1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध के महानायक, वीर अब्दुल हमीद का 1 जुलाई को हुआ था जन्म

Veer Abdul Hamid, the hero of the 1965 India-Pakistan war, was born on July 1

राशिद अयाज़ (रांची रिपोर्टर )

 Abdul Hameed Birth Anniversary: एक बार नहीं बल्कि कई बार हमारे देश के वीर जवानों ने अपने दुश्मनों को धूल चटाई है। आजादी के बाद चाहे 1965 की लड़ाई, 1971 का युद्ध हो या फिर कारगिल युद्ध, हर बार वीर जवानों ने दुश्मनों की सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। युद्ध और इसके कई वीर जवानों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।

इस खबर में हम परमवीर चक्र उस वीर जवान की बात करेंगे, जिन्होंने 1965 के युद्ध में अकेले ही पाकिस्तानी सेना की खटिया खड़ी कर दी थी। अकेले ही इन्होंने पाकिस्तान की आठ पैटन टैंकों को नष्ट कर के लड़ाई का पूरा रुख ही बदल दिया था।

बचपन से ही निशानेबाजी और कुश्ती में रही दिलचस्पी

वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने भारतीय सेना का हिस्सा बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। इनके पिता पेशे से दर्जी थे, तो आर्मी का हिस्सा बनने से पहले वो अपने पिता की मदद करते थे। हालांकि, इसमें उन्हें खास दिलचस्पी नहीं थी, उनकी दिलचस्पी लाठी चलाने, कुश्ती करने और निशानेबाजी में थी।

पत्ते खाकर जिंदा रहे वीर हमीद

20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद ने वाराणसी में भारतीय सेना की वर्दी पहनी। ट्रेनिंग के बाद उन्हें 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली। 1962 की लड़ाई के दौरान उनको 7 माउंटेन ब्रिगेड, 4 माउंटेन डिवीजन की ओर से युद्ध के मैदान में भेजा गया। उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने बताया कि शादी के बाद यह उनका पहला युद्ध था, जिस दौरान वह जंगल में भटक गए थे और कई दिनों बाद घर लौटे थे। रसूलन बीबी ने यह भी बताया कि उस दौरान हामिद ने पत्ते खाकर खुद को जिंदा रखा था।

युद्ध के 10 दिन पहले छुट्टी पर आए थे हमीद

8 सितंबर, 1965 को अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के केमकपण सेक्टर में तैनात थे। युद्ध के 10 दिन पहले ही वो छुट्टी पर अपने घर गए थे। इसी बीच, पाक की ओर से तनाव बढ़ने लगा, जिसके बाद सभी जवानों को ड्यूटी पर वापस बुलाया गया। कहा जाता है कि वापसी की तैयारियों के दौरान उनके साथ कई अपशगुन हुए थे, जिसके कारण उनका परिवार उन्हें जाने से मना कर रहा था, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।

अजेय कहे जाने वाली टैंक को बनाया निशाना

पाकिस्तान ने उस समय के अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। उस समय ये अमेरिकन टैंक अपराजेय माने जाते थे। अब्दुल हमीद की जीप 8 सितंबर, 1965 को सुबह 9 बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों से गुजर रही थी। उसी दौरान उन्हें टैंकों के आने की आवाज सुनाई दी और कुछ ही देर में टैंक दिखने भी लग गया। इसके बाद हामिद ने गन्ने के खेत का फायदा उठाया और वहीं छिप गए।

चार पाकिस्तानी टैंकों को मिट्टी में मिलाया

वह इंतजार कर रहे थे कि पाकिस्तानी टैंक उनके रिकॉयलेस की रेंज में आए और वो दुश्मनों के टैंक को मिट्टी में मिला दें और ऐसा ही हुआ। उस दौरान अब्दुल के साथ ड्राइवर की सीट पर उनका एक साथी भी मौजूद था। उनके साथी ने बताया कि जैसे ही टैंक उनकी रेंज में आया, उन्होंने फायरिंग करते हुए एक साथ चार पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर दिया।

परमवीर चक्र के लिए भेजी गई सिफारिश

इस बात की जानकारी 9 सितंबर, 1965 को आर्मी हेडक्वार्टर मे पहुंच गई और उनको परमवीर चक्र देने की सिफारिश की गई। इसके अगले दिन यानि 10 सितंबर को अब्दुल ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के तीन अन्य टैंकों को भी ध्वस्त कर दिया।

आठवीं टैंक को ध्वस्त करते हुए दिया बलिदान

तीन टैकों को ध्वस्त करने के बाद अब्दुल एक और टैंक को निशाना बनाने जा रहे थे, तभी पाकिस्तानी सेना की नजर उन पर पड़ गई। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने चारों ओर से फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि, इसके बाद भी अब्दुल डटे रहे और पाकिस्तानी सेना की आठवीं टैंक को भी ध्वस्त कर दिया। चारों ओर से निशाना बनाए जाने के कारण वतन के वीर पुत्र ने अपनी जिंदगी की कुर्बानी दे दी।

मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित

अब्दुल हमीद के अदम्य साहस और वीरता के लिए मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इसके बाद 28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये का डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट पर वीर अब्दुल हमीद की तस्वीर थी, जिसमें वो रिकॉयलेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार नजर आ रहे हैं।

अमेरिका तक गूंजी थी हमीद की बहादुरी

वीर अब्दुल हमीद की बहादुरी की गूंज अमेरिका तक पहुंच गई थी। अमेरिका हैरान था कि उनके अजेय कहे जाने वाली टैंक को एक साधारण दिखने वाली रिकॉयलेस गन से कैसे ध्वस्त किया जा सकता है। अमेरिका ने अपने अजेय टैंक की दोबारा समीक्षा की थी। आज भी यह अमेरिका के लिए पहेली बनी हुई है कि आखिर एक साधारण गन से उनके टैंकों को किस तरह से नष्ट किया गया है।