ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) एक राष्ट्रवादी सामाजिक संगठन है, जो पसमांदा (पिछड़े) मुस्लिम समाज के सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा और सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। जब केंद्र सरकार ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2023 (जो बाद में 2024 में संशोधित रूप में प्रस्तुत हुआ) को पेश किया, तब से लेकर इसके पारित होने तक, संगठन ने इस प्रक्रिया में सक्रिय और सजग भूमिका निभाई। यह लेख विधेयक के प्रति संगठन के स्पष्ट पक्ष और इसकी शुरुआत से लेकर पारित होने तक की भूमिका को विस्तार से प्रस्तुत करता है।
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का परिचय- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ पसमांदा मुस्लिम समुदाय के हितों की वकालत करने वाला एक प्रमुख संगठन है। पसमांदा शब्द का अर्थ है “पिछड़े हुए,” और यह उन मुस्लिम समुदायों को संदर्भित करता है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से हाशिए पर हैं। संगठन का मानना है कि वक़्फ़ संपत्तियाँ, जो धार्मिक और परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं, पसमांदा समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, बशर्ते इनका प्रबंधन पारदर्शी और जवाबदेह हो।
वक़्फ़ संशोधन विधेयक के संदर्भ में, संगठन ने शुरू से ही इसे पसमांदा समाज के लिए एक अवसर के रूप में देखा, बशर्ते इसमें समुदाय की वास्तविक जरूरतों को शामिल किया जाए। संगठन ने इस विधेयक को समर्थन दिया, लेकिन साथ ही कुछ सुधारों और संशोधनों की माँग भी की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वक़्फ़ संपत्तियों का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुँचे।
वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर संगठन का स्पष्ट पक्ष- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक को समर्थन देने का निर्णय लिया, क्योंकि संगठन का मानना है कि यह विधेयक वक़्फ़ बोर्डों में व्याप्त कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अशराफ (उच्च वर्गीय मुस्लिमों) के वर्चस्व को कम करने में मदद कर सकता है। संगठन के अनुसार, वक़्फ़ संपत्तियों पर अशराफ वर्ग का कब्जा रहा है, जिसके कारण 85% पसमांदा मुस्लिमों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया। विधेयक में प्रस्तावित पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता के कदमों को संगठन ने सकारात्मक माना।
हालाँकि, संगठन ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति भी जताई, जैसे जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को असीमित अधिकार देना, और इसकी जगह उच्च अधिकारियों को शामिल करने की माँग की। इसके अलावा, संगठन ने “वक़्फ़ बाय यूज़र” (लंबे समय तक उपयोग के आधार पर संपत्ति को वक़्फ़ मानने की प्रथा) को पुनर्जनन की वकालत की, जिसे सरकार ने आंशिक रूप से स्वीकार किया।
संगठन की भूमिका: शुरुआत से पारित होने तक
1. जेपीसी (संसदीय संयुक्त समिति) के समक्ष पक्ष रखना-
वक़्फ़ संशोधन विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने एक विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस ज्ञापन में संगठन ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
– वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शी प्रबंधन: संगठन ने माँग की कि वक़्फ़ संपत्तियों का पंजीकरण और सत्यापन अनिवार्य हो, ताकि इनका दुरुपयोग रोका जा सके।
– राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्ति: वक़्फ़ बोर्डों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
– गैरकानूनी कब्जे पर नियंत्रण: वक़्फ़ संपत्तियों की अवैध बिक्री, लीज और अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने की माँग की गई।
– पसमांदा प्रतिनिधित्व: वक़्फ़ बोर्डों में पसमांदा मुस्लिम समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की वकालत की गई।
