एक मुसलमान विशेष रूप से पसमांदा कार्यकर्ता के तौर पर यह कहना मेरे लिए कोई कठिन कार्य नहीं कि इस्लाम का आदर्श एक ऐसा मिश्रित समाज है, जहाँ हर धर्म और संस्कृति के लोग समान रूप से आनंद, शांति और संतोष का अनुभव करें। ऐसा समाज न केवल इस्लाम के मूल सिद्धांतों के अनुकूल है, बल्कि यह पैगंबर मोहम्मद ﷺ की जीवनशैली और उनके अंतिम संदेश “لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِيَ دِينِ” (“तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म और मेरे लिए मेरा धर्म”) का व्यावहारिक रूप से पालन करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस्लाम और समानता का आधार- इस्लाम का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करना नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता, न्याय, और भाईचारे को बढ़ावा देने का भी एक मजबूत साधन है। कुरआन में अल्लाह ने स्पष्ट रूप से कहा है:
“يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّا خَلَقْنَاكُم مِّن ذَكَرٍ وَأُنثَىٰ وَجَعَلْنَاكُمْ شُعُوبًا وَقَبَائِلَ لِتَعَارَفُوا ۚ إِنَّ أَكْرَمَكُمْ عِندَ اللَّهِ أَتْقَاكُمْ”
(तर्जुमा: “हे मनुष्यों, हमने तुम्हें एक पुरुष और एक स्त्री से पैदा किया और तुम्हें कबीले और जातियाँ इसलिए बनाई कि तुम एक-दूसरे को पहचान सको। निश्चय ही अल्लाह के पास सबसे अधिक सम्मानित वही है जो सबसे अधिक परहेज़गार है।”)
यह आयत इस्लाम के समानता के सिद्धांत को स्पष्ट करती है। यहाँ न तो किसी जाति का बड़प्पन है और न किसी धर्म या संस्कृति का कोई भेदभाव है। इस्लाम के अनुसार हर व्यक्ति की वास्तविक महानता उसके अच्छे कर्मों, ईमानदारी और परहेज़गारी में निहित है।
पैगंबर ﷺ का आदर्श और मदीना मॉडल- पैगंबर मोहम्मद ﷺ ने मदीना में एक ऐसा समाज स्थापित किया, जहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के लोग एक साथ मिलकर रहते थे और एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करते थे। मदीना में एक समान और समान्य प्रणाली लागू की गई थी, जिसमें प्रत्येक समुदाय को उसके धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकार दिए गए थे। साहिफा-ए-मदीना (मदीना चार्टर) इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है, जिसमें यहूदियों, ईसाइयों और मुस्लिमों को एक साझा और समृद्ध समाज में रहने का अधिकार प्राप्त था। यह चार्टर इस्लाम के उस आदर्श को दर्शाता है, जिसमें हर धर्म, जाति और संस्कृति के लोगों को आपस में न्यायपूर्ण और समान रूप से जीने का अधिकार है।
कुरआन और नए दृष्टिकोण की आवश्यकता- आजकल, कुरआन की कुछ आयतों पर जो पारंपरिक व्याख्याएँ और फिक्ही मतभेद हावी हो गए हैं, उन्हें पैगंबर ﷺ के जीवन और उनके उद्देश्य की रोशनी में समझने की आवश्यकता है। उदाहरण स्वरूप, कुरआन में यह कहा गया है:
“وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَىٰ وَلَا تَعَاوَنُوا عَلَى الْإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ”
(तर्जुमा: “भलाई और परहेज़गारी के कामों में एक-दूसरे की मदद करो, और पाप और ज़ुल्म के कामों में एक साथ न आओ।”)
यह आयत हमसे यह अपेक्ष करती है कि हम एक-दूसरे के साथ भलाई और अच्छाई के कार्यों में सहयोग करें, चाहे वह किसी भी धर्म, संस्कृति या नस्ल से हों। इस दृष्टिकोण से, इस्लाम में सभी धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों को एक साथ मिलकर समाज के उत्थान और प्रगति में सहयोग करने की आवश्यकता है।
वर्तमान संदर्भ में इस्लामी दृष्टिकोण- आजकल जब धार्मिक और सांस्कृतिक असहिष्णुता तथा संघर्ष बढ़ रहे हैं, इस्लाम का यह संदेश अधिक प्रासंगिक हो जाता है। हमें पैगंबर मोहम्मद ﷺ की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए यह समझना चाहिए कि एक सच्चा मुसलमान वही है जो अपने पड़ोसी के लिए वही चाहता है, जो वह अपने लिए चाहता है। इस विचारधारा को आत्मसात करते हुए मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने धर्म के संदेशों को समझें और दूसरों के साथ एक ऐसा समाज बनाने में अपना योगदान दें, जो समानता, न्याय और भाईचारे पर आधारित हो।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का दृष्टिकोण- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का मानना है कि “لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِيَ دِينِ” और पैगंबर ﷺ के अंतिम खुत्बा (विदाई भाषण) से प्रेरित होकर, हमें समाज में आपसी सहमति, सहयोग और सौहार्द बनाए रखना चाहिए। संगठन का यह भी मानना है कि इस्लाम केवल पूजा अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा, समानता, और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का भी महत्वपूर्ण संदेश देता है। हम मानते हैं कि संविधान के आदर्शों का पालन करते हुए और विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों के बीच समानता और भाईचारे का संवर्धन करते हुए एक स्वस्थ और समृद्ध समाज की स्थापना की जा सकती है।
इस्लाम का सपना एक ऐसे समाज की स्थापना करना है, जहाँ हर व्यक्ति को समान अधिकार, समान अवसर और सम्मान प्राप्त हो। कुरआन और पैगंबर ﷺ की शिक्षाओं को सही दृष्टिकोण से समझकर और व्यावहारिक रूप से लागू करके हम इस आदर्श को वास्तविकता में बदल सकते हैं। समाज का हर सदस्य, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या संस्कृति का हो, समान अधिकार और सम्मान का अधिकारी है। यही इस्लाम का वास्तविक संदेश है और यही ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का आदर्श भी है, जो हर वर्ग को समान रूप से सम्मानित करता है और समाज में भाईचारे और सौहार्द की स्थापना के लिए निरंतर प्रयासरत है।
मुहम्मद युनुस
(चीफ़ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर)
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