्ट्रीय कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें वक्फ सम्पत्तियों के संरक्षण, पारदर्शिता और विधिक सुरक्षा को लेकर गंभीर चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता संगठन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रदेश संयोजक हाजी मोहम्मद नेहाल ने की।
बैठक में हाजी नेहाल ने सभी वक्फ संस्थानों — मस्जिद, कब्रिस्तान, ईदगाह, मदरसा, दरगाह, इमामबाड़ा, रौज़ा आदि — के मुतवल्ली, सदर, सेक्रेट्री, सज्जादा नशीन, खादिम, अमीन और अन्य जिम्मेदारों से अपील की कि वे अपने-अपने वक्फ की सम्पत्तियों को “उमीद सेंट्रल पोर्टल 2025” (https://umeedminorityaffais.gov.in) पर दिनांक 5 दिसम्बर 2025 से पहले पंजीकृत कराना सुनिश्चित करें।
हाजी नेहाल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया यह उमीद पोर्टल 2025 अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक अहम पहल है, जिसका उद्देश्य देशभर की वक्फ सम्पत्तियों को डिजिटल रूप से दर्ज कर उनकी सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि “अब वक्फ सम्पत्तियों को पोर्टल पर दर्ज कराना सिर्फ आवश्यकता नहीं, बल्कि कानूनी दायित्व बन चुका है। जो संस्थाएँ इसमें लापरवाही करेंगी, वे भविष्य में कई प्रशासनिक जटिलताओं का सामना कर सकती हैं।”
बैठक में राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. फैयाज़ अहमद फै़ज़ी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में वक्फ की जमीनें बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उनमें से कई अभी तक सरकारी रिकॉर्ड में अपडेट नहीं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि संगठन को अपने जिला अध्यक्षों और स्थानीय कार्यकर्ताओं के माध्यम से एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि हर जिले में वक्फ सम्पत्तियों को पोर्टल पर दर्ज कराने की प्रक्रिया तेज़ी से पूरी की जा सके।
इसी क्रम में प्रदेश प्रभारी अफजल अंसारी ने कहा कि वे इस दिशा में पूरी जिम्मेदारी से काम करेंगे और प्रदेश कार्यकारिणी के सहयोग से हर जिले में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराएंगे। उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश की कोई भी वक्फ सम्पत्ति उमीद पोर्टल पर दर्ज होने से न रह जाए।”
बैठक में गाज़ीपुर से प्रदेश सचिव फारूक अंसारी, कार्यालय सचिव एहतेशाम, और शकील लेड़ी भी उपस्थित रहे।
बैठक के अंत में सभी सदस्यों ने यह संकल्प लिया कि वे वक्फ सम्पत्तियों के संरक्षण और उनके कानूनी पंजीकरण को लेकर जनजागरण अभियान चलाएंगे, जिससे वक्फ संस्थानों की पारदर्शिता और उनकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

