मुसलमानों में जाति प्रथा और पसमांदा विमर्श: सामाजिक परिप्रेक्ष्य और संगठनात्मक प्रयास

भारतीय उपमहा द्वीप में मुसलमानों के भीतर जाति प्रथा का अस्तित्व इस्लामी सिद्धांतों और स्थानीय सामाजिक संरचनाओं के बीच गहरी विसंगतियों को दर्शाता है। इस्लाम का संदेश समानता, एकता और सामाजिक न्याय का है, लेकिन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों ने इसे भारतीय मुस्लिम समाज में पूर्णतः लागू नहीं होने दिया।

जाति प्रथा का प्रभाव

1. सामाजिक असमानता:

भारतीय मुसलमानों में जातीय वर्गीकरण तीन समूहों में होता है:

अशराफ: उच्च जातीय समूह, जिनमें मुख्यतः विदेशी मूल के मुसलमान या उच्च जाति के हिंदू धर्मांतरित शामिल हैं।

अजलाफ: पिछड़ी जातियां, जो शिल्पकार, कृषक, और व्यापारी वर्ग से संबंध रखते हैं।

अरजाल: दलित जातियां, जिन्हें सामाजिक और धार्मिक रूप से निम्न स्तर पर रखा गया है।

2. आर्थिक वंचना: पसमांदा मुसलमान मुख्यतः श्रमिक, कारीगर और कृषि मजदूर हैं। इनकी आय सीमित है, और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक इनकी पहुंच न्यूनतम है।

3. राजनीतिक हाशियाकरण: अशराफ वर्ग ने राजनीति और धार्मिक नेतृत्व पर प्रभुत्व बनाए रखा है। इसके कारण पसमांदा समाज नीतियों और योजनाओं में अपने प्रतिनिधित्व से वंचित रहता है।

पसमांदा विमर्श की प्रासंगिकता

पसमांदा विमर्श, जो भारतीय मुस्लिम समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों के अधिकारों और पहचान को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है, समावेशी समाज की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विमर्श के तीन मुख्य पहलू हैं:

1. सामाजिक न्याय: जाति और वर्ग आधारित असमानता को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाना।

2. समानता का अधिकार: शिक्षा, रोजगार, और संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना।

3. राजनीतिक जागरूकता: लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पसमांदा समाज की प्रभावी भागीदारी को बढ़ावा देना।

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (AIPMM) का दृष्टिकोण

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ भारतीय मुस्लिम समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके प्रयासों और दृष्टिकोण का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है:

1. संगठन का उद्देश्य: सामाजिक जागरूकता: पसमांदा मुसलमानों को उनके अधिकारों और अवसरों के प्रति जागरूक करना। शिक्षा और रोजगार: शैक्षिक और आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाओं को लागू करना। समानता और न्याय: समाज में समता और न्याय की स्थापना करना।

2. संगठनात्मक संरचना: राष्ट्रीय स्तर: संगठन का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी निदेशक करते हैं।

स्थानीय स्तर: ब्लॉक और तहसील स्तर तक कार्यकारिणी का गठन।

समावेशिता: निर्णय प्रक्रिया में प्रत्येक स्तर की भागीदारी।

महिला और युवा सशक्तिकरण पर जोर

पसमांदा समाज की महिलाएं और युवा सबसे अधिक वंचित हैं। इसलिए, ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने इन्हें केंद्र में रखकर निम्नलिखित कार्यों पर बल दिया है:

1. महिलाओं की शिक्षा: लड़कियों की शिक्षा और रोजगार के अवसरों को प्राथमिकता देना।

2. युवाओं के लिए कौशल विकास: पेशेवर प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान करना।

जातीय संरचना और इसकी चुनौतियां

भारत में पसमांदा मुसलमान लगभग 705 जातियों में बंटे हुए हैं। यह विविधता एक चुनौती है, लेकिन इसे उनकी शक्ति भी बनाया जा सकता है। जातीय विविधता को ध्यान में रखते हुए संगठनों को स्थानीय स्तर पर काम करना चाहिए।

राजनीतिक दृष्टिकोण और रणनीति

महाज़ का मानना है कि राजनीतिक जागरूकता और सत्ता में भागीदारी पसमांदा समाज के उत्थान के लिए आवश्यक है। हालांकि, यह एक गैर-राजनीतिक संगठन है, लेकिन यह विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद और सहयोग के माध्यम से सामाजिक न्याय की दिशा में प्रयास करता है।

चुनौतियां:

1. अशराफ वर्चस्व: उच्च वर्ग के प्रभुत्व को चुनौती देना।

2. आर्थिक सीमाएं: सीमित संसाधनों के कारण प्रयासों की प्रभावशीलता कम हो सकती है।

3. आंतरिक एकता का अभाव: जातीय विभाजन के कारण पसमांदा आंदोलन को सामूहिक समर्थन नहीं मिल पाता।

भविष्य की दिशा

1. शिक्षा और प्रशिक्षण: पसमांदा समाज को शिक्षित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।

2. सामाजिक एकता: विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच समन्वय बढ़ाना।

3. संवैधानिक अधिकारों की रक्षा: सरकारी योजनाओं और अधिकारों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष: मुस्लिम समाज में जाति प्रथा के कारण हुए भेदभाव को समाप्त करना और पसमांदा मुसलमानों को मुख्यधारा में लाना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ जैसे संगठनों की भूमिका इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है। जातीय और सामाजिक समानता के माध्यम से भारतीय समाज को सशक्त और समावेशी बनाना ही इस विमर्श का अंतिम उद्देश्य है। जब तक पसमांदा मुसलमानों को उनके अधिकार और समानता नहीं मिलेगी, तब तक भारतीय समाज में सच्चा सामाजिक न्याय संभव नहीं होगा।

मोहम्मद यूनुस
मुख्या कार्यकारी अधिकारी
9084448524