– वक़्फ़ बाय यूज़र का प्रावधान: संगठन ने इस पारंपरिक प्रथा को विधेयक में शामिल करने की माँग की, जिसे सरकार ने आंशिक रूप से स्वीकार किया। 2025 से पहले की ऐसी संपत्तियों पर यह प्रावधान लागू होगा।
– डीएम के अधिकारों पर आपत्ति: संगठन ने जिला मजिस्ट्रेट को असीमित अधिकार देने का विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने उच्च अधिकारियों को शामिल करने का प्रावधान जोड़ा।
सितंबर 2024 में जेपीसी की बैठक में संगठन ने यह दावा किया कि यह विधेयक 85% मुस्लिमों, विशेष रूप से पसमांदा समाज, के लिए फायदेमंद होगा।
2. सरकार और एनडीए घटकों से संवाद- संगठन ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और इसके सहयोगी दलों (एनडीए) के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा। समय-समय पर ज्ञापन सौंपे गए, जिसमें यह बताया गया कि वक़्फ़ संपत्तियाँ पसमांदा मुस्लिमों की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विरासत का हिस्सा हैं। संगठन ने यह भी आग्रह किया कि विधेयक में संशोधन से पहले जमीनी स्तर पर समुदाय की राय ली जाए। इस संवाद के परिणामस्वरूप, सरकार ने कुछ सुझावों को स्वीकार किया, जैसे वक़्फ़ बोर्डों में महिलाओं और ओबीसी मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
3. विपक्ष के साथ विमर्श- संगठन ने विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और AIMIM, से भी संपर्क किया और उनसे आग्रह किया कि वे विधेयक पर रचनात्मक चर्चा को बढ़ावा दें। संगठन का मानना था कि विधेयक का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों की बेहतरी और पारदर्शिता होना चाहिए, न कि संपत्ति हस्तांतरण या सत्ता का केंद्रीकरण। विपक्ष से यह भी माँग की गई कि वे पसमांदा समाज की चिंताओं को अपनी आपत्तियों में शामिल करें।
4. जनजागरूकता अभियान
संगठन ने विधेयक के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाया:
– ज़ूम मीटिंग्स: विभिन्न राज्यों में ऑनलाइन बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें विधेयक के लाभ और संभावित कमियों पर चर्चा हुई।
– सोशल मीडिया: पोस्ट, वीडियो और इन्फोग्राफिक्स के माध्यम से लोगों को विधेयक की जानकारी दी गई।
– प्रिंट मीडिया: पैम्पलेट और प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए जागरूकता फैलाई गई।
– प्रेस कॉन्फ्रेंस: स्थानीय स्तर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर संगठन की भूमिका और विधेयक के प्रति उसके दृष्टिकोण को स्पष्ट किया गया।
इन अभियानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पसमांदा समाज विधेयक के प्रभावों को समझे और इसके कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी करे।
5. पारित होने के बाद की रणनीति- वक़्फ़ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद (अप्रैल 2025 तक), संगठन ने इसकी निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया। संगठन की रणनीति में शामिल हैं:
– दुरुपयोग पर नजर: यह सुनिश्चित करना कि वक़्फ़ संपत्तियों का कोई गलत इस्तेमाल न हो।
– पारदर्शिता और जवाबदेही: विधेयक में वादा की गई पारदर्शी व्यवस्था को लागू करवाना।
– पसमांदा लाभ: यह सुनिश्चित करना कि वक़्फ़ की योजनाएँ और संसाधन पसमांदा समाज तक पहुँचें।
संगठन ने अपने सभी जिला, ब्लॉक और प्रदेश अध्यक्षों से अपील की कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और जनसंपर्क के माध्यम से इस भूमिका को जन-जन तक पहुँचाएँ।
संगठन का नजरिया और अपील- ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ का मानना है कि वक़्फ़ एक धार्मिक और सामाजिक धरोहर है, जो पसमांदा मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए एक शक्तिशाली साधन बन सकती है। संगठन विधेयक के समर्थन में है, क्योंकि यह वक़्फ़ बोर्डों में सुधार लाकर हाशिए पर पड़े मुस्लिमों को लाभ पहुँचा सकता है। साथ ही, संगठन ने कुछ प्रावधानों में संशोधन की माँग की, जिनमें से कई को सरकार ने स्वीकार भी किया। संगठन सभी कार्यकर्ताओं और समुदाय से अपील करता है कि वे इस विधेयक के कार्यान्वयन पर नजर रखें और यह सुनिश्चित करें कि इसका लाभ वास्तव में पसमांदा समाज तक पहुँचे।